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Saharanpur News: कुर्बानी का शरीयत में कोई विकल्प नहीं, दिखावे और हुड़दंग से बचें, क़ारी इसहाक गोरा की दो टूक
Saharanpur News: जो लोग जानवर की कुर्बानी के खिलाफ ज्ञान बांट रहे हैं, उन्हें पहले अपने घर के फ्रिज में झांककर देखना चाहिए कि उसमें कितना मांस रखा हुआ है।
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Saharanpur News: ईद-उल-अज़हा के मौके पर मशहूर देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने एक अहम अपील जारी करते हुए मुसलमानों को कुरबानी के असल मकसद और उसके आदाब की याद दिलाई है। साथ ही, उन्होंने उन लोगों को भी करारा जवाब दिया है जो सोशल मीडिया और मीडिया के ज़रिये कुरबानी के खिलाफ दुष्प्रचार में लगे हुए हैं।
मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने साफ कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि जानवर की कुर्बानी की जगह कुछ और किया जाए यानी कैक काटें उन्हें यह समझना चाहिए कि शरीयत में ईद-उल-अज़हा की कुर्बानी का कोई विकल्प नहीं है। यह एक इबादत है, रस्म नहीं। और अल्लाह की इबादत को अपने ज़ाती ख्यालात और सुविधाओं से नहीं तोला जा सकता।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग जानवर की कुर्बानी के खिलाफ ज्ञान बांट रहे हैं, उन्हें पहले अपने घर के फ्रिज में झांककर देखना चाहिए कि उसमें कितना मांस रखा हुआ है। किसी मजहबी अमल पर सवाल उठाने से पहले अपने किरदार और नीयत की जांच करनी चाहिए।कारी इसहाक़ गोरा ने दो टूक कहा कि किसी भी धर्म विशेष की धार्मिक परंपराओं को निशाना बनाना सामाजिक सौहार्द के लिए खतरनाक है। हमें चाहिए कि हम अपने गिरेबान में झांके और दूसरों के धर्म का सम्मान करें।
अपने वीडियो संदेश में उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि कुर्बानी करने वाले हर साहिबे हैसियत मुसलमान को यह याद रखना चाहिए कि कुरबानी वाजिब है, लेकिन साथ ही साफ़-सफ़ाई और सामाजिक ज़िम्मेदारी भी एक दीनदार का फर्ज़ है।उन्होंने कहा कि कुर्बानी को रियाकारी का ज़रिया न बनाएं। सोशल मीडिया पर जानवरों की तस्वीरें और वीडियो डालना, सड़कों पर जानवरों को घुमा-घुमाकर हुड़दंग मचाना शरीयत और तहज़ीब दोनों के खिलाफ़ है। कुर्बानी अल्लाह के लिए होती है, इंसानों को दिखाने के लिए नहीं।
कारी साहब ने ताकीद की कि कुर्बानी किसी प्रतिबंधित जानवर की न की जाए, और न ही खुले स्थान पर बिना इजाज़त कुर्बानी की जाए। इसके अलावा, कुर्बानी के बाद जानवरों के अवशेष नगरपालिका या नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थान पर ही फेंके जाएं ताकि शहर की सफ़ाई और तंदरुस्ती बनी रहे। अंत में उन्होंने कहा कि ईद-उल-अज़हा का पैग़ाम त्याग, सादगी और अल्लाह की राह में सब कुछ कुर्बान कर देने का है। इस मौके पर हर मुसलमान को अपने अमल से यह साबित करना चाहिए कि इस्लाम मोहब्बत, सफाई, शालीनता और इंसाफ़ का मज़हब है।
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