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Shamli News: कलयुग के श्रवण कुमार ! मां-बाप को कंधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा पर निकले हिसार के दो बेटे
Shamli News: दो सगे भाइयों ने अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करते हुए उन्हें कांवड़ रूपी पालकी में बैठाकर गंगा स्नान के लिए यात्रा पर निकाला है।
मां-बाप को कंधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा पर निकले हिसार के दो बेटे (photo: social media )
Shamli News: श्रावण माह में भोलेनाथ की भक्ति में लीन श्रद्धालु जहां हरिद्वार से जल लेकर अपने-अपने शिवालयों की ओर कांवड़ यात्रा पर निकल रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के शामली से एक ऐसा प्रेरणादायक दृश्य सामने आया है जिसने सभी का दिल छू लिया। यहां दो सगे भाइयों ने अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करते हुए उन्हें कांवड़ रूपी पालकी में बैठाकर गंगा स्नान के लिए यात्रा पर निकाला है। इस दृश्य को देखकर हर कोई इन्हें आज के "कलयुग के श्रवण कुमार" कह रहा है।
यह दृश्य शामली नगर के शिव चौक के पास देखने को मिला, जहां हरियाणा के हिसार जनपद के कस्बा बरवाला निवासी कालाराम और सोनू कुमार अपने माता-पिता — चंदूराम और संतोष देवी — को कंधे पर पालकी में बिठाकर हरिद्वार से कांवड़ यात्रा पर निकले। यात्रा की शुरुआत हरिद्वार की हर की पौड़ी से गंगा स्नान करके की गई और यह यात्रा शामली होते हुए हिसार तक पहुंचेगी।
13 जुलाई को शुरू की थी यात्रा
बेटों ने 13 जुलाई को हरिद्वार से इस विशेष यात्रा की शुरुआत की थी। उन्होंने अपने माता-पिता की गंगा स्नान की इच्छा को अपनी श्रद्धा और सेवा भावना से पूर्ण किया। दोनों भाइयों ने बताया कि इससे पहले वे डाक कांवड़, कलश कांवड़, खड़ी कांवड़ और पिठ्ठू कांवड़ ला चुके हैं। लेकिन इस बार माता-पिता ने जब गंगा स्नान की इच्छा जताई, तो उन्होंने उन्हें पालकी में बैठाकर कांवड़ यात्रा पर ले जाने का संकल्प लिया।
माता-पिता ने जताया गर्व
माता संतोष देवी और पिता चंदूराम अपने बेटों पर गर्व करते हुए कहते हैं कि, “भगवान सभी मां-बाप को ऐसे बेटे दें। आजकल तो कुछ बेटे पैसे के लिए माता-पिता की हत्या तक कर देते हैं, लेकिन हमारे बेटों ने हमारे जीवन की सबसे बड़ी इच्छा पूरी की है।”
समाज को दिया संदेश
कालाराम ने बताया कि आज का युवा दिन-रात फोन में व्यस्त रहता है। उसे चाहिए कि वह अपने माता-पिता और परिवार को समय दे। उन्होंने कहा, "फोन से समय निकालो और अपने बुजुर्गों की सेवा करो। यही असली भक्ति है।"
रास्ते में मिला श्रद्धालुओं का आशीर्वाद
इस यात्रा में धूप, थकावट और लंबा सफर भी इन भाइयों की आस्था और सेवा भावना को कम नहीं कर सका। पूरे रास्ते श्रद्धालु इन बेटों को देख भाव-विभोर हो उठे और उनकी इस अनोखी कांवड़ यात्रा को नमन किया।
इस प्रेरणादायक यात्रा ने यह साबित कर दिया कि आज भी समाज में श्रवण कुमार जैसे बेटे मौजूद हैं, जो अपने माता-पिता के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार हैं।
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