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तालिबान को मान्यता देगा भारत! इस कूटनीतिक कदम से संबंध होंगे मजबूत
India Taliban relations: भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को आधिकारिक रूप से दूतावास का दर्जा दे दिया है।
India Taliban relations: भारत ने अपने तकनीकी मिशन को आधिकारिक रूप से दूतावास का दर्जा देकर एक नई कूटनीतिक इबारत लिख दी। यह कदम न केवल भारत-तालिबान संबंधों में नए अध्याय का संकेत है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भारत की सक्रियता को भी उजागर करता है।
विदेश मंत्रालय ने इस कदम को अफगानिस्तान के समग्र विकास, मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण में भारत की भागीदारी को मजबूत करने वाला बताया है। इस दूतावास का नेतृत्व एक वरिष्ठ राजनयिक करेंगे, जिन्हें चार्ज डी’अफेयर्स के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 10 अक्टूबर को तालिबान के विदेश मंत्री आमिर मुत्तकी के साथ मुलाकात में इस ऐलान की पुष्टि की थी। इससे यह संकेत मिला कि भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनयिक संबंध फिर से मजबूत और नियमित हो रहे हैं।
साल 2022 से लेकर अब तक
साल 2022 से भारत ने काबुल में तकनीकी मिशन संचालित किया था। लेकिन अब दूतावास का दर्जा मिलने के साथ भारत-तालिबान संबंधों में नई गहराई आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे यह सवाल भी उठ सकता है कि क्या भारत तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता दे सकता है।
अफगानिस्तान का स्पष्ट बयान
अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मौलवी मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने हाल ही में पाकिस्तान द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया। याकूब ने कहा कि अफगानिस्तान कभी किसी देश को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने नहीं देता और भारत-पाकिस्तान के साथ उनके संबंध केवल राष्ट्रीय हितों पर आधारित हैं।
पाकिस्तान की आरोपबाजी और भारत का जवाब
बीते दिनों 11 अक्टूबर को काबुल में हुए धमाकों के कुछ दिन बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर हिंसा भड़क गई थी। पाकिस्तान ने भारत को इस घटना का जिम्मेदार ठहराया, जबकि भारत ने इसे पुरानी आदत बताया और सख्त जवाब दिया।
पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने भी 18 अक्टूबर को बयान दिया कि भारत पाकिस्तान में आतंक फैला रहा है और दोनों देशों के बीच किसी भी संभावित युद्ध में पाकिस्तान का जवाब बहुत भयंकर होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि परमाणु क्षमता के माहौल में किसी को जंग की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
नई कूटनीतिक दिशा
भारत का काबुल में दूतावास खोलना केवल एक औपचारिक कदम नहीं, बल्कि क्षेत्रीय कूटनीति में भारत की सक्रियता और अफगानिस्तान में विकास व मानवीय पहल में उसकी भागीदारी को दर्शाता है। यह कदम न सिर्फ राजनयिक संबंधों की मजबूती दिखाता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए भारत की भूमिका को भी और स्पष्ट और प्रभावशाली बनाता है। काबुल में यह नया अध्याय भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा, जो दक्षिण एशिया की राजनीतिक दिशा और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।
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