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UP News: दस से कम छात्रों वाले कोर्स बंद होंगे और नहीं भी होंगे!
Universities Closed Courses: राजभवन के अपर मुख्य सचिव सुधीर बोबडे के हस्ताक्षर से विश्वविद्यालयों को जारी एक पत्र में कहा गया कि “ जिन कोर्सों में छात्रों की संख्या दस से कम है। उनको तत्काल बंद किया जाये।
Universities Closed Courses Which the Number of Students is Less Than Ten
UP News: प्रदेश की उच्च शिक्षा को लेकर एक ऐसा फ़ैसला सामने आया है, जिसने एक ओर विश्वविद्यालयों को दिक़्क़त में डाल दिया है। तो दूसरी ओर राजभवन के सामने भी एक यक्ष प्रशन खड़ा कर दिया है। दिलचस्प यह है कि जहां विश्वविद्यालय राजभवन के अपर मुख्य सचिव द्वारा भेजे गये आदेश से हलकान होने के बाद भी उस पर अमल करने में जुट गये हैं। वहीं राजभवन के अधिकारियों की ओर से यह साफ़ कहा जा रहा है कि यह आदेश उनके यहां से जारी ही नहीं हुआ। पर विश्वविद्यालयों के कुलपतियों कि स्थिति इस आदेश को लेकर साँप छछून्दर केरी हो गई है।
राजभवन के अपर मुख्य सचिव सुधीर बोबडे के हस्ताक्षर से विश्वविद्यालयों को जारी एक पत्र में कहा गया कि “ जिन कोर्सों में छात्रों की संख्या दस से कम है। उनको तत्काल बंद किया जाये। कोर्सों से संबंधित आदेश तीन वर्ष के स्थान पर एक वर्ष के लिए ही जारी किये जायें।” इस पत्र को कार्यवाही के लिए प्रदेश के सभी कुलपतिगण, निदेशक गण,कल सचिव गण को भेजा गया है।” यह आदेश स्व वित्त पोषित कोर्सों से जुड़ा हुआ है।
लेकिन कुलपति दस से कम छात्रों वालें कार्स बंद करते उससे पहले यह आदेश एक नये विवाद की जद में आ गया। उत्तर प्रदेश में ऐसे पाठ्यक्रम, जिनमें दस से कम विद्यार्थी एनरोल हैं, वे चलते रहेंगे कि बंद होंगे? ये एक रहस्य है क्योंकि इसके बारे में आरटीआई से मांगी गयी जानकारी के जवाब में बताया गया है कि पाठ्यक्रम बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है । लेकिन ठीक इसके उलट एक आधिकारिक पत्र कहता है कि ऐसे पाठ्यक्रम बंद कर दिए जाएँ। क्या सही है और क्या गलत, ये पता नहीं है। इस बाबत जब अपर मुख्य सचिव से बात की गई तो वह बोले, “ किसी जिज्ञासा का जवाब आरटीआई के जरिये ही दिया जाएगा।”
क्या है मामला
हालाँकि इस मसले पर सूचना के अधिकार के तहत कानपुर के नीरज श्रीवास्तव द्वारा मांगी गयी जानकारी के क्रम में राज्यपाल सचिवालय से 10 जुलाई को जानकारी दी गयी कि – “उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों एवं उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित योजना के अंतर्गत संचालित पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या दस या इससे कम होने पर स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों को बंद किये जाने से सम्बंधित्र कोई दिशा निर्देश राज्यपाल/कुलाधिपति सचिवालय के स्तर से निर्गत नहीं किये गए हैं।“
क्या कहते हैं अधिकारी
दस से कम छात्रों वाले पाठ्यक्रमों को लेकर उपजा इस विरोधाभासी स्थित के बारे में जब कुलाधिपति के अपर मुख्य सचिव डॉ सुधीर बोबड़े से बात की गयी तो उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी मांगने को कहा।
विश्वविद्यालय का विवेकाधिकार
विश्वविद्यालयों को विभिन्न कारकों के आधार पर यह तय करने का अधिकार है कि कौन से पाठ्यक्रम शुरू करने हैं और कौन से बंद करने हैं। किसी पाठ्यक्रम को बंद करने का निर्णय आमतौर पर प्रासंगिक आंकड़ों की समीक्षा के बाद लिया जाता है। विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की जाती है कि वे पाठ्यक्रम और नामांकन के संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अन्य वैधानिक निकायों द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करें।
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