Varanasi News: काशी में राजनीति का नया ‘मंथन’! मोदी के दौरे से पहले कांग्रेस-सपा की दस्तक, जनता की आवाज़ बनने निकले विपक्षी दल

PM Modi Varanasi Visit: प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी दौरे से पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने उनसे मिलने का समय मांगा है। दालमंडी चौड़ीकरण, रोजगार, गंगा सफाई और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में अनियमितता जैसे मुद्दों पर पीएम से सीधा संवाद चाहते हैं।

Harsh Srivastava
Published on: 1 Aug 2025 5:40 PM IST
Varanasi News: काशी में राजनीति का नया ‘मंथन’! मोदी के दौरे से पहले कांग्रेस-सपा की दस्तक, जनता की आवाज़ बनने निकले विपक्षी दल
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PM Modi Varanasi Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2 अगस्त 2025 को प्रस्तावित वाराणसी दौरे से पहले बनारस की सियासी फिजा में अचानक गर्मी बढ़ गई है। विपक्ष की दो बड़ी ताकतें कांग्रेस और समाजवादी पार्टी अब खुद प्रधानमंत्री से सीधा संवाद चाह रही हैं। वजह है वाराणसी की जमीनी समस्याएं, जिनका जिक्र अब सिर्फ सोशल मीडिया या सड़कों पर नहीं, सीधे पीएमओ तक पहुंचाया गया है। वाराणसी, जिसे प्रधानमंत्री मोदी की कर्मभूमि कहा जाता है, अब उन्हीं के सामने कुछ तीखे सवालों और गहरी चिंताओं के साथ पेश होने जा रहा है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने औपचारिक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की मांग की है, जिसमें उन्होंने जनता के दर्द, स्मार्ट सिटी की सच्चाई और युवाओं के भविष्य से जुड़ी चिंताओं को सामने रखने की बात कही है।

दालमंडी की दीवारें बोल रहीं हैं

कांग्रेस ने अपने पत्र में वाराणसी के दालमंडी क्षेत्र में चल रहे सड़क चौड़ीकरण अभियान को केंद्र में रखते हुए कहा है कि यहां के लोग भारी प्रशासनिक उत्पीड़न और असमानता का सामना कर रहे हैं। पार्टी ने प्रशासन पर जबरन दुकानों को गिराने, बिना मुआवज़े और बातचीत के स्थानीय व्यापारियों को उजाड़ने का आरोप लगाया है। दालमंडी केवल एक गली नहीं है, यह बनारस की सांस्कृतिक और व्यावसायिक धड़कन है। कांग्रेस का कहना है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर जो योजनाएं बनाई जा रही हैं, वे जमीन पर जनता के साथ अन्याय और 'बिना प्लानिंग' की मिसाल बन चुकी हैं। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने यह भी संकेत दिया है कि वे प्रधानमंत्री को वाराणसी के अन्य इलाकों—लंका, गौदौलिया, बजरडीहा और बड़ीबाजार में हो रहे कथित भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अनदेखी के बारे में भी अवगत कराएंगे। जिलाध्यक्ष राजेश्वर सिंह पटेल की अगुवाई में 15 नेताओं का यह समूह ‘काशी के घाव’ लेकर सीधे प्रधानमंत्री से मिलना चाहता है।

सपा ने दिखाई जमीनी तस्वीर

वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने एक अलग लेकिन उतनी ही अहम चिंता सामने रखी है। सपा की महानगर लोहिया वाहिनी के अध्यक्ष संदीप मिश्रा ने प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में साफ लिखा है कि वाराणसी, भले ही पीएम की संसदीय सीट हो, लेकिन यहां के युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा, गंगा की सफाई में दिखावा ज़्यादा और नतीजे कम हैं, ट्रैफिक जाम और प्रदूषण ने आम नागरिक का जीना मुश्किल कर दिया है। सपा ने यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री को अब ‘रैलियों की भीड़’ से बाहर आकर ‘मूलभूत समस्याओं’ की बात सुननी चाहिए। पत्र के जरिए रविकांत विश्वकर्मा के माध्यम से मुलाकात की कोशिश की जा रही है ताकि पीएम को सीधी जमीनी हकीकत बताई जा सके।

दोनों दलों की मांगे सिर्फ विरोध नहीं, समाधान की पहल

यह बात अहम है कि कांग्रेस और सपा दोनों ने विरोध के साथ-साथ समाधान की दिशा भी बताई है। कांग्रेस जहां दालमंडी चौड़ीकरण को ‘संवाद और मुआवज़े’ के साथ आगे बढ़ाने की बात कर रही है, वहीं स्मार्ट सिटी के भीतर पारदर्शिता और स्थानीय लोगों की भागीदारी की मांग कर रही है। वहीं सपा ने युवाओं के लिए स्थायी रोजगार नीति, गंगा सफाई में स्थानीय सहभागिता, ट्रैफिक-प्रदूषण नियंत्रण और पर्यटन के ज़रिए अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने की बात कही है।

क्या वाकई मिलेगा समय? पीएमओ की चुप्पी से अटकलें तेज

अब सबसे बड़ा सवाल है क्या प्रधानमंत्री मोदी विपक्षी दलों से मुलाकात करेंगे? या यह पत्र भी कई पिछली चिट्ठियों की तरह 'कृपया ध्यान दें' के स्टेटस में अटक जाएगा? फिलहाल पीएमओ की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन वाराणसी के राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा तेजी से गरमाया हुआ है।

लोकतंत्र की आहट या राजनीतिक स्टंट?

यह खबर सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि 2024 के बाद 2025 में विपक्ष की नई रणनीति की झलक भी है। अब विपक्ष सिर्फ विरोध नहीं कर रहा, बल्कि जनता के मुद्दों को लेकर सत्ता के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। यह भारत के लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत भी है कि सवाल उठाए जा रहे हैं सीधे प्रधानमंत्री से, सीधे जनता के मुद्दों पर। अगर प्रधानमंत्री मोदी विपक्षी नेताओं से मिलते हैं, तो यह न केवल वाराणसी बल्कि देशभर के लिए एक बड़ा संदेश होगा कि लोकतंत्र में संवाद की गुंजाइश अब भी बाकी है।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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