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बूंद-बूंद डीजल-पेट्रोल को तरसाएगा ईरान! हजारों की कीमत में मिलेगा अब तेल
US Attack on Iran: तेल संकट और युद्ध की आशंका ने अमेरिकी शेयर बाजार को भी झटका दिया है। शुक्रवार को S&P 500 और नैस्डैक में गिरावट दर्ज की गई।
Oil Crisis: ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर अमेरिका ने हवाई हमले किए हैं। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम के "मूल केंद्रों पर सटीक प्रहार" था। इस कार्रवाई के बाद मध्य पूर्व में तनाव गहराता जा रहा है, और पूरी दुनिया की नजरें अब इस संघर्ष पर टिक गई हैं।
इजरायल और ईरान के बीच पहले से चल रहे युद्ध में अमेरिका के भी सीधे शामिल होने से हालात और विस्फोटक हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे क्षेत्रीय संघर्ष वैश्विक संकट में तब्दील हो सकता है।
कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार उछाल
इजरायल-ईरान युद्ध का असर अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार पर साफ दिख रहा है। बीते एक हफ्ते में ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 18% तक की वृद्धि देखी गई, जो 79 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। सप्ताह के अंत तक यह थोड़ी गिरावट के साथ 77 डॉलर पर बंद हुई। इसी तरह, वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) का भाव भी 75 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है।
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अमेरिका और ईरान के बीच यह संघर्ष लंबा चला, तो तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं। कुछ वैश्विक वित्तीय संस्थाएं जैसे जेपी मॉर्गन, सिटी बैंक और डॉयचे बैंक ने भी चेतावनी दी है कि यदि टकराव बढ़ता है, तो दरें 130 डॉलर प्रति बैरल को भी पार कर सकती हैं।
होरमुज जलडमरूमध्य बना ‘हाई रिस्क ज़ोन’
संघर्ष के चलते होरमुज जलडमरूमध्य को एक ‘उच्च जोखिम वाला क्षेत्र’ घोषित कर दिया गया है, जो दुनिया की एक तिहाई कच्चे तेल की आपूर्ति का मार्ग है। इसके तुरंत बाद बीमा कंपनियों ने समुद्री बीमा की दरें बढ़ा दी हैं, जिससे टैंकरों का किराया काफी बढ़ गया है। इसके साथ ही, कई शिपिंग कंपनियों ने इस मार्ग से दूरी बनाकर वैकल्पिक रास्ते अपनाने शुरू कर दिए हैं। इससे माल ढुलाई में लगने वाला समय और खर्च दोनों बढ़ गए हैं।
शेयर बाजार में गिरावट, सोने और डॉलर में निवेश बढ़ा
तेल संकट और युद्ध की आशंका ने अमेरिकी शेयर बाजार को भी झटका दिया है। शुक्रवार को S&P 500 और नैस्डैक में गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों ने जोखिम भरे बाजार से पैसे निकालकर सोना और डॉलर जैसे सुरक्षित विकल्पों में निवेश करना शुरू कर दिया है।
मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि अगर ईरान की तरफ से जवाबी हमला हुआ या अमेरिका ने और सख्त कार्रवाई की, तो बाजारों में बड़ी उथल-पुथल देखी जा सकती है। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ेगा और महंगाई में तेजी आ सकती है।
केंद्रीय बैंकों की दरों पर भी असर संभव
तेल की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी और आपूर्ति बाधाओं के चलते यह भी आशंका जताई जा रही है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती की योजनाओं को टाल सकते हैं। इससे आर्थिक रिकवरी की गति धीमी पड़ सकती है।स्थिति फिलहाल बेहद संवेदनशील है, और आने वाले दिन वैश्विक शांति, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिहाज से बेहद निर्णायक हो सकते हैं।
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