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नाराजगी रूस से, चोट भारत को, Russia पर कार्रवाई के नाम पर EU ने भारतीय रिफाइनरी पर लगाया प्रतिबंध
यूरोपीय संघ ने गुजरात स्थित वडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाए हैं। जिसमें रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट की हिस्सेदारी है। यह पहली बार है जब EU ने भारत की किसी प्रमुख ऊर्जा संपत्ति को निशाना बनाया है।
EU Sanction on Indian Refinery: यूरोपीय संघ ने रूस पर नए प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए पहली बार भारत स्थित एक प्रमुख रिफाइनरी को निशाना बनाया है। EU की टॉप डिप्लोमैट काजा कैलास ने कहा, हम पहली बार किसी फ्लैग रजिस्ट्री और भारत में स्थित सबसे बड़ी रोसनेफ्ट रिफाइनरी को प्रतिबंधित कर रहे हैं।
यह प्रतिबंध गुजरात के वडिनार में स्थित उस रिफाइनरी पर लगाया गया है। जिसमें रूस की सरकारी तेल कंपनी Rosneft की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। वडिनार रिफाइनरी न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों की रीढ़ है। साथ ही दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी और रणनीतिक रूप से अहम रिफाइनरियों में से एक है।
यूरोपीय संघ ने रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर 18वें दौर के आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है। इस नए पैकेज में यूरोपीय संघ ने पहली बार रूस के तेल निर्यात को वैश्विक स्तर पर टारगेट करते हुए उन रिफाइनरियों को भी शामिल किया है जो रूसी कच्चे तेल को रिफाइन करती हैं। इसमें भारत की एक प्रमुख रिफाइनरी भी शामिल है।
ब्रसेल्स से जारी बयान में कहा गया कि भारत में स्थित सबसे बड़ी रोसनेफ्ट रिफाइनर अब प्रतिबंधित इकाइयों में शामिल हैं। हालांकि रिफाइनरी का नाम आधिकारिक रूप से नहीं बताया गया। लेकिन संकेत स्पष्ट हैं कि यह गुजरात की वडिनार रिफाइनरी है। जिसे पहले एस्सार ऑयल द्वारा बनाया गया था और अब नायरा एनर्जी लिमिटेड संचालित करती है। इस कंपनी में रूसी कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है। यूरोपीय संघ ने इसके अलावा नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइनों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं और रूसी कच्चे तेल के दाम को बाज़ार मूल्य से 15% कम रखने की शर्त तय की है। इसका मकसद रूस के ऊर्जा राजस्व को सीमित करना है।
इस प्रतिबंध पैकेज के तहत 20 और रूसी बैंकों को अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली SWIFT से बाहर कर दिया गया है, जिससे रूस की वैश्विक लेन-देन व्यवस्था पर और असर पड़ेगा। EU की वरिष्ठ अधिकारी काजा कैलास ने यह भी कहा कि एक भारतीय ध्वज रजिस्ट्री को भी प्रतिबंधित किया जा रहा है। इसका तात्पर्य यह है कि भारतीय ध्वज वाले ऐसे जहाज जो रूस से तेल का परिवहन करते हैं। अब यूरोपीय कार्रवाई की सीमा में आ जाएंगे। हालांकि यूरोपीय संघ ने रूस के तेल निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है। लेकिन उसने मूल्य नियंत्रण के माध्यम से तेल व्यापार पर नकेल कसने की कोशिश की है।
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