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लखनऊ जिला न्यायालय में फर्जी विवाह केंद्र का खुलासा: हाईकोर्ट सख्त, चैंबर नंबर-31 खाली कराने के आदेश
Lucknow News: इस पूरे मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति बृज राज सिंह की पीठ की ओर से की गई, जिन्होंने इस घटना को न्यायिक व्यवस्था पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि न्यायालय परिसर में ऐसे गैरकानूनी कार्य बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
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Lucknow News: राजधानी लखनऊ के जिला न्यायालय परिसर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। पुराने CSC बिल्डिंग में स्थित चैंबर नंबर-31 में फर्जी 'विवाह केंद्र' चलाया जा रहा था। इस गंभीर प्रकरण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए तत्काल प्रभाव से चैंबर खाली कराने और उसमें लगे बोर्ड को हटाने का निर्देश दिया है।
इस पूरे मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति बृज राज सिंह की पीठ की ओर से की गई, जिन्होंने इस घटना को न्यायिक व्यवस्था पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि न्यायालय परिसर में ऐसे गैरकानूनी कार्य बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
दाखिल हुई याचिका की सुनवाई में हुआ खुलासा
कोर्ट परिसर में चल रहे फर्जी विवाह केंद्र का खुलासा उस समय हुआ, जब एक याचिका की सुनवाई के दौरान शिवानी यादव नाम की युवती ने कोर्ट में बयान दिया कि उसने किसी अरुण कुमार यादव से शादी नहीं की है और ना ही कोई वकालतनामा दिया है। युवती ने बताया कि कोर्ट में फर्जी तरीके से दाखिल की गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने याचिका को फर्जी और अवैध मानते हुए इसे तत्काल खारिज कर दिया।
जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य, चैम्बर में मिले विवाह से संबंधित दस्तावेज
कोर्ट के निर्देश पर थाना वजीरगंज के एसएचओ और जिला जज द्वारा गठित इन्फ्रास्ट्रक्चर कमेटी मौके पर पहुंची। जांच में पाया गया कि चैंबर नंबर-31 में 'ब्रह्मास्त्र लीगल एसोसिएट्स' और 'प्रगतिशील हिन्दू समाज न्यास' के बोर्ड लगे थे। अंदर फूलों की सजावट, फोटोग्राफी सेटअप और विवाह से संबंधित दस्तावेज बरामद हुए। इससे यह स्पष्ट हो गया कि वहां फर्जी तरीके से विवाह केंद्र संचालित हो रहा था।
कोर्ट ने जिला जज को दिए निर्देश, कहा- खाली कराया जाए चैम्बर
हाईकोर्ट ने अरुण कुमार यादव के खिलाफ झूठा हलफनामा दाखिल करने पर आईपीसी की धारा 340 और 195 के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू करने और मामला संबंधित मजिस्ट्रेट को भेजने का आदेश दिया। साथ ही, जिला जज लखनऊ को दो दिनों के भीतर चैंबर खाली कराने और बोर्ड को सफेद पेंट से मिटाने का निर्देश भी जारी किया गया है।
आवश्यकता पड़ने पर पुलिस बल की सहायता से जबरन कार्रवाई के लिए भी कहा गया है। कोर्ट ने पूरे मामले को डिवीजन बेंच के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जो कि जिला न्यायालय परिसर में वकीलों द्वारा की जा रही अनुशासनहीन व अवैध गतिविधियों पर स्वतः संज्ञान ले रही है।
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