Shamli News: शामली में जाट आरक्षण पर गरमाई सियासत, बीकेयू टिकैत नेता ने साधा भाजपा पर निशाना

Shamli News: बीकेयू टिकैत के अनिल मलिक ने कहा- अमित शाह का वादा अब तक अधूरा, जाट समाज खुद को ठगा महसूस कर रहा है, पंचायतों में चर्चा तेज

Pankaj Prajapati
Published on: 8 Sept 2025 3:55 PM IST
Shamli News: शामली में जाट आरक्षण पर गरमाई सियासत, बीकेयू टिकैत नेता ने साधा भाजपा पर निशाना
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शामली में जाट आरक्षण पर गरमाई सियासत  (photo: social media )

Shamli News: उत्तर प्रदेश का शामली ज़िला, जिसे 'जाट लैंड' के नाम से जाना जाता है — यहां की मिट्टी में गन्ने की मिठास है, पर अब इस धरती पर नाराज़गी की कड़वाहट घुल चुकी है। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के प्रदेश महासचिव अनिल मलिक ने एक बड़ा और तीखा बयान दिया है।

"गृहमंत्री अमित शाह की मूंछों का बाल आज भी जाटों के यहां गिरवी रखा है। 2019 में उन्होंने वादा किया था कि जाटों को आरक्षण मिलेगा, लेकिन आज तक वह वादा पूरा नहीं हुआ।"

दरअसल 2019 में देश की राजनीति एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही थी। जाट समुदाय, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में प्रभावशाली माना जाता है, उनसे वादे किए गए कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें आरक्षण दिया जाएगा।

केंद्र सरकार जाटों को आरक्षण देगी

दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, एक खाप पंचायत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के पालम क्षेत्र के खाप नेता सुरेंद्र सोलंकी से बातचीत में कहा था कि अगर दिल्ली में भाजपा जीतती है, तो केंद्र सरकार जाटों को आरक्षण देगी। लेकिन चुनाव जीतने के बाद भी न तो जाटों को आरक्षण मिला, न ही वो वादा निभाया गया, इतना ही नहीं, किसानों को लेकर भी बड़े-बड़े वादे किए गए थे। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने और एमएसपी की गारंटी की बात कही गई थी। पर हकीकत यह है कि आज भी देश का किसान अपनी उपज का उचित मूल्य पाने के लिए संघर्ष कर रहा है।

"अगर सरकार को वादा याद नहीं, तो जाट समाज को सब याद है। हमारी पीढ़ियां जानती हैं कि किसने क्या कहा था।"

जाट नेताओं का यह भी कहना है कि भाजपा सरकार में जाटों की राजनीतिक उपेक्षा हो रही है। पहली बार ऐसा हुआ है कि केंद्र की कैबिनेट में एक भी जाट मंत्री नहीं है — न पिछली सरकार में, न वर्तमान में।

इससे समुदाय में आक्रोश बढ़ रहा है। जाट नेताओं का कहना है कि भाजपा में जो जाट नेता हैं, वे भी आरक्षण के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में जाट समाज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।

हमने उन्हें वोट दिया, भरोसा किया। अब वो हमारी बात भी नहीं सुनते। आरक्षण की बात तो बहुत दूर है।"

शामली, मुज़फ्फरनगर, बागपत और मेरठ जैसे जाट बहुल क्षेत्रों में यह मुद्दा अब फिर गरमाने लगा है। पंचायतों में चर्चा तेज हो रही है। किसान आंदोलन के बाद यह एक और बड़ा मुद्दा बन सकता है।

क्या केंद्र सरकार अपने पुराने वादों को निभाएगी ? क्या जाट समाज को उनका हक मिलेगा ? या फिर ये सिर्फ चुनावी जुमले बनकर रह जाएंगे ?

गन्ने की मिठास के बीच पनपता ये आक्रोश बताता है कि जब वादे पूरे नहीं होते, तो भरोसा टूटता है — और जब भरोसा टूटता है, तो सियासत की जमीन हिल जाती है।

वहीं भाजपा सरकार आने का मुख्य कारण था मुजफ्फरनगर दंगा

भाजपा के नेताओं ने मुजफ्फरनगर दंगे को भूनकर केंद्र में सरकार बनाई और दंगे के दौरान सचिन , गौरव का मुद्दा भी जोरों शोरों से भुनाया गया था इसके बाद केंद्र में बीजेपी की सरकार बन गई परिवार को आर्थिक मदद तो मिली लेकिन गौरव और सचिन के परिवार वालों ने राजनीति में आने का फैसला लिया था जिसे उन्होंने बीजेपी से विधानसभा का टिकट मांगा था लेकिन बीजेपी ने उनका टिकट नहीं दिया जिसको लेकर जाटों में खास नाराजगी भी जाहिर की गई थी अब देखना यह होगा कि बीजेपी जिन मुद्दों को लेकर केंद्र में सरकार बनाई थी या सरकार बनने से पहले जो वादे जाटों से किए गए थे क्या उन वादों को सरकार पूरा करेगी या फिर नहीं ?

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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