TRENDING TAGS :
Smart Meter की लागत किस्तों में वसूल करने पर सवाल, उपभोक्ता परिषद बोला कीमत तय नहीं, फिर वसूली क्यों
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर की लागत किस्तों में वसूलने पर विवाद, उपभोक्ता परिषद ने कीमत न तय होने पर वसूली को अवैध बताया।
Smart Meter Controversy: उत्तर प्रदेश में नए बिजली कनेक्शन पर स्मार्ट मीटर को अनिवार्य रूप से लगाने और उपभोक्ताओं से लागत किस्तों में वसूलने के आदेश दिए गए है। यूपीपीसीएल के फैसले पर सवाल खड़े हो गए हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मामले पर नाराजगी जाहिर करते हुए बिजली कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की है।
उपभोक्ता परिषद की यूपीपीसीएल से मांगें
-विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) का पालन करते हुए सभी उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर का विकल्प देना चाहिए।
-नए बिजली कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करना है, तो पहले विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन कराया जाए।
-अभी राज्य के पोस्टपेड उपभोक्ताओं के मीटरों को उनकी सहमति के बिना स्मार्ट प्रीपेड मीटर में बदलना बंद किया जाएं।
मूल्य तय नहीं, फिर किस्तों की बात क्यों?
अवधेश वर्मा ने एक बयान में कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियां नए कनेक्शन पर बिना किसी कानूनी मंजूरी के इंडियन स्टैंडर्ड (IS) 16444 के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही हैं। इसके एवज में उपभोक्ताओं से 6,016 की अवैध तरह से वसूली की जा रही हैं। यह राशि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) द्वारा अनुमोदित नहीं है और न ही वर्तमान में स्मार्ट मीटर की लागत निर्धारित की गई है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आगे कहा कि नियामक आयोग ने हाल ही में फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि IS 16444 की दर आयोग ने तय नहीं की है। जिस मीटर की कीमत ही नियामक द्वारा तय नहीं की गई है, उसकी किस्त कैसे वसूली जा सकती है?
केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना
पावर कॉरपोरेशन का किस्तों में वसूलने की बात करना उपभोक्ताओं को गुमराह करने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में जब कास्ट डाटा बुक बनी थी, तब केवल IS 15884 (नॉन-प्रीपेड स्मार्ट मीटर) की दर तय हुई थी, जबकि वर्तमान में लगाए जा रहे IS 16444 (प्रीपेड स्मार्ट मीटर) के लिए कोई दर निर्धारित नहीं है। यह भी बताया वर्तमान में केंद्र सरकार की आरडीएसएस (RDSS) योजना के तहत पावर कॉरपोरेशन ने जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदे हैं, उनका भुगतान केंद्र सरकार कर रही है। ये मीटर उन उपभोक्ताओं के लिए हैं जिनके घरों में पहले से पोस्टपेड मीटर स्थापित हैं, उन्हें निःशुल्क बदला जाना अनिवार्य है।
उपभोक्ताओं से पैसे वसूलना धोखाधड़ी
उन्हीं मीटरों को लगाकर उपभोक्ताओं से पैसे वसूलना धोखाधड़ी है। उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां IS 16444 मीटर की लागत केवल 2610 घोषित की गई है। जबकि उत्तर प्रदेश में आरडीएसएस के टेंडर के अनुसार सिंगल फेज मीटर की वास्तविक लागत 2200 से 2300 के बीच है। इसके बावजूद 6016 वसूलना पूरी तरह से अनुचित है। यूपीपीसीएल के खिलाफ नियामक आयोग ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी है। उपभोक्ताओं के साथ किसी भी प्रकार की अवैध वसूली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो उपभोक्ता परिषद संवैधानिक लड़ाई लड़ने के लिए बाध्य होगी।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!