ईरान ने किया होर्मुज स्ट्रेट बंद, दुनिया पर मंडराया सबसे बड़ा तेल संकट, भारत समेत पूरे दुनिया की हालत खराब

Iran Closed Strait of Hormuz: ईरान की संसद ने बड़ा प्रस्ताव पास करते हुये पूरी दुनिया को बड़ा झटका दे दिया है। संसद ने रणनीतिक रूप से बेहद अहम होर्मुज की खाड़ी को बंद करने का प्रस्ताव पास कर दिया है। हालांकि अंतिम निर्णय ईरान के सुप्रीम लीडर लेंगे।

Shivam Srivastava
Published on: 22 Jun 2025 8:27 PM IST (Updated on: 22 Jun 2025 9:14 PM IST)
Iran Closes Strait of Hormuz
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Iran Closes Strait of Hormuz (Photo: Social Media)

Iran Closed Strait of Hormuz: अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए हालिया हमले के बाद पश्चिम एशिया में युद्ध की आशंका अपने चरम पर पहुंच चुकी है। ईरान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह इस हमले का जवाब देगा। अमेरिका के हमले के तुरंत बाद इजराइल पर लगभग 30 मिसाइलें दागी गईं। जिसके बाद वेस्ट एशिया में तनाव और भी बढ़ गया है।

अब ईरान की संसद ने बड़ा प्रस्ताव पास करते हुये पूरी दुनिया को बड़ा झटका दे दिया है। संसद ने रणनीतिक रूप से बेहद अहम होर्मुज की खाड़ी को बंद करने का प्रस्ताव पास कर दिया है। हालांकि अंतिम निर्णय ईरान के सुप्रीम लीडर लेंगे। लेकिन यह रूट बंद होता है तो इसके गंभीर वैश्विक आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं।

तेल की कीमतों में भारी उछाल की संभावना

Strait of Hormuz से दुनिया का लगभग 20% कच्चा तेल गुजरता है। जो मुख्य रूप से एशियाई देशों को भेजा जाता है। इसके माध्यम से गैस का भी बड़ा हिस्सा ट्रांसपोर्ट होता है। यह रूट भारत, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए मध्य पूर्व से आयात और निर्यात का प्रमुख मार्ग है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान इस रूट को बंद करता है तो अमेरिका इसपर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दे सकता है। इससे वैश्विक बाजार में तेल और गैस की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है।

भारत पर पड़ेगा सीधा असर

भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों से पूरा करता है। भारत का लगभग 50% कच्चा तेल और गैस इसी रूट से आता है। भारत की LNG जरूरतों में से 40% कतर और 10% अन्य खाड़ी देशों से पूरी होती है। वहीं कच्चे तेल का करीब 21% इराक और शेष अन्य खाड़ी देशों से आयात किया जाता है। यदि होर्मुज स्ट्रेट बंद होती है तो भारत में तेल और गैस की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। साथ ही, भारत से खाड़ी देशों को होने वाला निर्यात भी प्रभावित होगा क्योंकि वैकल्पिक रूट लंबा और महंगा होगा। इससे निर्यात लागत बढ़ेगी और व्यापारिक असंतुलन पैदा हो सकता है।

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