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तिलमिलाया पाकिस्तान! भारत का दौरा करने वाले हैं तालिबान के विदेश मंत्री, बदल जाएगा Pak खेल
इस खबर से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगेगा क्योंकि वह लंबे वक़्त से अफगानिस्तान पर अपना पैर जमाना चाहता है
India Afghanistan Relation (photo: social media)
India Afghanistan Relation: पहलगाम आतंकी हमले पर भारत का पकिस्तान के लिए कड़ा रुख अपना लिया है। किसी भी कीमत पर अब भारत पकिस्तान से किसी भी वार्ता या समझौते के लिए तैयार नहीं हो रहा है जिससे पाक बुरी तरह से तीलमिलाया हुआ है। अब जल्द ही आने वाले दिनों में भारत अफगानिस्तान के रिश्तों में बड़ा बदलाव हो सकता है। जानकारी के मुताबिक, तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी आगामी महीने भारत के दौरे पर आ सकते हैं। यदि यह दौरा होता है तो यह साल 2021 में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद किसी अफगान मंत्री की भारत में पहली उच्च-स्तरीय आधिकारिक यात्रा होगी। इस खबर से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगेगा क्योंकि वह लंबे वक़्त से अफगानिस्तान पर अपना पैर जमाये रखना चाहता है।
भारत और अफगानिस्तान के संबंधों में नया मोड़
जानकारी के मुताबिक, भारत और अफगानिस्तान के बीच मुत्ताकी की यात्रा की तारीख को लेकर बातचीत जारी है। चूंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने मुत्ताकी पर यात्रा रोक लगा दी है, इसलिए भारत को उनके दौरे के लिए संयुक्त राष्ट्र से अस्थायी छूट लेनी होगी। जैसे ही तारीख तय होगी, भारत इस छूट के लिए UNSC की प्रतिबंध समिति से औपचारिक मंजूरी अवश्य मांग करेगा।
भारत ने हाल के सालों में तालिबान से सीधा संपर्क बढ़ाने का प्रयास किया है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इसी साल जनवरी महीने में दुबई में आमिर मुत्ताकी से मुलाकात की थी। उस मुलाकात में मिसरी ने अफगान जनता के लाभ और विकास कार्यों में भारत के मदद करने का विश्वास दिलाया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच पहली बार राजनीतिक बातचीत भी शुरू हुई।
विदेश मंत्री जयशंकर और मुत्ताकी की बातचीत
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने मई महीने में मुत्ताकी से सीधे बातचीत की थी। इस दौरान अफगानिस्तान ने भारत में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की घोर निंदा की थी। जयशंकर ने इसके लिए मुत्ताकी को धन्यवाद दिया और पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे झूठे दावों को सिरे से खारिज करने के लिए उनकी प्रशंसा भी की।
दरअसल, पाकिस्तान निरंतर भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने का प्रयास करता आ रहा है। लेकिन तालिबान के विदेश मंत्री ने इन दावों को नकारते हुए भारत से संबंध सुधारने का संकेत दिया है। यही कारण है कि भारत मुत्ताकी के प्रस्तावित दौरे को एक सकारात्मक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह यात्रा?
अफगानिस्तान, भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति का महत्वपूर्ण भाग रहा है। तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद भारत ने पहले तो सतर्कता भरा रुख अपनाया था, लेकिन अब वह धीरे-धीरे तालिबान सरकार से सीधे संवाद स्थापित करने की तरफ बढ़ रहा है। भारत अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं और मानवीय सहायता के ज़रिये अपनी भूमिका निभाता रहा है।
यदि आमिर खान मुत्ताकी भारत का दौरा करते हैं तो यह दोनों देशों के संबंधों में एक नई शुरुआत होगी। इससे न सिर्फ द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे, बल्कि यह पाकिस्तान के लिए भी एक बड़ा झटका होगा क्योंकि अब तक वह खुद को तालिबान का सबसे करीबी सहयोगी मानता रहा है।
पाकिस्तान को क्यों लगेगी मिर्ची?
पाकिस्तान की रणनीति शुरू से रही है कि अफगानिस्तान पर उसका वर्चस्व बना रहे। लेकिन भारत और तालिबान के बीच गहराते संबंध पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय हैं। अफगानिस्तान ने न केवल भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की है, बल्कि पाकिस्तान की तरफ से फैलाई जा रही गलतफहमियों को भी खारिज किया है। ऐसे में यदि मुत्ताकी भारत आते हैं तो यह पाकिस्तान की बड़ी कूटनीतिक हार मानी जाएगी।
बता दे, भारत और तालिबान सरकार के बीच संवाद का यह नया दौर दक्षिण एशिया की राजनीति में बड़ा और महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। मुत्ताकी का दौरा भारत-अफगानिस्तान संबंधों को नई दिशा देगा और पाकिस्तान के प्रभाव को बड़ी चुनौती देगा।
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