India Russia Friendship: भारत-रूस की अटूट दोस्ती पर ट्रंप की टेढ़ी नजर! तेल-हथियार से लेकर रणनीतिक साझेदारी तक क्यों खटक रहा अमेरिका?

India Russia Friendship History: आज जब पूरी दुनिया फ्रेंडशिप डे मना रही है, तब भारत और रूस की ऐतिहासिक दोस्ती एक बार फिर से चर्चा में आ गयी है।

Priya Singh Bisen
Published on: 3 Aug 2025 2:00 PM IST
India Russia Friendship History
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India Russia Friendship History (photo credit: social media)

India Russia Friendship History: आज जब पूरी दुनिया फ्रेंडशिप डे मना रही है, तब भारत और रूस की ऐतिहासिक दोस्ती एक बार फिर से चर्चा में आ गयी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने और रूस से हो रहे तेल व्यापार पर नाराजगी जताने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका को भारत-रूस की करीबी रास नहीं आ रही। ट्रंप ने तो यहां तक कहा कि एकदि भारत रूस से तेल खरीदता रहा, तो उस पर पेनाल्टी भी लगाई जा सकती है। लेकिन भारत ने दो टूक कह दिया कि वह अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा।

दशकों पुरानी है भारत-रूस की दोस्ती

भारत और रूस के सम्बन्ध आज के नहीं हैं, बल्कि यह दोस्ती सोवियत संघ के जमाने से चली आ रही है। जब भारत आजाद हुआ था, तभी से दोनों देशों ने रक्षा और रणनीतिक साझेदारी की मजबूत नींव रखी। साल 1950 के दशक में शुरू हुए रक्षा सहयोग ने वक़्त के साथ और मजबूती पाई और आज तक जारी है।

भारत ने 1962-63 में सोवियत संघ के साथ मिग-21 सुपरसोनिक फाइटर जेट के लिए करार किया था। इस सौदे ने भारतीय वायुसेना को एक नई दिशा दी और 1965, 1971 और 1999 की लड़ाइयों में इसने भारत की सहायता की। इसके बाद मिग-23, मिग-27, मिग-29 और फिर 1996 में सुखोई-30MKI जैसे सौदे हुए, जिनमें से कई विमान भारत में ही बनाए जा रहे हैं।

ब्रह्मोस से एस-400 तक भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी

भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग की एक और मिसाल है ब्रह्मोस मिसाइल। साल 2001 में शुरू हुई इस परियोजना ने भारत को विश्व की सबसे तेज और सटीक क्रूज मिसाइलों में से एक दी। वहीं, साल 2018 में अमेरिका की आपत्ति के बावजूद भारत ने रूस से 5.43 बिलियन डॉलर में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने का फैसला लिया। 2021 से इसकी डिलीवरी भी शुरू हो चुकी है। यह सिस्टम 400 किमी की दूरी से दुश्मन की मिसाइल और फाइटर जेट को पहचान कर तबाह करने की क्षमता रखता है।

सिर्फ रक्षा नहीं, सांस्कृतिक रिश्ते भी गहरे

भारत और रूस के बीच सिर्फ सामरिक और व्यापारिक संबंध ही नहीं हैं, बल्कि सांस्कृतिक रिश्ते भी उतने ही मजबूत हैं। रूस में आज भी राज कपूर और बॉलीवुड की लोकप्रियता बरकरार है। भारतीय छात्र बड़ी संख्या में रूसी विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं। वहीं योग, आयुर्वेद और भारतीय साहित्य भी रूस में लोकप्रिय हैं।

भारत ने रूस के अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे में निवेश कर यूरेशियाई व्यापार को भी नया आयाम दिया है। यह गलियारा भारत, रूस और ईरान को जोड़ते हुए मध्य एशिया और यूरोप तक भारत की पहुंच को आसान बनाता है।

अमेरिका को क्यों नहीं पसंद भारत-रूस की दोस्ती?

अमेरिका लंबे वक़्त से चाहता रहा है कि भारत रूस से दूरी बनाए और उसकी तरफ झुकाव बनाये। डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर टैरिफ लगाना और रूस से तेल खरीद पर नाराजगी जताना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। अमेरिका को डर है कि अगर भारत रूस से रक्षा उपकरण और सस्ता तेल लेता रहा, तो वह अमेरिकी हथियार और ऊर्जा के बड़े बाजार से दूर हो जाएगा।

अमेरिका भारत को अपना एफ-35 फाइटर जेट बेचना चाहता था, लेकिन भारत ने इसे खरीदने से साफ़ मना कर दिया। वहीं, चीन और रूस की बढ़ती दोस्ती को देखते हुए अमेरिका चाहता है कि भारत को रूस से अलग किया जाए। ट्रंप द्वारा की गई दबाव की राजनीति इसी का उदाहरण है।

भारत का दो टूक जवाब

भारत ने यह साफ़ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र है और वह राष्ट्रीय हितों के आधार पर फैसले लेगा। रूस से तेल खरीदना भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है और इससे भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं। अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत ने अपने रुख में कोई बदलाव नहीं किया है।

बता दे, भारत और रूस की दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है। चाहे रक्षा हो, ऊर्जा हो, या सांस्कृतिक आदान-प्रदान – दोनों देशों के संबंध गहरे और भरोसेमंद हैं। अमेरिका की आंखें तरेरने और ट्रंप की चेतावनियों के बावजूद भारत-रूस की साझेदारी अडिग है। यही वजह है कि यह दोस्ती आज भी दुनियाभर में मिसाल बनी हुई है।

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