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Sonbhadra News: विवाहित महिला से सहमति से संबंध अपराध नहीं.. पूर्व विधायक पुत्र मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
Sonbhadra News: मंगलम चेरो के खिलाफ दुद्धी कोतवाली में दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज की गई थी। पीड़िता का आरोप था कि शादी का झांसा देकर आरोपी ने उसे मराठा तालाब के पास स्थित एक आवास में बुलाकर जबरिया दुष्कर्म किया।
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Sonbhadra News: अपना दल एस के पूर्व विधायक हरिराम चेरो के बड़े पुत्र मंगलम चेरो के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मुकदमे और चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद जिले की न्यायालय में शुरू की गई सुनवाई पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। बचाव पक्ष की तरफ से विवाहित महिला सहमति से बनाती है तो शारीरिक संबंध तो नहीं माना जा सकता दुष्कर्म का अपराध.. की दलील और इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट से आए निर्णयों को दृष्टिगत रखते हुए हाईकोर्ट ने, निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। प्रकरण में अगली सुनवाई के लिए 15 जुलाई 2025 की तिथि नियत की गई है। वहीं, निर्धारित तिथि से पूर्व पक्षों को जवाब (काउंटर एफीडेविड) दाखिल करने के लिए कहा गया है।
यह था मामला, जिसको लेकर दर्ज हुई थी एफआईआर
बताते चलें कि मंगलम चेरो के खिलाफ दुद्धी कोतवाली में दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज की गई थी। पीड़िता का आरोप था कि शादी का झांसा देकर आरोपी ने उसे मराठा तालाब के पास स्थित एक आवास में बुलाकर जबरिया दुष्कर्म किया। मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। प्रकरण में दुद्धी कोतवाली पुलिस ने विवेचना के बाद चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित की थी जहां से आरोपी को सुनवाई के लिए उपस्थित होने की नोटिस जारी की गई।
हाईकोर्ट से यह की गई याचना
आरोपी की तरफ से हाईकोर्ट में अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा के जरिए दाखिल चार्जशीट को चुनौती दी गई। याचना की गई कि दुद्धी कोतवाली में धारा 115 (2), 352, 351 (3), 64 (2) (एम) बीएनएस के तहत दर्ज मामले और इससे जुड़ी चार्जशीट की पूरी कार्यवाही को रद्द किया जाए। प्रार्थना की गई कि हाईकोर्ट में सुनवाई चलते रहने के दौरान, इस मामले में निचली अदालत की तरफ से की जाने वाली कार्यवाही पर रोक लगाई जाए।
इन तथ्यों को बनाया गया बचाव का आधार
प्रकरण की न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की। बचाव पक्ष की अधिवक्ता एके मिश्र की तरफ से तर्क दिया गया कि पीड़िता/शिकायतकर्ता की मां ने इससे पहले 4 मार्च 2023 को आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराया था। अपने बयान में पीड़िता की तरफ से स्वीकार किया गया था कि वह पिछले 8 वर्ष से आरोपी के साथ सहमति से संबंध में है और पीड़िता एक विवाहित महिला है। इसलिए शिकायत के अनुसार कोई भी अपराध आरोपी द्वारा नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय बना अंतरिम फैसले का बड़ा आधार
बचाव पक्ष के अधिवक्ता की तरफ से मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय भी बेंच के सामने रखा गया। इसमें न्यायालय ने माना है कि यदि अभियोक्ता विवाहित महिला है और फिर भी वह सहमति से शारीरिक संबंध बनाती है तो धारा 396 आईपीसी के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है। वहीं, राज्य सरकार की तरफ से अभियोजन का पक्ष रख रहे एजीए ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच के दौरान, जांच अधिकारी द्वारा पर्याप्त सामग्री एकत्र की गई, जिसके आधार पर आरोपी द्वारा कथित रूप से किया गया अपराध प्रथम दृष्टया स्थापित पाया गया है।
हाईकोर्ट ने माना प्रकरण विचार योग्य
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के उपरांत न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की बेंच ने यह माना कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता की तरफ से दिए गए तथ्यात्मक और कानूनी प्रस्तुतियों को अभियोजन पक्ष की तरफ से खारिज नहीं किया जा सका है। बेंच यह पाती है कि मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। सभी पक्ष चार सप्ताह के भीतर अपने-अपने जवाबी हलफनामे दाखिल कर सकते हैं। आवेदक यानी बचाव पक्षा के पास उसके बाद अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय होगा। मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई 2025 को की जाएगी।
निचली अदालत की सुनवाई पर लगी रहेगी रोक
मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों, आवेदन के समर्थन में आवेदकों के विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा दिए गए तर्कों, जैसा कि उपर उल्लेख किया गया है तथा उपर उल्लिखित उच्चतम न्यायालय के निर्णय को ध्यान में रखते हुए, अंतरिम उपाय के रूप में, यह प्रावधान किया जाता है कि इस न्यायालय के अग्रिम आदेशों तक, सिविल जज सीनियर डिवीजन/एफटीसी न्यायालय में मंगलम चेरो के खिलाफ चल रही सुनवाई स्थगित रहेगी।
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