चीन ने बढ़ाई भारत की टेंशन! श्रीलंका-पाकिस्तान के बाद अब ये देश भी फंसा ड्रैगन के जाल में...

China debt trap diplomacy: काफी दिनों से चीन बांग्लादेश को अपने कर्ज की जाल में फंसाने में निरंतर लगा हुआ है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने चीन ने 6700 करोड़ टका कर्ज लेने का निर्णय लिया है। इन पैसों का प्रयोग तीस्ता परियोजना के विकास में निवेश किया जाना है।

Priya Singh Bisen
Published on: 19 Aug 2025 1:58 PM IST
China debt trap diplomacy
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China debt trap diplomacy (photo credit: social media)

China debt trap diplomacy: शुरुआत से ही चीन की चालबाज़ी पूरे विश्व की नज़र से छिपी नहीं है। कभी पकिस्तान तो कभी कोई और देश.... कोई न कोई चीन की चाल में फंस ही जाता है। भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका और पाकिस्तान तो चीन के करीबी हैं ही.... मगर एक और देश चीन की जाल में फंसता नज़र आ रहा है। इस पड़ोसी देश का नाम है - बांग्लादेश। इधर काफी दिनों से चीन बांग्लादेश को अपने कर्ज की जाल में फंसाने में निरंतर लगा हुआ है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने चीन ने 6700 करोड़ टका कर्ज लेने का निर्णय लिया है। इन पैसों का प्रयोग तीस्ता परियोजना के विकास में निवेश किया जाना है। बता दे, तीस्ता परियोजना का सीधे भारत से सम्बन्ध है।

इस वक़्त बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में चीन का दौरा किया था जिसके बाद इस प्रोजेक्ट की स्पीड बढ़ गई है। इस साल के अंत तक दोनों देशों के बीच प्रोजेक्ट को लेकर वित्तीय समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। इसे तीस्ता मेगा प्रोजेक्ट नाम दिया गया है। चीन और भारत दोनों ने अलग-अलग समय पर इस परियोजना में अपनी रुचि जाहिर की है।

ये प्रोजेक्ट शेख हसीना सरकार भारत को देना चाहती थी

भारत के पूर्व विदेश सचिव विनय क्वात्रा पिछले साल मई महीने में बांग्लादेश यात्रा पर गए थे। इस दौरान भारत ने तीस्ता प्रोजेक्ट में निवेश करने में इच्छा जाहिर की थी। शेख हसीना की अगुआई वाली अवामी लीग सरकार भी चाहती थी कि भारत इस प्रोजेक्ट को फाइनेंस करे, लेकिन अगस्त महीने में बड़े पैमाने पर विद्रोह छिड़ गया जिसके बाद हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी।

पिछले साल 14 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस में, पूर्व PM शेख हसीना ने कहा, चीन तैयार है, लेकिन मैं चाहती हूं कि भारत इस प्रोजेक्ट पर काम करे। तीस्ता परियोजना बांग्लादेश के लिए तीन कारणों से महत्वपूर्ण है। पहला- मानसून के समय तीस्ता बेसिन में बाढ़ को नियंत्रित करना। दूसरा- मानसून से पहले और बाद में नदी तट के कटाव को कम करना। तीसरा- गर्मियों के मौसम में नदी में जल प्रवाह में वृद्धि। तीस्ता नदी बांग्लादेश में 115 किमी तक फैली हुई है। इसमें से 45 किमी इलाका कटान प्रभावित है। 20 किमी के इलाके में हालात बेहद खराब है।

गर्मियों के मौसम में सूखा

तीस्ता बेसिन जल प्रवाह की कमी की वजह से सूखे की मार झेल रहा है, लेकिन यह इलाका सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास होने के कारण से संवेदनशील है। भारत इस क्षेत्र में चीन की मौजूदगी नहीं चाहता।

तीस्ता बांग्लादेश और भारत के बीच साझा की जाने वाली ट्रांसबाउंडरी नही है। यह बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर बहती है।

तीस्ता समझौता अब भी है अधूरा

बता दे, तीस्ता नदी के पानी को लेकर बांग्लादेश और भारत के बीच विवाद लंबे वक़्त से चला आ रहा है। 1983 में दोनों देशों ने एक अस्थायी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, इसके अनुसार भारत को तीस्ता नदी का 39% और बांग्लादेश को 36% पानी प्राप्त होगा। हालांकि इसे लेकर कोई स्थायी समझौता कभी नहीं हो पाया।

साल 2011 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान, तीस्ता जल-बंटवारे के समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना थी। एक मसौदा भी तैयार किया गया था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आपत्तियों के वजह से अंतिम वक़्त में समझौता नहीं हो पाया था। इसके बाद समझौता आगे कही बढ़ ही नहीं पाया।

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