संजय सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का इलाहाबाद हाईकोर्ट को निर्देश ! स्कूल बंदी आदेश के खिलाफ जल्द सुनवाई कर दें फैसला

संजय सिंह ने कहा कि सरकार ने विधानसभा में कहा कि स्कूल बंद नहीं किए जाएंगे। यूपी के शिक्षा मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि एक किलोमीटर से अधिक दूरी वाले स्कूल बंद नहीं होंगे।

Virat Sharma
Published on: 18 Aug 2025 6:24 PM IST
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Uttar Pradesh News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह से उत्तर प्रदेश सरकार के 16 जून 2025 के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा है, जिसमें पूरे प्रदेश के 105 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने और विलय का निर्देश दिया था। सांसद संजय सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह याचिका शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के तहत वैधानिक अधिकारों की मांग करती है।

अदालत ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया और हाईकोर्ट को कहा कि वह इस मामले की शीघ्र सुनवाई करे और निर्णय दे, क्योंकि यह हजारों स्कूली बच्चों के अधिकारों और हितों से जुड़ा मामला है।

यह मांग देश की संसद में भी उठाई है

सुनवाई के बाद सांसद संजय सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि यूपी में स्कूल बंद होने के कारण लाखों बच्चों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया गया है। बहुत बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, उनकी पढ़ाई बाधित हो गई है। बच्चों के पिता मज़दूर हैं, वे गाँव के गरीब परिवारों से आते हैं। उनके पास अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल भेजने के लिए पैसे नहीं हैं। हमने यह लड़ाई सड़कों पर भी लड़ी है। हमने यह मांग देश की संसद में भी उठाई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका पर दी दलील

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का उल्लेख करते हुए संजय सिंह ने कहा कि सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मेरी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दलील दी और न्यायालय से अपील की कि यह मुद्दा बच्चों के भविष्य से जुड़ा है और इस पर तत्काल सुनवाई होनी चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि हमें इलाहाबाद हाईकोर्ट जाना चाहिए और हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि यह मामला हजारों बच्चों की शिक्षा और भविष्य से जुड़ा है, इसे शीघ्र सुना जाए और निर्णय दिया जाए। अब हम इलाहाबाद हाईकोर्ट जाएंगे और यह लड़ाई वहां लड़ेंगे। मुझे उम्मीद है कि बच्चों को न्यायपालिका से न्याय मिलेगा।

संजय सिंह ने कहा कि सरकार ने विधानसभा में कहा कि स्कूल बंद नहीं किए जाएंगे। यूपी के शिक्षा मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि एक किलोमीटर से अधिक दूरी वाले स्कूल बंद नहीं होंगे, रेलवे और हाईवे के पार वाले स्कूल बंद नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं जहां स्कूल आज भी बंद हैं। आज भी बच्चे बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। संजय सिंह कहा कि स्कूलों को रेलवे ट्रैक और हाईवे के पार 2-3 किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दिया गया है। संजय सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का सम्मान करता हूं, जिसमें हाईकोर्ट को शीघ्र सुनवाई और निर्णय देने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि यह यूपी के लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है।

कपिल सिब्बल ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी

इस बीच सांसद संजय सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि ये बच्चे अब स्कूल नहीं जा सकते और इनमें से अधिकांश गरीब हैं। बहस के बाद कपिल सिब्बल ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, ताकि हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सके। उन्होंने अनुरोध किया कि हाईकोर्ट मामले की शीघ्र सुनवाई करे, क्योंकि इसका हजारों बच्चों की शिक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। पीठ ने याचिका वापस लेने की अनुमति दी और संजय सिंह को इस अनुरोध के साथ हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता दे दी।

संजय सिंह ने याचिका में निम्न निर्देशों की मांग की

16 जून 2025 के सरकारी आदेश और 24 जून 2025 की सूची, जिसमें 105 स्कूलों की बंदी/विलय का उल्लेख है, उसको निरस्त किया जाए।

यह घोषणा की जाए कि उत्तर प्रदेश शिक्षा का अधिकार नियम, 2011 के नियम 4(2) के तहत सुरक्षा उपायों के बिना 1 किलोमीटर से दूर के स्कूलों को समायोजित या विलय करने की नीति असंवैधानिक, मनमाना और अनुच्छेद 21ए का उल्लंघन है।

प्रतिवादियों को आरटीई अधिनियम, 2009 और यूपी आरटीई नियम, 2011 का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया जाए, विशेष रूप से पास के स्कूलों के संबंध में।

आदेश कि विलय/समायोजित स्कूलों को तुरंत बहाल किया जाए और सभी प्रभावित बच्चों के लिए पास के स्कूलों का संचालन सुनिश्चित किया जाए।

स्कूली शिक्षा के संवैधानिक और वैधानिक जनादेश का उल्लंघन

सांसद संजय सिंह ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम मनमाना, असंवैधानिक और कानूनी रूप से अनुचित है, जिसने राज्य भर में कई बच्चों की शिक्षा तक पहुंच को पहले ही नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। याचिका में जोर दिया गया है कि पड़ोस में स्कूली शिक्षा के संवैधानिक और वैधानिक जनादेश का उल्लंघन करने वाली कोई भी नीति या कार्यकारी कार्रवाई प्रथम दृष्टया असंवैधानिक और गैर-कानूनी है।

याचिका में आगे कहा गया है कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 21ए और आरटीई एक्ट के तहत बच्चों के संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। विशेष रूप से, आरटीई नियमों के नियम 4(1)(ए) में यह अनिवार्य है कि कम से कम 300 की आबादी वाली प्रत्येक बस्ती में एक किलोमीटर के दायरे में कक्षा एक से पांच तक के लिए प्राथमिक स्कूल स्थापित किए जाएं।

संजय सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि छह से 11 वर्ष की आयु के बच्चे, विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक समुदायों और लड़कियों से संबंधित बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि सुरक्षा चिंताओं और लॉजिस्टिक असंभवताओं के कारण कई माता-पिता ने अपने बच्चों को स्कूलों से निकाल लिया है, जिसके परिणामस्वरूप स्कूलों तक उनकी पहुंच दूर हुई है और बच्चे फिर से श्रम या घरेलू काम में धकेल दिए गए हैं।

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