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India Oil Masterstroke: भारत का 'तेल का महायुद्ध' दांव: ईरान-इजरायल तनाव के बीच रूस से 23 करोड़ बैरल तेल खरीदकर वैश्विक बाजार में मचाया तूफान!
India Oil Masterstroke: जब मध्य-पूर्व धधक रहा था, भारत ने खेली ऊर्जा कूटनीति की सबसे बड़ी बाजी, बना ग्लोबल ऑयल गेम का 'मास्टर प्लेयर'
India Masterstroke (Social Media image)
India Oil Masterstroke: जब मध्य-पूर्व में ईरान-इजरायल तनाव अपने चरम पर था, बम गिर रहे थे और वैश्विक तेल बाजार की नसें थरथरा रही थीं, ठीक उसी वक्त भारत ने एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक खेला जिसने न केवल उसे संभावित ऊर्जा संकट से बचाया, बल्कि पूरी दुनिया को उसकी ऊर्जा कूटनीति की ताकत का एहसास भी करा दिया. अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और ओपेक देशों के लिए रणनीतिक झटके के रूप में, भारत ने चुपचाप रूस के साथ एक नई और दीर्घकालिक ऊर्जा रणनीति पर काम किया – और इसका सबसे बड़ा हथियार बना रूस से 23 करोड़ बैरल यूराल ग्रेड कच्चे तेल का आयात.
जब दुनिया डरी, भारत ने किया तेल का 'शिकार'
डेटा एनालिटिक्स फर्म केप्लर की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में भारतीय कंपनियों ने रूस से समुद्री मार्ग से भेजे गए कुल तेल का 80% हिस्सा अकेले खरीद लिया. यह आंकड़ा न केवल रूस-भारत के संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ता है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे भारत ने वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में एक बड़ा रणनीतिक दांव खेला.
रिलायंस और नायरा ने दिखाया भारत का दम
देश की दो प्रमुख तेल कंपनियां – रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी – इस बड़े तेल खरीद अभियान का नेतृत्व कर रही हैं. रिपोर्ट बताती है कि 2025 में भारत द्वारा खरीदे गए कुल 23.1 करोड़ बैरल यूराल क्रूड में से लगभग 45% हिस्सा इन्हीं दो कंपनियों ने खरीदा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 7.7 करोड़ बैरल के साथ खुद को विश्व का सबसे बड़ा रूसी तेल खरीदार स्थापित किया है.
रिलायंस ने रूस की दिग्गज ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट के साथ एक 10 साल का भारी-भरकम समझौता भी किया है, जिसकी अनुमानित वैल्यू सालाना 13 अरब डॉलर बताई जा रही है. यह डील न केवल भारत को कच्चे तेल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करेगी, बल्कि यह होर्मूज जलमार्ग जैसे रणनीतिक संकटों के लिए भी देश को तैयार रखती है.
होर्मूज का डर, लेकिन भारत रहा निडर
जब अमेरिका ने ईरान के प्रमुख परमाणु संयंत्रों पर बमबारी की, तो खाड़ी में तनाव चरम पर था. ईरान ने बदले में होर्मूज जलमार्ग को बंद करने की धमकी दी – यह वही मार्ग है जिससे दुनिया का लगभग 20% कच्चा तेल गुजरता है. तेल विश्लेषकों ने चेतावनी दी थी कि अगर यह मार्ग बंद होता है तो तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं.
लेकिन भारत तैयार था. ऊर्जा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यदि जलमार्ग बंद होता भी है, तो वैकल्पिक आपूर्ति योजनाओं और रूस जैसे विश्वसनीय सहयोगियों की मदद से भारत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. यहीं पर भारत की दूरदर्शी ऊर्जा रणनीति का असली दम दिखा.
रूस बना भारत का 'तेल गुरु'
2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत रूस से नगण्य मात्रा में तेल खरीदता था. लेकिन पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रहे रूस ने भारत को रियायती दरों पर कच्चा तेल देने की पेशकश की, और भारत ने इस अवसर को भुना लिया. आज नतीजा यह है कि रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है. मई 2025 में भारत का रूसी तेल आयात 18 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुँच गया – जो पिछले 10 महीनों में सबसे ऊंचा आंकड़ा है.
ऊर्जा कूटनीति में भारत की बड़ी जीत
इस पूरे घटनाक्रम में भारत ने यह साबित कर दिया है कि वह अब सिर्फ तेल का खरीदार नहीं, बल्कि तेल नीति का एक वैश्विक खिलाड़ी बन चुका है. जहाँ पश्चिमी देश ईरान-इजरायल संघर्ष से उपजे अनिश्चितता से उबरने में लगे हैं, वहीं भारत ने पहले ही अपने ऊर्जा भविष्य की नींव मजबूत कर ली है. रूस के साथ बढ़ती तेल साझेदारी न केवल भारत को सस्ते दामों पर ऊर्जा दे रही है, बल्कि यह उसकी विदेश नीति में भी स्थिरता और विश्वसनीयता ला रही है.
क्या कहता है भविष्य?
जैसे-जैसे वैश्विक तनाव बढ़ते जाएंगे, तेल आपूर्ति का संकट और गहरा सकता है. लेकिन भारत ने पहले ही अपनी चाल चल दी है. रूस जैसे सहयोगी के साथ दीर्घकालिक डील, घरेलू रिफाइनरियों की क्षमता बढ़ाना और वैकल्पिक स्रोतों पर निवेश – ये सभी एक ऐसे भारत की तस्वीर पेश करते हैं, जो वैश्विक अनिश्चितताओं से डरता नहीं, बल्कि उनसे अवसर पैदा करता है. अब भारत तेल मांगने वाला नहीं, बल्कि तेल गेम का 'मास्टर प्लेयर' बन चुका है.
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