बनारस में 'चंद्रग्रहण' का बड़ा असर, गंगा आरती का बदला समय, '34 साल' में पांचवीं बार हुआ बदलाव

बनारस में 34 साल बाद चंद्रग्रहण के कारण गंगा आरती का समय बदल गया, दिन में संपन्न हुई आरती, श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए अद्वितीय अनुभव।

Harsh Srivastava
Published on: 7 Sept 2025 5:07 PM IST
बनारस में चंद्रग्रहण का बड़ा असर, गंगा आरती का बदला समय, 34 साल में पांचवीं बार हुआ बदलाव
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Varanasi Ganga Aarti Timing Change: आमतौर पर वाराणसी के घाटों पर शाम के समय होने वाली गंगा आरती का दृश्य लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। लेकिन आज की शाम कुछ अलग थी। चंद्रग्रहण के खगोलीय घटनाक्रम ने धर्म और परंपरा की सदियों पुरानी धारा को बदल दिया। चंद्रग्रहण के सूतक काल के कारण, वाराणसी में यह विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती शाम के बजाय दिन में ही संपन्न कराई गई, जो अपने आप में एक अनोखी और दुर्लभ घटना है। यह 34 वर्षों में पाँचवाँ ऐसा अवसर था जब यह परंपरा बदली गई।

34 साल में पाँचवीं बार बदली परंपरा

आज रात लगने वाले चंद्रग्रहण के कारण वाराणसी की सदियों पुरानी परंपरा में बदलाव देखने को मिला। दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर रोजाना शाम में होने वाली गंगा आरती को दोपहर में ही आयोजित किया गया। चंद्रग्रहण रात 10 बजे से शुरू हो रहा था, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका सूतक काल दोपहर से ही लग जाता है, जिसके कारण यह निर्णय लिया गया। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि 1991 में आरती की शुरुआत के बाद यह पाँचवीं बार है जब ऐसा हुआ है। इससे पहले 16 जुलाई 2019, 27 जुलाई 2018 और 7 अगस्त 2017 को भी चंद्रग्रहण के कारण दिन में गंगा आरती हुई थी।

श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक अनोखा अनुभव

दिन में होने वाली इस आरती के साक्षी बनने का मौका कई श्रद्धालुओं और पर्यटकों को मिला। यह उनके लिए एक अद्वितीय और यादगार अनुभव था। जहां आमतौर पर घाटों पर शाम के समय भारी भीड़ होती है, वहीं दोपहर में हुई यह आरती एक अलग ही माहौल में संपन्न हुई। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष ने यह भी बताया कि गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण आरती इस समय घाट की छत पर आयोजित की जा रही है, जिससे सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

बंद हुए मंदिरों के कपाट

गंगा आरती के अलावा, चंद्रग्रहण के प्रभाव के कारण कई प्रसिद्ध मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए गए। काशी विश्वनाथ और अन्नपूर्णा मंदिर को छोड़कर वाराणसी के अन्य सभी प्रमुख मंदिर, जैसे संकटमोचन मंदिर और बड़ा गणेश मंदिर, दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिए गए। वाराणसी ही नहीं, बल्कि अयोध्या में राम मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए गए। यह दर्शाता है कि खगोलीय घटनाओं का भारतीय धार्मिक परंपराओं पर कितना गहरा प्रभाव पड़ता है। यह घटना विज्ञान और आस्था के बीच के अनूठे संबंध को दर्शाती है, जहाँ एक खगोलीय घटना के कारण सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं में भी बदलाव लाना पड़ा।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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