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Meerut News: CCSU की एक नई पहल, जूट बैग को बनाया सुंदर, उपयोगी और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक

Meerut News: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में ललित कला विभाग की कार्यशाला में विद्यार्थियों ने साधारण जूट के बैग को अपनी कल्पनाओं से सजाया

Sushil Kumar
Published on: 25 Jun 2025 8:40 PM IST
Meerut News
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Meerut News (Social Media image)  

Meerut News: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में इन दिनों कला और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। ललित कला विभाग की कार्यशाला में जब विद्यार्थियों ने साधारण जूट के बैग को अपनी कल्पनाओं से सजाया, तो वो सिर्फ थैले नहीं रहे—वो बन गए पर्यावरण संरक्षण के चलते-फिरते संदेशवाहक।

प्रोफेसर संगीता शुक्ला, कुलपति, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, के दिशा निर्देशन में आयोजित इस 20 दिवसीय कार्यशाला ने विद्यार्थियों की सृजनात्मकता को नई उड़ान दी है। प्रो. अलका तिवारी, समन्वयक, ललित कला विभाग ने बताया कि यह कार्यशाला राज्य ललित कला अकादमी, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश और विश्वविद्यालय के साझा प्रयास से संभव हो सकी।

कार्यशाला में प्रसिद्ध कलाकार दीपांजलि ने प्रतिभागियों को जूट पर चित्रकारी की बारीकियां सिखाईं। उनके मार्गदर्शन में बैगों पर बने पेड़, पक्षी, नदियां और लोक कलाएं किसी प्रदर्शनी की शोभा जैसे लग रहे थे।

कार्यशाला का विशेष आकर्षण था डॉ. किरण गर्ग का प्रेरणादायक व्याख्यान। उन्होंने कहा—

"जूट केवल एक रेशा नहीं, यह भविष्य की जरूरत है। जब इसे कला से जोड़ा जाए तो यह न केवल रोज़मर्रा की चीज़ बन जाती है, बल्कि हमारी प्रकृति की रक्षा का माध्यम भी बनती है।"

उन्होंने बताया कि आज जूट से न केवल बैग बल्कि कालीन, पर्दे, वॉल हैंगिंग, टेबल मैट और यहां तक कि फैशन प्रोडक्ट्स जैसे एस्पैड्रिल्स तक बनाए जा रहे हैं।

प्रो. अलका तिवारी ने कहा, “आज के दौर में जूट न केवल स्टाइलिश है, बल्कि टिकाऊ और पर्यावरण के लिए अनुकूल भी है। हमारी कार्यशाला का मकसद यही है—कला के जरिए प्रकृति की रक्षा का संदेश देना।”

कार्यक्रम में डॉ. पूर्णिमा वशिष्ठ, डॉ. शालिनी और दीपांजलि का विशेष सहयोग रहा। वहीं छात्रों में मीनाक्षी, तनु, मुस्कान, निष्ठा, अंजलि, प्रीति, गुरमीत, अनुराधा, अभय और अनमोल ने अपनी रचनाओं से सभी को प्रभावित किया।

यह कार्यशाला सिर्फ कला नहीं, एक आंदोलन बन रही है—जो बताती है कि अगर सोच रचनात्मक हो, तो जूट की एक थैली भी पर्यावरण का प्रहरी बन सकती है।

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