Sonbhadra News: डीएपी-यूरिया की किल्लत पर कांग्रेस का बड़ा आरोप, ब्लैकमेलिंग सिंडिकेट किसानों के हक पर डाल रहा डाका

Sonbhadra News: पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जब खरीफ और रबी की फसलों की बुवाई का समय आता है, तब डीएपी-यूरिया समितियों से गायब हो जाती है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 20 July 2025 8:01 PM IST
Sonbhadra News: डीएपी-यूरिया की किल्लत पर कांग्रेस का बड़ा आरोप, ब्लैकमेलिंग सिंडिकेट किसानों के हक पर डाल रहा डाका
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Sonbhadra News: सोनभद्र जिले की सहकारी समितियों पर डीएपी और यूरिया की लगातार बनी हुई किल्लत को लेकर एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव राघवेंद्र नारायण ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जब खरीफ और रबी की फसलों की बुवाई का समय आता है, तब डीएपी-यूरिया समितियों से गायब हो जाती है। कई बार तो बाज़ार की दुकानों पर भी खाद की उपलब्धता में कमी की स्थिति बन जाती है।

राघवेंद्र नारायण ने आरोप लगाया कि ऐसी स्थिति एक सोची-समझी योजना (प्लान) के तहत की जाती है। जो खाद समितियों के गोदामों और दुकानों तक पहुंचनी चाहिए, उसे जमाखोरों के अड्डों पर डंप कर दिया जाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस जमाखोरी को प्रभावशाली लोगों का संरक्षण और संलिप्तता मिली हुई है, जिसके चलते कोई कार्रवाई भी नहीं हो पाती।

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस ब्लैकमार्केटिंग सिंडिकेट के कारण अन्नदाताओं को ₹267 की यूरिया ₹400 में, और ₹1350 की डीएपी ₹1600 से ₹1700 में खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई बार निजी दुकानदार यूरिया लेने वाले किसान पर जबरदस्ती जिंक, सल्फर या अन्य अनावश्यक चीजें थोप देते हैं, और किसानों को मजबूरी में उन्हें खरीदना पड़ता है, तब जाकर उन्हें यूरिया की बोरी नसीब होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती।

राघवेंद्र नारायण ने आगे दावा किया कि धान की रोपाई का कार्य 20 दिन से ज़्यादा समय से शुरू हो चुका है, और इस समय रोपाई का पीक सीजन चल रहा है। ऐसे में किसानों को यूरिया और डीएपी दोनों की तुरंत ज़रूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय पर यूरिया-डीएपी नहीं मिली, तो इसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ेगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह हालात सिर्फ सोनभद्र के नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ऐसे जमाखोरों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन हर बार फसल के मौसम की शुरुआत में खाद की किल्लत और जमाखोरों का बड़ा मुनाफे का खेल देखा जाता है।

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