Shravasti News: महानवमी पर ऐसे करें पूजन, जानें शुभ मुहूर्त और कन्या पूजन का महत्व

Sharavasti News: श्रावस्ती में महानवमी पर कन्या पूजन सुबह 4:53 से 5:41 तक करें, जानें पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और ज्योतिषीय संयोग

Radheshyam Mishra
Published on: 30 Sept 2025 9:30 PM IST
Shravasti News: महानवमी पर ऐसे करें पूजन, जानें शुभ मुहूर्त और कन्या पूजन का महत्व
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Shravasti News : महानवमी कल बुधवार को:शारदीय नवरात्रि समाप्ति की ओर है। यह पावन पर्व महानवमी के दिन कन्या पूजन के साथ संपन्न होगा और इसके अगले दिन पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ विजयदशमी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथियों पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन घरों में कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है और उनके लिए भोज का आयोजन किया जाता है।

इससे मां दुर्गा के साथ-साथ सभी देवी-देवताओं की कृपा भी जीवन पर बनी रहती है। यही नहीं कन्या पूजन के प्रभाव से घर-परिवार में समृद्धि, सुख-शांति और सौभाग्य का वास भी होता है। इस वर्ष महानवमी 1 अक्तूबर 2025 कल बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन देशभर के देवी मंदिरों में भव्य अनुष्ठान, कन्या पूजन और महाआरती का आयोजन किया जाता है।जगपति धाम मंदिर की महंत रीता गिरि ने बताया कि नवमी तिथि पर कन्या पूजन सुबह 4 बजकर 53 मिनट से 5 बजकर 41 मिनट तक कर सकते हैं।

सुबह 8 बजकर 6 मिनट से 9 बजकर 50 मिनट के बीच आप कन्या भोज कर सकते हैं।उन्होंने बताया कि इस साल 30 सितंबर 2025 को शाम 6 बजकर 6 मिनट से नवमी तिथि की शुरुआत होगी। इसका समापन 1 अक्तूबर को शाम में 7 बजकर 2 मिनट पर होगा। ऐसे में महानवमी 1 अक्तूबर 2025 को मान्य होगी।

बताया कि महानवमी पर पूर्वाषाढा नक्षत्र बन रहा है, जो सुबह 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। इसके बाद उत्तराषाढा नक्षत्र का संयोग बनेगा। हालांकि, इस तिथि पर अतिगण्ड योग रहेगा। ज्योतिष दृष्टि से भी यह तिथि खास है। इस दिन सूर्य और बुध के कन्या राशि में होने से बुधादित्य योग बन रहा है।उन्होंने बताया कि मान्यता है कि कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल करना चाहिए।माना जाता है कि कन्या भोज से पहले उनके चरण धोकर उनका आदर करना चाहिए। इससे देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बताया कि धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कन्या पूजन में हमेशा 9 कन्याएं बैठानी चाहिए। हालांकि, आप इससे अधिक और 3, 5 या 7 कन्याओं को भी भोजन करा सकती हैं।कन्या पूजन में एक लड़के को भी अवश्य भोजन करना चाहिए, जिसे बटुक भैरव भी कहा जाता है।

मान्यता है कि यह बहुत शुभ होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। बताया कि कन्या पूजन में आप हलवा, पूरी, काले चने को अवश्य शामिल करें और अंत में उन्हें कुछ उपहार या रूपये देकर आशीर्वाद लें। उन्होंने बताया कि महानवमी केवल नवरात्रि का नौवाँ दिन ही नहीं है; यह आध्यात्मिक पूर्णता का भी प्रतीक है। भक्तों का मानना ​​है कि देवी के पूर्व आठ स्वरूपों - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि और महागौरी - की पूजा करने के बाद, यह यात्रा माँ सिद्धिदात्री के साथ समाप्त होती है।

यह दिन इस बात का प्रतीक है कि पिछले आठ दिनों की प्रार्थनाएँ और व्रत महानवमी पर अपने चरम पर पहुँचते हैं। यह दिन राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की अंतिम विजय का प्रतीक है। इस दिन माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान, शक्ति और दिव्य शक्तियाँ प्रदान करती हैं। यह नवरात्रि के समापन का भी प्रतीक है।

वहीं मंगलवार को शारदीय नवरात्र के आठवें दिन महाअष्टमी पर जिले भर के मंदिरों और पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिनभर उमड़ती रही।देवी भक्तों ने माता के दरबार में पहुंचकर विधिविधान से पूजा-अर्चना किया और जगह-जगह सामूहिक कन्या पूजन किया गया।वहीं भोग का वितरण किया गया, जिसमें भक्तों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। भिनगा शहर के प्रमुख दुर्गा पंडाल में भी दिनभर भक्तिमय वातावरण बना रहा।

काली मंदिर, जगपति माता मंदिर,सीताद्वार मंदिर, इकौना के ज्वाला मंदिर सहित अन्य मंदिरों व पूजा पंडालों में देवी के मंत्र और भक्ति गीत से माहौल गुंजायमान रहा।अष्टमी के दिन संधि पूजा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया।मंदिर समितियों ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए थे।पंडालों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किये थे. वहीं, महिला पुलिसकर्मियों को भी सुरक्षा में लगाया गया था।वहीं बुधवार को नवमी के अवसर पर दुर्गा मंदिरों और पंडालों में विशेष पूजा-अर्चना की तैयारी जोरों पर है।

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