Varanasi News: शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जयन्ती पर सम्मानित हुए विद्वान्

Varanasi News: शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती की 91वीं जयन्ती का समारोह वाराणसी के हनुमान घाट स्थित मठ में मनाया गया।

Ajit Kumar Pandey
Published on: 11 Aug 2025 10:12 PM IST
Scholars honored on Shankaracharya Jayendra Saraswati Jayanti
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शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जयन्ती पर सम्मानित हुए विद्वान् (Photo- Newstrack)

Varanasi News: श्री कांचीकामकोटिपींठ के 68वें शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती की 91वीं जयन्ती का समारोह वाराणसी के हनुमान घाट स्थित मठ में मनाया गया। जयन्ती के कार्यक्रम में केन्द्रिय तिब्बती उच्च शिक्षण संस्थान, मानित विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष एवं संकाय प्रमुख प्रो0 धर्मदत्त चतुर्वेदी ने स्वरचित संस्कृत काव्यपाठ कर सभा को मन्त्रमुग्ध किया। उन्होने कहा कि श्री कांचीकामकोटिपींठ के शंकराचार्य जी ने गरीब, दलित एवं शोषित वर्गों की सेवा एवं उत्थान के लिये अनेक कार्य किये। मठ के द्वारा एकल विद्यालय का संचालन, चिकित्सालय, विद्यालय आदि का संचालन किया गया।

विश्वप्रसिद्ध शंकर नेत्रालय एवं आधुनिक विश्वविद्यालय के साथ-साथ वेदविद्या के लिये महर्शि सान्दीपनि वेदविद्या प्रतिष्ठान केन्द्र, उज्जैन की स्थापना महाराज के प्रमुख योगदान हैं। आज उसी के कारण सम्पूर्ण देश में लाखों की संख्या में प्रतिवर्ष वेदपाठी विद्वान तैयार हो रहे हैं। ये सभी तथ्य काव्य पाठ के माध्यम से प्रो0 चतुर्वेदी ने गाकर बताया। सभा में सम्मानित हुये विद्वान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रो0 शरदिन्दु कुमार तिवारी ने बताया कि पूज्य शंकराचार्य ने सम्पूर्ण भारत की पदयात्रा कर सामान्यजनों में आध्यात्म एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में अमूल्य योगदान दिया है। इसे भूला नही जा सकता।

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी विद्वान श्री राजेन्द्र कुमार दूबे ने अपने सम्मान के उद्बोधन में भगवान शिव एवं काशी के पौराणिक आख्यान को बताते हुये कहा कि यह काशी अविनाशी एवं अद्भुत है। पूज्य शंकराचार्य जी का काशी से अटूट सम्बन्ध था। महाराज जी ने उत्तरभारत में धर्मप्रचार के लिये काशी को ही अपना केन्द्र बनाया था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मठ के प्रबन्धक वीएस सुब्रहमण्यम मणि ने जयन्ती महोत्सव में काशी के विद्वानों एवं समाजसेवियों का सम्मान किया। साहित्य एवं व्याकरण शास्त्र के विद्वान् एवं प्रसिद्ध कवि प्रो. धर्मदत्त चतुर्वेदी को सर्वप्रथम सम्मानित किया गया। काशी हिन्दूविश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रो. शरदिन्दु कुमार तिवारी को मठ की सेवा एवं शंकराचार्य साहित्य के प्रकाशन एवं सम्पादन हेतु सम्मानित किया गया। वरिश्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी विद्वान राजेन्द्र कुमार दूबे को पत्रकारिता के साथ-साथ समाजसेवा के लिये मठ में सम्मानित किया गया।

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के मुमुक्षु भवन वेदवेदांग महाविद्यालय के प्राचार्य डा. शैलेन्द्रनाथ दीक्षित को वेद के प्रचार-प्रसार एवं मठ की सेवा का सम्मान प्रदान किया गया।

अध्यक्षीय भाषण में वीएस सुब्रहमण्यम मणि जी ने कहा कि मठ के द्वारा शीघ्र ही सनातनधर्म सेवाग्राम की योजना के अन्तर्गत वाराणसी एवं प्रयाग के मध्य गडौलीधाम में भव्य एवं सुव्यवस्थित आधुनिक विषयों के अध्यापन का केन्द्र संचालित होने लगेगा। वेद पाठशाला प्रारम्भ हो चुका है। अगले वर्ष से मठ द्वारा सम्मान का कार्यक्रम वही पर आयोजित किया जायेगा। घर्म प्रचार-प्रसार का कार्य केवल भाषण का विषय नही है। इसे धरातल पर उतारना पंडेगा।

सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु विद्वानों, समाजसेवियों एवं संस्थाओं को आगे बढ़कर कार्य करना होगा मठ इस हेतु हमेशा सहयोग करता रहेगा। समाज के बल पर ही मठ द्वारा सेवा का कार्य हो पाता है। इसलिये मठ के द्वारा विद्वानों एवं समाज सेवियों का निरन्तर सम्मान करने की परंपरा है।

कार्यक्रम में श्री पट्टाभिराम शास्त्री वेदमीमांसा अनुसंधान केन्द्र के सैकडों वेदपठियों के साथ-साथ श्री मुमुक्षु भवन वेदवेदांग महाविद्यालय के वेदपाठी छात्रों ने उपस्थित होकर श्रीमद्भगद्गीता का पारायण कर शंकराचार्य पूज्य जयेन्द्र सरस्वती जी का अर्चन किया।

कार्यक्रम के आयोजक संस्थाओं में सनातन धर्म सेवा ग्राम, श्री पट्टा भिराम शास्त्री वेदमीमांसा अनुसंधान केन्द्र, श्री जयेन्द्र सरस्वती वेद वेदान्त संस्क्त शिक्षा संस्थान, अंतरराष्ट्रीय संस्कृत प्रचार संस्थान एवं श्री मुमुक्षु भवन वेदवेदांग महाविद्यालय के प्रमुख प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन श्री मुमुक्षु भवन वेदवेदांग महाविद्यालय के प्राचार्य डा0 शैलेन्द्रनाथ दीक्षित ने किया। काशी के गणमान्य नागरिक एवं वेद पाठीजन उपस्थित रहे।

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