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भारत के खिलाफ बड़ी साजिश, हिंदुस्तान की एक पॉलिसी ने दुनिया में मचाया तहलका, WTO पहुंचा चीन
चीन ने भारत की इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी उत्पादन सब्सिडी नीतियों के खिलाफ WTO में शिकायत दर्ज कराई। चीन का आरोप है कि ये नीतियाँ वैश्विक व्यापार के नियमों का उल्लंघन करती हैं।
China WTO complaint against India: जहाँ एक ओर दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ वैश्विक व्यापार में अपनी पकड़ मज़बूत करने में जुटी हैं, वहीं अब भारत और चीन के बीच एक नया और गंभीर व्यापारिक मोर्चा खुल गया है। यह तनातनी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और बैटरी उत्पादन से जुड़ी भारत सरकार की सब्सिडी योजनाओं को लेकर है। चीन, जिसने वैश्विक ईवी बाज़ार पर लगभग कब्ज़ा कर रखा है, अब भारत की स्वदेशी विनिर्माण (Manufacturing) नीतियों से परेशान हो गया है। बुधवार को, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत की इन नीतियों के खिलाफ़ औपचारिक शिकायत दर्ज करा दी है। चीन का सीधा आरोप है कि भारत की ये नीतियाँ उसके आर्थिक हितों को बड़ा नुकसान पहुँचा रही हैं।
WTO में चीन की आधिकारिक शिकायत: 'अनुचित लाभ' का आरोप
चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि भारत सरकार द्वारा ईवी और बैटरी निर्माण के लिए दी जा रही सब्सिडी योजनाएँ अंतरराष्ट्रीय व्यापार के निष्पक्ष नियमों के पूरी तरह खिलाफ़ हैं। चीन का दावा है कि इन पॉलिसीज से भारत अपने स्थानीय उद्योगों को अनुचित प्रतिस्पर्धात्मक लाभ दे रहा है। मंत्रालय के अनुसार, इन योजनाओं ने विदेशी कंपनियों, विशेष रूप से चीनी ईवी और बैटरी निर्माताओं, के लिए बाज़ार में एक असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बना दिया है। मंत्रालय ने बयान में साफ़ कहा, "भारत द्वारा लागू की गई सब्सिडी पॉलिसीज वैश्विक व्यापार व्यवस्था के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं। चीन अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगा।" यह शिकायत न केवल दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ाएगी, बल्कि डब्ल्यूटीओ में एक लंबी कानूनी लड़ाई का संकेत भी है।
भारत की ईवी पॉलिसी से चीन को क्यों है इतनी चिंता?
भारत सरकार पिछले कुछ वर्षों से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और अपनाने को बढ़ावा देने के लिए आक्रामक रूप से काम कर रही है। इनमें FAME-II योजना (हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों का तेज़ी से अपनाना और विनिर्माण) और पीएलआई योजना (उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना) शामिल हैं।इन नीतियों का मूल उद्देश्य देश में ईवी उत्पादन को तेज़ी से बढ़ाना, आयात पर निर्भरता को कम करना और स्वदेशी विनिर्माण को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करना है। चीन का आरोप है कि भारत की ये नीतियाँ वास्तव में संरक्षणवादी हैं, जो जानबूझकर विदेशी कंपनियों को भारतीय बाज़ार से बाहर कर रही हैं। यह सीधे तौर पर वैश्विक प्रतिस्पर्धा को प्रभावित कर रहा है। चूंकि चीन वैश्विक ईवी बाज़ार में एक प्रमुख शक्ति है, इसलिए भारतीय बाज़ार में उसके लिए दरवाज़े बंद होने की संभावना चीन की सबसे बड़ी चिंता है।
वैश्विक बाज़ार में चीन का वर्चस्व और चेतावनी
एजेंसी रिपोर्टों के अनुसार, वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री का लगभग दो-तिहाई हिस्सा अकेले चीन के पास है। बाज़ार अनुसंधान फर्म रो मोशन (Rho Motion) के डेटा के मुताबिक, चीन ने हाल ही में करीब 1.3 मिलियन (13 लाख) ईवी यूनिट्स की बिक्री की है, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक है। यह आँकड़ा साबित करता है कि चीन ईवी उत्पादन और बिक्री दोनों में दुनिया का निर्विवाद अग्रणी बना हुआ है। वैश्विक बाज़ार पर अपने इस वर्चस्व के बावजूद, चीन भारतीय बाज़ार में अपनी पहुँच कम होने से बेचैन है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने अपने बयान में अंततः यह चेतावनी भी दी है कि चीन अपने घरेलू उद्योगों के हितों की सुरक्षा के लिए "सख्त और प्रभावी कदम" उठाएगा। मंत्रालय ने निष्कर्ष रूप में कहा कि भारत की नीतियाँ "अंतरराष्ट्रीय व्यापार में निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों को कमजोर कर रही हैं।" अब देखना यह है कि डब्ल्यूटीओ में भारत इस शिकायत का जवाब किस तरह देता है और क्या यह विवाद दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को और अधिक कड़वा करता है।
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