UP में बिजली कंपनियों की मनमानी! स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर नियामक आयोग में नया मामला दाखिल

Smart Prepaid Meter: राज्य उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष के ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर लंबी बैठक की है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 15 Oct 2025 7:37 PM IST
UP में बिजली कंपनियों की मनमानी! स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर नियामक आयोग में नया मामला दाखिल
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Smart Prepaid Meter: उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन और प्रदेश की बिजली कंपनियों की मुश्किलें बढ़तमती जा है। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से बिना नियामक आयोग के अनुमोदन के अनिवार्य रूप से स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर ही नए कनेक्शन देने, कॉस्ट डाटा बुक (Cost Data Book) के विपरीत 872 की जगह 6016 की अवैध वसूली और 20 लाख से अधिक मीटर को बिना सहमति प्रीपेड में कन्वर्ट करने के गंभीर मामले में एक बड़ा मोड़ आया है।

लाखों गरीब उपभोक्ताओं का हुआ शोषण

उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष के अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर लंबी बैठक की है। परिषद ने नियामक आयोग की लंबित सुओ मोटो याचिका 62एस एम/2022 में बिजली कंपनियों के खिलाफ उल्लंघन का नया मामला दाखिल कर दिया है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने बताया कि बिजली कंपनियों ने किस प्रकार प्रदेश की गरीब जनता का शोषण किया है।

प्रबंध निदेशकों पर कार्रवाई की तैयारी

उन्होंने कहा कि अधिक वसूली को वापस किया जाए और स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य किए जाने के फैसले को वापस लिया जाए। परिषद ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) का खुला उल्लंघन किया है, उपभोक्ताओं को पोस्टपेड या प्रीपेड कनेक्शन का अधिकार है। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों ने आयोग में उपस्थित होकर शपथ पत्र दिया था कि वे कॉस्ट डाटा बुक का उल्लंघन नहीं करेंगे, फिर भी उल्लंघन हुआ।

गरीब उपभोक्ताओं में लगा भारी आक्रोश

परिषद ने मांग करते हुए कि तत्काल सभी प्रबंध निदेशकों के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए। परिषद ने याद दिलाया कि पहले भी कॉस्ट डाटा बुक के उल्लंघन में बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं को 3 से 4 करोड़ चेक से वापस किए थे। इस बार भी अधिक वसूली का पैसा वापस करना होगा और प्रबंध निदेशकों को कार्यवाही के लिए तैयार रहना होगा। दीपावली से एक महीना पहले बिना आयोग की अनुमति के आदेश लागू करने से पूरे प्रदेश के उपभोक्ताओं में आक्रोश है।

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