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Sonbhadra News: सहकारी समितियों पर डीएपी का टोटा, किसान परेशान, जिले को बड़ी रैक का इंतजार, खुले बाजार में ऊंची कीमत पर खाद मिलने का आरोप
Sonbhadra News: पूर्वांचल नव निर्माण किसान मंच की तरफ से समितियों पर डीएपी उपलब्ध न होने को लेकर नाराजगी जताई गई है और इसकी शीघ्र उपलब्धता न होने पर धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
सहकारी समितियों पर डीएपी का नहीं होने से किसान परेशान (Photo- Social Media)
Sonbhadra News: सोनभद्र । जून माह के आखिरी सप्ताह से शुरू हुई अच्छी बारिश के बाद जहां, जिले में कई किसानों ने रोपाई शुरू कर दी है। वहीं, सहकारी समितियों पर डीएपी का टोटा होने से किसान खासे परेशान हैं। दावा किया जा रहा है, इसके चलते किसानों को खुले बाजार से डीएपी खरीदनी पड़ रही है। समितियों पर इसकी उपलब्धता न होने का फायदा उठाकर खुले बाजार में इसकी ऊंची कीमत वसूली जा रही है।
किसान मंच ने दी धरना-प्रदर्शन की चेतावनी:
पूर्वांचल नव निर्माण किसान मंच की तरफ से समितियों पर डीएपी उपलब्ध न होने को लेकर नाराजगी जताई गई है और इसकी शीघ्र उपलब्धता न होने पर धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी है। किसान मंच के नेता गिरीश पांडेय का कहना था कि अच्छी बरसात को देखते हुए किसानों में इस बार खेती-बाड़ी को लेकर उत्साह है। कई किसानों ने, जिन्होंने समय से धान की नर्सरी डाल रखी थी उन्होंने रोपाई शुरू कर दी है वहीं कई ऐसे किसान हैं जो रोपाई की तैयारी में जुटे हुए हैं लेकिन सहकारी समितियों पर डीएपी उपलब्ध न होने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसान मंच की तरफ से मसले पर डीएम का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा गया है कि सरकारी केंद्रों पर किसानों के लिए डीएपी खाद उपलब्ध न होने के कारण, खुले बाजार में इसकी ऊंची कीमत वसूली जा रही है। इसको देखते हुए कार्रवाई किए जाने और सभी सहकारी समितियों पर अविलंब पर्याप्त डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित कराए जाने की जरूरत है।
समितियों पर जल्द पहुंचेगी डीएपी, किया जा रहा रैक का इंतजारः
उप निबंधक सहकारी समितियां देवेंद्र सिंह ने फोन पर बताया कि सहकारी समितियों पर जल्द डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इसके प्रयास जारी हैं। जिले की जरूरत को देखते हुए एक रैक डीएपी की मांग भेजी जा चुकी है। समितियों पर शीघ्र पर्याप्त खाद की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इसके लिए उर्वरक लेकर आने वाली रेलवे रैक का इंतजार किया जा रहा है।
सोनभद्र में प्रतिवर्ष 35 हजार एमटी डीएपी की है खपत:
बताते चलें कि जिले में सहकारी समितियों के कुल 78 केंद्र संचालित हैं जिसके जरिए किसानों को डीएपी और यूरिया उपलब्ध कराने का काम किया जाता है। एक रिकर्ड के मुताबिक जिले में सालाना डीएपी की खपत लगभग 35 हजार मीट्रिक टन है। सरकारी केंद्रों पर समय से इसकी उपलब्धता न होने पर किसानों को निजी दुकानों का सहारा लेना पड़ता है। जहां अक्सर किसानों से, सरकारी समितियों पर बनने वाली किल्लत की स्थिति का फायदा उठाकर ऊंची कीमत वसूलने की शिकायत बनी रहती है। पिछले वर्ष इसको लेकर कई दुकानदारों पर कार्रवाई भी की गई थी।
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