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Sonbhadra: सोनभद्र में अवैध खनन का साम्राज्य कायम, अधिकारी बदले लेकिन नदियाँ और प्रशासन रहे बेबस
Sonbhadra News: सोनभद्र में अवैध रेत खनन का कारोबार अब भी जारी है। अधिकारी बदले गए, लेकिन सिस्टम और नदियों की स्थिति जस की तस है।
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Sonbhadra News: रेत के अवैध कारोबार ने सोनभद्र की नदियों को ही नहीं, प्रशासनिक ईमानदारी को भी खोखला कर दिया है। जिले में अवैध बालू खनन खुलेआम जारी है, मानो कानून और नियम किसी की बपौती हों। शासन ने हाल ही में पूर्व खान अधिकारी शैलेन्द्र पटेल का तबादला झांसी कर दिया और कमल कश्यप को नया खान अधिकारी बनाकर जिम्मेदारी सौंपी। उम्मीद थी कि अब अवैध खनन पर लगाम लगेगी, लेकिन नतीजा वही—अफसर बदले, सिस्टम नहीं।
जुगैल थाना क्षेत्र के कुडारी, चौरा और बिजौरा जैसे इलाकों में रात ढलते ही बालू से लदे ट्रैक्टरों की कतार लग जाती है। ट्रैक्टरों की घरघराहट मानो प्रशासन के कानों में बजती है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। सड़कें रेत से लदे वाहनों की आवाजाही से थर्रा उठती हैं, पर खनन विभाग और पुलिस अधिकारी रहस्यमयी चुप्पी साधे हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि खनन माफियाओं का नेटवर्क इतना संगठित और प्रभावशाली है कि बिना संरक्षण के इस स्तर का कारोबार संभव ही नहीं।
बरसात के मौसम में भी, जब खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लागू रहता है, तब भी रेत निकालने का धंधा बिना रुकावट चलता रहता है। यह सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि प्रशासनिक मिलीभगत का परिणाम है। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि शिकायत करने वालों को डराया या नजरअंदाज कर दिया जाता है। जांच होती है तो सिर्फ कागजों पर — असली गुनहगारों तक पहुंचना किसी की प्राथमिकता नहीं लगती।
कुडारी से लेकर बिजौरा और घोरावल रोड तक, हर रात दौड़ते बालू लदे वाहन इस बात का सबूत हैं कि सिस्टम अब इस रेत तंत्र के सामने नतमस्तक हो चुका है। सवाल उठना लाजिमी है — क्या सोनभद्र में कानून की ताकत खत्म हो चुकी है, या फिर सरकारी सिस्टम खुद इस रेत के कारोबार का हिस्सा बन गया है?जब तक खनन विभाग अपने ही घर में झांककर जवाबदेही तय नहीं करेगा, तब तक सोनभद्र की नदियाँ यूँ ही लूटी जाती रहेंगी।विकास की बातें होंगी जरूर, लेकिन जमीन पर बचेगी सिर्फ धूल, धुंध और बेबसी की परतें।
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