आयतुल्ला बनाम ट्रंप: सोशल मीडिया पर तीखी तकरार, बढ़ते तनाव ने जगाई वैश्विक चिंता

Ayatollah vs Trump: ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच खुलकर डिजिटल युद्ध छिड़ा हुआ है।

Newstrack Desk
Published on: 30 Jun 2025 9:57 PM IST
Ayatollah vs Trump
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Ayatollah vs Trump (Image Credit-Social Media)

न्यूयॉर्क। एक बेहद नाटकीय और तेजी से उग्र होती शब्दों की जंग, जो वैश्विक स्तर पर गंभीर परिणाम ला सकती है, इस समय ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच खुलकर डिजिटल युद्ध में तब्दील हो चुकी है। यह टकराव हाल ही में ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद सामने आया है।

अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से खामेनेई ने ट्रंप पर करारा हमला बोला और आरोप लगाया कि ट्रंप “सच को छिपाने के लिए अतिशयोक्ति का सहारा ले रहे हैं।” यह प्रतिक्रिया ट्रंप के उस दावे के जवाब में थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिकी सेनाओं ने ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों को “सर्जिकल एयर स्ट्राइक” में “पूरी तरह तबाह” कर दिया।

खामेनेई यहीं नहीं रुके। उन्होंने ट्रंप की “दया के भ्रम” का मजाक उड़ाते हुए उसकी खिल्ली उड़ाई। ट्रंप ने Truth Social पर दावा किया था कि हालिया ईरान-इज़राइल टकराव के दौरान उन्होंने “आयतुल्ला की जान बख्श दी।”

इस पर एक ईरानी सैन्य अधिकारी ने तीखा जवाब देते हुए कहा: “जिस तक पहुँच नहीं सकते, उसे बख्शने का दावा करना मूर्खता है।”

यह टिप्पणी ईरान की मजबूत सैन्य संरचना और नेतृत्व नेटवर्क की ओर संकेत थी।

ट्रंप का पलटवार – “ईरान को कुछ नहीं मिलेगा, न बातचीत, न समझौता, न रहम”

डोनाल्ड ट्रंप भी किसी राजनयिक संयम का पालन करते नहीं दिख रहे। Truth Social पर एक उग्र पोस्ट में उन्होंने लिखा:

“ईरान को कुछ नहीं मिलेगा। न बातचीत, न कोई डील, न कोई रहम।”

यह बयान वॉशिंगटन के विदेश नीति हलकों में भूकंप की तरह गूंज गया।

पोस्ट के साथ ट्रंप ने अमेरिकी झंडा और B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर की एक तस्वीर साझा की—वही बमवर्षक विमान जिसे ईरान के नतांज़ परमाणु संयंत्र पर हमले में प्रयोग किया गया था।

वैश्विक खतरे की घंटी

यह जुबानी जंग सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि दो कट्टर वैचारिक विरोधियों के बीच इस तरह की व्यक्तिगत छींटाकशी किसी भी सैन्य ग़लतफ़हमी को जन्म दे सकती है। ईरान की यूरेनियम संवर्धन प्रणाली के नष्ट होने के बाद हालात पहले ही ज्वलनशील हैं, और ईरानी साइबर-प्रतिकार की चर्चाएं अब तेज़ होती जा रही हैं।

संयुक्त राष्ट्र के राजनयिक पिछले दरवाजे से वार्ताएं शुरू करने में जुटे हैं, जिनमें यूरोपीय मध्यस्थ शामिल हैं, लेकिन अब तक कोई पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है।

2020 की याद – सुलेमानी की हत्या और युद्ध का खतरा

दुनिया को आज भी 2020 की वो रात याद है जब ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या ने अमेरिका और ईरान को लगभग सीधे युद्ध की कगार पर पहुँचा दिया था। अब, पांच साल बाद, दांव और भी ऊंचे हो गए हैं।

यह अब सिर्फ यूरेनियम और मिसाइलों की लड़ाई नहीं है।

यह अब एक अहम का टकराव, साम्राज्य का संघर्ष, और अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है—और यह सब रियल टाइम में, एक ट्वीट, एक पोस्ट के ज़रिये दुनिया के सामने हो रहा है।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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