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Sant Kabir Nagar: काश! एसपी संदीप कुमार मीणा जैसी संवेदनशीलता दिखाती चौकी पुलिस तो बच सकती थी राम किशुन की जान
Sant Kabir Nagar: स्थिति को गंभीरता से लेते हुए एसपी संदीप कुमार मीणा खुद मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मां-बेटी को आरोपियों पर कार्रवाई का भरोसा दिलाते हुए समझाने का खूब प्रयास किया।
Sant Kabir Nagar: संत कबीर नगर। धैर्य, संवेदनशीलता और समर्पण के बिना किसी भी जिम्मेदारी का निर्वहन संभव नहीं है। इसकी मिसाल संतकबीरनगर के पुलिस अधीक्षक संदीप कुमार मीणा ने मंगलवार को विपरीत परिस्थितियों के बीच महुली थाना क्षेत्र के ग्राम नगुआ में पेश करके सिर्फ विभागीय पुलिसकर्मियों को ही नहीं, बल्कि आम इंसान को भी एक सकारात्मक संदेश दिया।
हुआ यूं कि न्यायालय द्वारा जारी वारंट के अनुपालन के दौरान पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में जान गंवाने वाले दलित राम किशुन के परिवार की महिलाएं उनके चारो बेटों के घर आने से पहले शव न उठाने देने की जिद पर अड़ी थीं। सबसे पहले थानाध्यक्ष महुली रजनीश राय, थानाध्यक्ष धनघटा आरके मिश्र, सीओ प्रियम राज शेखर पांडेय और अपर पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार सिंह ने परिजनों को समय और परिस्थिति का हवाला देकर शव को पोस्टमार्टम के लिए सौंपने को राजी करने का पूरा प्रयास किया, लेकिन परिजन लाख समझाने के बाद भी नहीं माने।
एसपी संदीप कुमार मीणा खुद मौके पर पहुंचे
स्थिति को गंभीरता से लेते हुए एसपी संदीप कुमार मीणा खुद मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मां-बेटी को आरोपियों पर कार्रवाई का भरोसा दिलाते हुए समझाने का खूब प्रयास किया। यहां तक कि शव के पास बैठी महिलाओं के बगल में जमीन पर बैठ उनके दुख में साथ खड़े रहने का भरोसा दिलाया। जब इससे भी नतीजा नहीं निकला, तो पुलिस अधीक्षक ने परिजनों को समझाने के लिए स्थानीय जन प्रतिनिधियों का भी सहारा लिया।
एसपी की पहल पर राजधानी लखनऊ में बैठे धनघटा नगर पंचायत चेयरमैन प्रतिनिधि नीलमणि, गांव के प्रधान प्रतिनिधि आलोक कुमार त्रिपाठी, गजाधरपुर के ग्राम प्रधान गजेंद्र त्रिपाठी, महेश्वेतपुर के ग्राम प्रधान जोखू यादव सहित अन्य जिम्मेदार लोगों ने परिजनों को समझाया, तब परिजन सशर्त शव पुलिस को सौंपने के लिए तैयार हुए। परिजनों की शर्त थी कि दिल्ली से बेटों के पहुंचने तक शव को मोर्चरी के फ्रीजर में रखने और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए। एसपी द्वारा दिए गए आश्वासन पर परिजनों ने शव को पुलिस को सौंप दिया।
शायद राम किशुन की जान बच सकती थी
पूरी प्रक्रिया के दौरान पुलिस अधीक्षक लगभग डेढ़ घंटे तक धूप में खड़े रहे। उनकी कार्यशैली में धैर्य, संवेदनशीलता और समर्पण का नायाब प्रतिबिंब लोगों को नजर आया। एसपी श्री मीणा ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा से न केवल विभागीय पुलिसकर्मियों को जिम्मेदारी निभाने का अंदाज सिखाया, बल्कि समाज के हर जिम्मेदार व्यक्ति को एक सीख दे गए। पुलिस अधीक्षक की शानदार और स्मार्ट पुलिसिंग को हर कोई सैल्यूट कर रहा है। ग्रामीणों में यह चर्चा तेज हो गई कि काश! शनिचरा बाबू पुलिस ने एसपी संदीप कुमार मीणा जैसी संवेदनशीलता दिखाते हुए हार्ट के मरीज राम किशुन को दवा खा लेने दिया होता तो शायद राम किशुन की जान बच सकती थी।
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