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Prashant Kumar Book: पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार पर किताब, अमेजन पर उपलब्ध
The Enforcer Book: उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और इनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाने वाले आईपीएस अधिकारी रहे प्रशांत कुमार पर एक किताब आज ही अमेजन पर प्री आर्डर बुकिंग में आ गयी है।
THE ENFORCER Prashant Kumar, An IPS Officer’s War on Crime In India’s Badlands
Prashant Kumar Book: उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और इनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाने वाले आईपीएस अधिकारी रहे प्रशांत कुमार पर एक किताब आज ही अमेजन पर प्री आर्डर बुकिंग में आ गयी है। किताब अंग्रेज़ी भाषा में लिखी गई है। जल्द ही इसका हिंदी संस्करण भी पाठकों के सामने होगा । किताब का नाम है-THE ENFORCER Prashant Kumar, An IPS Officer’s War on Crime In India’s Badlands’ किताब के लेखक है-अनिरुद्ध मित्रा। इस किताब के पेपर बैक संस्करण की क़ीमत 699 रुपये है। पर पाठकों को यह 554 रुपये में ही उपलब्ध होगी। अमेजन ने इस किताब की लाँचिंग के लिए 20-28 सितंबर के बीच फ्री डेलिवरी की वादा किया है। किताब 19 सितंबर से उपलब्ध होगी।
1990 बैच के आईपीएस अफसर प्रशांत कुमार ने तमिलनाडु कॉडर से ट्रांसफ़र के बाद 1994 में यूपी कॉडर ज्वाइन किया। 2020 में उन्हें ADG (Law & Order) नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने ATS और STF की कई सफल कार्रवाइयों का नेतृत्व किया—जिसमें कुख्यात अपराधी गौरी यादव की गिरफ्तारी शामिल है। उन्हें फरवरी 2024 में उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक DGP के रूप में नियुक्त किया गया। जहां वह एक रणनीतिक, निडर और कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करने वाले अधिकारी के रूप में उभरे, जिन्होंने संगठित अपराध के खिलाफ प्रभावी अभियान चलाए और लगभग 300 ‘लिस्टेड’ अपराधियों को बेअसर किया।
उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध ख़त्म करने में उनकी भूमिका जगज़ाहिर है। बीते 35 वर्ष के करियर में उन्हें चार राष्ट्रपति पदक (President’s Gallantry Medals) से सम्मानित किया गया। 2017 से 2025 के बीच उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुव्यवस्था लाने में प्रशांत कुमार की निष्ठा और ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का योगदान सराहा गया। उनके अनुसार, सुधारों ने भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और युवा वर्ग में विश्वास बढ़ाने वाला बनाया।
इस किताब के लेखक Anirudhya Mitra—पत्रकार, फिल्म निर्माता भी हैं। Anirudhya Mitra ने The Times of India और India Today में 1982 से 1993 तक पत्रकार के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने Bofors घोटाला, राजीव गांधी की हत्या, भारत-पाक-अफ़ग़ानिस्तान में नशा माफियाओं पर कार्रवाई, BCCI बैंक द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग, न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और Pamella Bordes की जासूसी कांड जैसी कई प्रमुख और संवेदनशील ख़बरें उजागर कीं ।1994 में उन्होंने UTV, मुंबई में स्क्रीनराइटर और टीवी ड्रामा निर्माता के रूप में काम करना शुरू किया। इस दौरान उन्होंने Sea Hawks जैसे शो बनाए, जो DD Metro पर प्रसारित हुआ । बाद में उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशिया में फ़िल्म निर्माण की ओर रुख किया। उनकी फ़िल्म ‘Di Bawah Lindungan Kabah’ (Under The Protection of Kabah), ऑस्कर (2012) प्रतिस्पर्धा में भी शामिल हुई । उनकी किताब Ninety Days: The True Story of the Hunt for Rajiv Gandhi’s Assassins बहुत चर्चा में रही। इस पुस्तक में 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सीबीआई की जांच और अभियुक्तों की खोज की गहराई से विवेचना की गई है। यह किताब HarperCollins India द्वारा प्रकाशित हुई है ।
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