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अब बस बहुत हुआ! अमेरिका ने रूस को दिया तगड़ा झटका,तेल कंपनियों पर लगाए कड़े प्रतिबंध; क्या होगा असर?
US Russia oil companies: अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं।
US Russia oil companies: अमेरिका ने बुधवार को रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह फैसला न केवल आर्थिक मोर्चे पर एक बड़ा झटका है, बल्कि यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव की एक और कड़ी भी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। ट्रंप ने कहा, “अब समय आ गया है कि हिंसा रुके। हमने बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन जब शब्द बेअसर हो जाएं, तो कदम उठाने पड़ते हैं।”
इस बयान के साथ ही अमेरिका ने रूस के तेल उद्योग पर ऐसी चोट की है, जिससे क्रेमलिन को वित्तीय तौर पर गहरी परेशानी झेलनी पड़ सकती है।
ट्रेजरी विभाग का सख्त रुख
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, “निर्दोष लोगों की हत्या अब बंद होनी चाहिए। पुतिन के इस निरर्थक युद्ध को रोकने के लिए हमें कठोर होना पड़ा है।” उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि अमेरिका की यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है। अगर जरूरी हुआ, तो हम और भी सख्त कदम उठाने को तैयार हैं। हम अपने सहयोगी देशों से भी इस मुहिम में साथ आने का आग्रह करते हैं।
इन प्रतिबंधों के दायरे में आने वाली कंपनियां रूस की तेल निर्यात व्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं, जो अब सीधी अमेरिकी निगरानी में आ गई हैं।
अस्थायी लेकिन असरदार: ट्रंप की उम्मीद
राष्ट्रपति ट्रंप ने उम्मीद जताई कि ये प्रतिबंध स्थायी नहीं रहेंगे, बल्कि रूस अगर शांति वार्ता की दिशा में कदम बढ़ाए तो इन्हें जल्द हटाया जा सकता है। उन्होंने कहा, “ये बहुत बड़े प्रतिबंध हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि यह स्थिति अस्थायी हो। हम चाहते हैं कि युद्ध खत्म हो और लोग सुरक्षित जीवन जी सकें।” ट्रंप ने यह भी बताया कि उनकी पुतिन से बातचीत हमेशा सौहार्दपूर्ण रही है, लेकिन नतीजे कभी आगे नहीं बढ़े।
रूस की अर्थव्यवस्था पर सीधा वार
अमेरिकी वित्त विभाग के अनुसार, इन प्रतिबंधों का मुख्य उद्देश्य रूस की ऊर्जा आय पर सीधा प्रहार करना है ताकि युद्ध को आर्थिक रूप से असंभव बना दिया जाए। विभाग ने कहा, “रूस की शांति प्रक्रिया में गंभीरता की कमी के कारण हमें यह कदम उठाना पड़ा। ये प्रतिबंध रूस की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाएंगे और उसे वार्ता की मेज पर लाने में मदद करेंगे।”
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