यूपी: एक होटल और 40 क्षत्रिय विधायक! बहाना पोती का जन्मदिन लेकिन तय हो रहा था कुर्सी का 'वारिस'

UP Politics: उत्तर प्रदेश में 'कुटुंब परिवार' के नाम पर होटल क्लार्क अवध में 40 क्षत्रिय विधायकों की बैठक ने सियासी हलचल तेज कर दी है।

Snigdha Singh
Published on: 12 Aug 2025 12:43 PM IST
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UP Politics: यूपी विधानमंडल का मानसून सत्र चालू है। सदन में विपक्ष गरज रहा है, सत्ता पक्ष तड़प कर जवाब दे रहा है। लेकिन राजनीतिक मौसम में सबसे ज़्यादा नमी होटल क्लार्क अवध की हवा में थी, जहां बीते दिन शाम ‘कुटुंब परिवार’ नामक आयोजन के बहाने भाजपा और सपा के क्षत्रिय विधायकों की एकजुटता दिखी और वो भी ऐसे वक्त में जब सदन में सरकार की नीतियों को लेकर बहस चल रही थी। अब सवाल उठता है कि क्या ठाकुरों ने थाल सजाकर राजनीति की नई थाली परोस दी है?

मिठाई में छुपा संदेश, तस्वीरों में छुपा साजिश का शक

बैठक का बैनर ‘कुटुंब परिवार’ के नाम पर था लेकिन मेहमानों की सूची पढ़ने पर यह किसी पारिवारिक आयोजन से ज़्यादा राजनीतिक पृष्ठभूमि का दिखा। भगवान राम की मूर्ति, महाराणा प्रताप की तस्वीर और पीतल का त्रिशूल उपहारों में भले ही ‘संस्कृति’ की सोंधी खुशबू हो पर इसकी राजनीति में जातिगत एकजुटता की तेज गंध भी महसूस हुई। सपा के बागी, भाजपा के खामोश, निर्दलीय के सहयोगी सब एक मेज पर। अब इसे संयोग कहें या प्रयोग यह तय करना मुश्किल नहीं।

पोती का बर्थडे था - जब जवाब भी हकलाने लगे

इस बैठक पर जब सवाल उठे तो आयोजकों के बयान में हड़बड़ी दिखी। ठाकुर रामवीर सिंह बोले कि मेरी पोती का जन्मदिन था, कुछ परिचित आए थे। होटल वाले ने गलत नाम बैनर पर छपवा दिया। शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि बैठक थी, कोई खास उद्देश्य नहीं था। ऐसे ही खाना-पीना किया।

वाह! ऐसी बेपरवाही तो शायद पोती के जन्मदिन पर भी न हो। जहां बैनर में कुटुंब परिवार लिखा जाए, 40 विधायक एक साथ जुटें, और फिर भी कहें कि कुछ नहीं था। यह बात जनता की समझ से परे है, लेकिन सत्ता के गलियारों में इसे पूरी तरह समझा जा चुका है।

सेवा विस्तार नहीं मिला, इसलिए क्षत्रिय खफा

राजनीतिक सूत्रों की मानें तो इस बैठक का एक गुप्त एजेंडा भी था। मुख्यमंत्री योगी के करीबी पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को सेवा विस्तार न मिलना। यह बात क्षत्रिय समाज के एक वर्ग को चुभी है। जब ममता बनर्जी और हिमाचल के सीएम की सिफारिशों पर वहां के अफसरों को एक्सटेंशन मिला, तो यूपी में ऐसा क्यों नहीं हुआ?

क्षत्रिय नाराज़ हैं यह बात पहले पश्चिम यूपी से लोकसभा टिकट विवाद के समय भी दिखी, जब वीके सिंह का टिकट काटा गया और अतुल गर्ग को उतारा गया। अब वही पश्चिमी यूपी, जहां से कुटुंब परिवार के आयोजक जयपाल सिंह और ठाकुर रामवीर सिंह आते हैं। सियासी संकेत समझने के लिए कोई ज्योतिषी होना जरूरी नहीं।

पर्दे के पीछे की रणनीति: 2 बाहुबली और एक संकेत

इस बैठक में भले ही जयपाल और रामवीर सिंह के नाम रहे। लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसकी पटकथा सरकार के करीबी दो प्रभावशाली ठाकुर विधायकों ने लिखी। इसका उद्देश्य सत्ता को यह दिखाना था कि यदि नजरअंदाजी बढ़ी, तो ‘कुटुंब परिवार’ भी किसी दिन ‘राजनीतिक पार्टी’ बन सकता है।

सवाल जो सत्ता को चुभेंगे

ऐसी स्थिति में एक दो नहीं बल्कि कई सवाल खड़े होते हैं। जैसे- सदन के दौरान विधायक होटल में क्या कर रहे थे? क्या यह जातिगत लामबंदी नहीं? सपा-बिजेपी के ठाकुर विधायकों का मेल क्या संकेत दे रहा है? पार्टी लाइन से ऊपर उठकर हुए इस आयोजन पर क्या भाजपा नेतृत्व की स्वीकृति थी? क्या यह मंत्रिमंडल विस्तार से पहले दबाव की रणनीति है?

दिल्ली तक पहुंची रिपोर्ट

‘कुटुंब परिवार’ की बैठक की तस्वीरें और उपहारों की सूची अब दिल्ली के भाजपा मुख्यालय तक पहुंच चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति और आगामी कैबिनेट फेरबदल की चर्चाओं के बीच यह बैठक भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए चेतावनी भी बन सकती है कि एकजुटता अब संगठन से नहीं, जाति से निकलेगी।

यूपी की राजनीति में यह पहला मौका नहीं जब जातिगत शक्ति प्रदर्शन ने सियासी गणित को हिला दिया हो। लेकिन इस बार जो बात सबसे चिंताजनक है, वह यह कि यह प्रदर्शन सत्ता के भीतर से हुआ और वह भी इतने ठाठ से, जैसे सरकार खुद दर्शक बन गई हो।कुटुंब परिवार नाम देकर भले ही इसे घरेलू आयोजन बताया जा रहा हो, पर इस बैठक ने दिखा दिया है कि राजनीति अब ‘परिवार’ से ही निकलेगी, पर वह परिवार क्या सरकार के साथ चलेगा या अलग राह लेगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।

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