Apple ने ट्रंप को दिया बड़ा झटका, भारत को बनाया Iphone का नया हब! अब क्या करेगा अमेरिका?

Apple vs Donald Trump: उस कंपनी ने, जिसके सीईओ टिम कुक ट्रंप से कई बार सीधे मिल चुके थे। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ऐपल को भारत जैसे देशों में नहीं, बल्कि अमेरिका में iPhone बनाना चाहिए। लेकिन हुआ इसका उल्टा।

Harsh Srivastava
Published on: 21 May 2025 3:05 PM IST
Donald Trump vs Apple
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Donald Trump vs Apple: सदी का सबसे बड़ा लोकतंत्र, एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति, और एक टेक्नोलॉजी क्रांति का नया केंद्र यह कोई प्रचार नहीं, बल्कि हकीकत है। आज भारत सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनियों का सपना बन चुका है। और इस सपने को सबसे बड़ा मान्यता-पत्र तब मिला जब दुनिया की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी ऐपल (Apple) ने एक ऐसा कदम उठाया जो न केवल व्यापारिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया, बल्कि वैश्विक राजनीति को भी सीधा संदेश दे गया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो हर मंच पर ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा लगाते रहे, और अमेरिकी कंपनियों को घरेलू उत्पादन के लिए मजबूर करने की कोशिश करते रहे उन्हें ऐपल ने सीधी अनदेखी कर दी। वो भी उस कंपनी ने, जिसके सीईओ टिम कुक ट्रंप से कई बार सीधे मिल चुके थे। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ऐपल को भारत जैसे देशों में नहीं, बल्कि अमेरिका में iPhone बनाना चाहिए। लेकिन हुआ इसका उल्टा।

अब ऐपल ने ऐसा निर्णय लिया है जो न केवल ट्रंप की नीतियों को झटका देता है, बल्कि भारत को एक बार फिर वैश्विक मंच पर मैन्युफैक्चरिंग पॉवरहाउस के रूप में स्थापित करता है। ऐपल की मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) भारत में 1.5 अरब डॉलर यानी करीब 12,834 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। यह सिर्फ एक निवेश नहीं, बल्कि एक संकेत है कि ऐपल अब अमेरिका की बजाय भारत पर भरोसा कर रहा है।

Apple का बड़ा फैसला

ट्रंप की इस मांग के बावजूद कि ऐपल अमेरिका में iPhone का उत्पादन करे, कंपनी ने उल्टा रास्ता चुना और भारत को अपने वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क का केंद्र बना लिया। यह फैसला चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा है, लेकिन इससे भी बड़ा संकेत यह है कि भारत अब अमेरिका जैसी महाशक्तियों की भी प्राथमिकता बनता जा रहा है। फॉक्सकॉन भारत में यह निवेश अपनी सिंगापुर स्थित इकाई के ज़रिए कर रही है, जिससे दक्षिण भारत में उसकी उत्पादन क्षमता और बढ़ेगी। इससे पहले भी ऐपल भारत में ज़बरदस्त उत्पादन कर चुका है। पिछले एक साल में कंपनी ने भारत में 22 अरब डॉलर के iPhone बना लिए हैं, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 60% अधिक है। ये ज्यादातर फोन फॉक्सकॉन के ही दक्षिण भारत स्थित प्लांट से निकलते हैं। टाटा ग्रुप और पेगाट्रॉन भी ऐपल के लिए भारत में प्रोडक्शन कर रहे हैं। यह एक बड़ी तकनीकी क्रांति का संकेत है—जहां भारतीय कंपनियां अब केवल सप्लाई चेन का हिस्सा नहीं, बल्कि इसका नेतृत्व कर रही हैं।

Apple की ग्लोबल रणनीति और ट्रंप की नाकामी

ऐपल ने अमेरिका में भी बड़े-बड़े वादे किए थे। कंपनी ने कहा था कि वह अगले चार सालों में अमेरिका में 500 अरब डॉलर खर्च करेगी और अमेरिकी नागरिकों को लाखों नौकरियां देगी। लेकिन हकीकत यह है कि ऐपल अभी तक अमेरिका में एक भी स्मार्टफोन नहीं बनाता। यह बात ट्रंप की नीतियों पर सीधा सवाल खड़ा करती है। जब वह राष्ट्रपति थे, तब उन्होंने ऐपल के सीईओ टिम कुक से व्यक्तिगत तौर पर गुज़ारिश की थी कि कंपनी भारत जैसे देशों के बजाय अमेरिका में उत्पादन करे। ट्रंप का मानना था कि इससे घरेलू रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन ऐपल ने इस मांग को नज़रअंदाज़ कर भारत में विस्तार जारी रखा। यह स्पष्ट करता है कि टेक्नोलॉजी कंपनियां अब भू-राजनीतिक दबावों की बजाय आर्थिक और लॉजिस्टिक फायदे देखती हैं। भारत उन्हें वो सब दे रहा है सस्ता श्रम, मज़बूत टेक्नोलॉजिकल आधार, स्थिर सरकार और विशाल उपभोक्ता बाजार।

भारत के लिए क्या मायने रखता है यह कदम?

भारत के लिए यह सिर्फ एक विदेशी निवेश नहीं है, यह एक वैश्विक मान्यता है। आज भारत न केवल iPhone बना रहा है, बल्कि ऐपल की ग्लोबल सप्लाई चेन में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। इससे न केवल लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता भी अभूतपूर्व रूप से बढ़ेगी। फॉक्सकॉन, टाटा और पेगाट्रॉन का यह त्रिकोण भारत को टेक मैन्युफैक्चरिंग का नया वैश्विक केंद्र बना सकता है। आने वाले समय में अमेरिका में बिकने वाले हर दो iPhone में से एक भारत में बना हो सकता है। यह 'मेक इन इंडिया' मिशन के लिए बड़ी कामयाबी है। इसके साथ ही भारत के पास अब यह भी मौका है कि वह ऐपल जैसे ब्रांड्स के भरोसे से टेक्नोलॉजी इनोवेशन का हब भी बने जहां सिर्फ निर्माण नहीं, बल्कि R-&D, डिज़ाइन और सप्लाई चेन का संपूर्ण नेटवर्क विकसित हो।

अमेरिका के दबाव के बावजूद Apple ने इंडिया को चुना

जब ट्रंप जैसे नेता अमेरिका को ऐपल का उत्पादन केंद्र बनाना चाहते थे, तब दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी ने भारत को चुना। यह सिर्फ एक निवेश नहीं, बल्कि शक्ति संतुलन का प्रतीक है। ऐपल ने ये दिखा दिया कि भविष्य की दिशा कौन तय करेगा राजनीति नहीं, बल्कि बाज़ार की समझ और लॉजिस्टिक विज़न।भारत अब सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता है। और यही सबसे बड़ा झटका है ट्रंप जैसे राष्ट्रवादियों के लिए कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों के लिए ‘मेक इन इंडिया’ अब एक नारा नहीं, बल्कि एक रणनीति बन चुका है।

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Harsh Srivastava

News Cordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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