Muzaffarnagar News: अस्थिविसर्जन का बनाया अनोखा रिकॉर्ड, शालू सैनी ने 5000 लावारिस लाशों का किया अंतिम संस्कार

Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर की रहने वाली लावारिस लाशों की वारिस कहे जाने वाली शालू सैनी ने सन 2019 कोरोना महामारी के दौरान से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया था।

Amit Kaliyan
Published on: 27 May 2025 9:35 PM IST
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Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में लावारिस लाशों की वारिस के नाम से जानी जाने वाली साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की अध्यक्ष शालू सैनी ने सोमवार को हरिद्वार जनपद के सती घाट पर पहुंचकर 500 लावारिस लाशों की अस्थियों का विसर्जन पूरे विधि विधान से करने का काम किया है।

दरसअल, मुजफ्फरनगर की रहने वाली लावारिस लाशों की वारिस कहे जाने वाली शालू सैनी ने सन 2019 कोरोना महामारी के दौरान से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया था। बस तब से अब तक शालू सैनी तकरीबन 5000 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार अपने हाथों से कर चुकी है।

आपको बता दें कि मरने वाला चाहे किसी भी धर्म से हो शालू सैनी उसके धर्म के अनुसार ही उसका अंतिम संस्कार करती है। जानकारी के मुताबिक लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का खर्चा शालू सैनी की ट्रस्ट साक्षी वेलफेयर उठाती है। जिसके चलते अब जनपद के प्रत्येक थाने की पुलिस भी शालू सैनी से ही मिलने वाली लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करती हैं।

शालू सैनी पूरे रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करती हैं

बताया जाता है कि लावारिसों की वारिस कहे जाने वाली शालू सैनी के इस उत्कृष्ट काम के चलते नाइजीरिया की गिनीज बुक और इंडिया बुक में भी उनका नाम दर्ज हो चुका है। शालू सैनी बताती हैं कि तकरीबन तीन से साढ़े तीन महीने तक वह लावारिस लाशों का पूरे रीति रिवाज से अंतिम संस्कार खुद अपने हाथों से करती हैं। उसके बाद वह इन लावारिस लाशों की अस्थियों को हरिद्वार ले जाकर गंगा में विसर्जित करने का काम करती हैं। जिसके चलते कल उन्होंने हरिद्वार पहुंचकर 500 लावारिस लाशों की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने का काम किया है।

शालू सैनी बताती हैं कि

जिसकी जानकारी देते हुए शालू सैनी बताती हैं कि "मेरा नाम क्रांतिकारी शालू सैनी है उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की रहने वाली हूं और 2019 से जो लावारिस पुण्य आत्मा होती है उनके अंतिम संस्कार करती हूं विधि विधान से और फिर उनकी अस्थियों को हरिद्वार ले जाकर उसको विसर्जित करती हूं और उसकी पुण्य तिथि भी करती हूं पूरे विधि विधान से आत्माओं के अंतिम संस्कार करने के महाकाल जी ने जिम्मेदारी हमें दिए है जो लावारिस की तरह इस दुनिया में से चले जाते हैं और लास्ट समय में उन्हें कफ़न नसीब भी नहीं होता ऐसी पुण्य आत्मा का अंतिम संस्कार करके उनकी अस्थियों को पहले हम थोड़े दिन वेट करते हैं क्योंकि कई बार क्या होता है कि परिवार वाले आके हम से अस्थियों मंगाते है कि कम से कम हमरो की अस्थिया तो देदो तो कई बार मुझे ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ा इसलिए में कुछ दिन अस्थियो को रोक लेती हूं।

अगर उनके परिवार वाले आइए तो में उनको दे दूंगी तो ऐसे ही अस्थियां को मैं इकट्ठा कर कर ले जाती हूं कल अमावस्या थी अमावस्या के दिन हरिद्वार सती घाट पर मैंने करीब 500 से ज्यादा अंतिम संस्कार करने के बाद जो अस्थियां इकट्ठी करी हुई थी 500 से ज्यादा अस्थियां कल मैंने विसर्जित की और मैं अमावस्या पर हर बार ऐसे ही अस्थियां इकट्ठा करके विसर्जित करती हूं जाके ओर जब से में अंतिम संस्कार करने की सेवा में लगी हु तब से अब तक में 5000 अंतिम संस्कार अपने हाथों से कर चुकी हूं और हिंदू मुस्लिम, सिख इसाई, सभी धर्म के धर्मा अनुसार अंतिम संस्कार करती हूं मुस्लिम डेड बॉडी होती है तो कब्रिस्तान ले जाती हूं हिंदू डेड बॉडी होती है तो श्मशान घाट ले जाती हूं यह मैं क्रोना टाइम से कर रही हूं जब लोग अपनों को भी हाथ नहीं लग रहे थे अपनों की डेड बॉडी छोड़कर जा रहे थे।

उस समय से इस सेवा में लगी हूं हां जी मुझे ग्रीन वर्ल्ड बुक में भी मेरा नाम आया हुआ है इंडिया बुक रिकॉर्ड में भी मेरा नाम आया हुआ है और आनंदीबहन पटेल ने भी मुझे सम्मानित किया है इस सेवा के लिए मैं तो सभी का धन्यवाद करना चाहूंगी और उन सहयोगी का भी धन्यवाद करना चाहूंगी जो मुझे ईश्वरीय सेवा में समय-समय पर सहयोग करते हैं क्योंकि मेरा इतना सामर्थ्य नहीं है कि मैं अकेली सेवा को कर सकू मैं तो सभी से निवेदन करती हूं कि ईश्वरीय सेवा में सभी जुड़े क्योंकि कोई भी कुछ लेकर नहीं आता कोई भी कुछ लेकर नहीं जाता इससे बड़ी सेवा और कुछ नहीं हो सकती कि हम हर मृतक को हमारे द्वारा कफ़न नसीब हो सके और विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार किया जा सके ऐसी सेवाओं में लोग काम आते हैं मैं सबसे निवेदन करती हूं इस सेवा से हमारी सब जुड़े ताकि हर मृतक को कफ़न नसीब हो सके यह नाइजीरिया ग्रीन बुक में मेरा नाम दर्ज है।

शालू सैनी ( अध्यक्ष - साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट )

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