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Indian students abroad: उच्च शिक्षा के लिए विदेशी धरती की ओर रुख कर रहे हैं भारतीय छात्र- जानिए वजहें, देशवार आंकड़े और भविष्य की दिशा
Indian students abroad: भारत में शिक्षा को लेकर लगातार जागरूकता बढ़ रही है और वैश्विक अवसरों की खोज ने लाखों युवाओं को विदेशी विश्वविद्यालयों की ओर आकर्षित किया है।
Indian students abroad: भारत में शिक्षा को लेकर लगातार जागरूकता बढ़ रही है और वैश्विक अवसरों की खोज ने लाखों युवाओं को विदेशी विश्वविद्यालयों की ओर आकर्षित किया है। विदेश मंत्रालय और विभिन्न शिक्षा परिषदों द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि साल 2025 में विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे भारतीय छात्रों की संख्या रिकॉर्ड 18 लाख तक पहुँच चुकी है। 2023 में यह संख्या 13 लाख थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दो वर्षों में 38 प्रतिशत की तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
आइए विस्तार से समझेंगे कि ये छात्र किन देशों को प्राथमिकता दे रहे हैं, उनमें यह रुझान क्यों बढ़ रहा है और कौन-कौन से राज्य इसके अग्रणी हैं, और भारत सरकार की नीति क्या कहती है।
How many Indian students in which country? (Data for 2024-2025); किस देश में कितने भारतीय छात्र? (2024-2025 के आंकड़े)
अमेरिका - 3.31 लाख छात्र
- अमेरिका ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय छात्रों के संदर्भ में भारत को चीन से ऊपर स्थान दिया है। ओपन डोर्स रिपोर्ट 2024 के अनुसार, अमेरिका में 3.31 लाख से अधिक भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में छात्र स्टीम (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग, गणित) क्षेत्रों में हैं।
कनाडा - 1.37 लाख छात्र
- राजनीतिक संबंधों में हालिया खटास के बावजूद, कनाडा अब भी भारतीय छात्रों की पहली पसंद बना हुआ है। हालांकि, वीज़ा नियमों और वर्क परमिट में कड़ाई की वजह से थोड़ी गिरावट देखी गई है, फिर भी यहाँ लगभग 1.37 लाख भारतीय छात्र मौजूद हैं।
ब्रिटेन - 98,890 छात्र
- ब्रिटेन भी भारतीय छात्रों के लिए लोकप्रिय विकल्प बना हुआ है, खासकर मास्टर्स और एमबीए कोर्सेज़ के लिए। पोस्ट-स्टडी वर्क वीज़ा ने रुझान को और मजबूत किया है।
जर्मनी - 49,483 छात्र
- ट्यूशन फीस न होने या बहुत कम होने और उच्च गुणवत्ता की तकनीकी शिक्षा के चलते जर्मनी भारतीय छात्रों के लिए एक नई पसंद के रूप में उभरा है।
ऑस्ट्रेलिया - 7,000+
- ऑस्ट्रेलिया भी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और आव्रजन अवसरों के चलते लगातार आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
What are the reasons for Indian students to study abroad; क्या हैं भारतीय छात्रों के विदेश में पढ़ाई करने की वजहें
उच्च गुणवत्ता की शिक्षा
दुनिया के शीर्ष रैंकिंग वाले विश्वविद्यालयों में पढ़ने का सपना, बेहतर रिसर्च सुविधाएं और वैश्विक दृष्टिकोण भारतीय छात्रों को विदेश जाने के लिए प्रेरित करते हैं।
बेहतर करियर अवसर
विदेशी डिग्री प्राप्त करने के बाद अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी पाने की संभावना अधिक होती है, जिससे लंबी अवधि में आर्थिक स्थिरता मिलती है।
प्रवासी जीवन और नागरिकता की संभावना
अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे देशों में पढ़ाई के बाद वर्क वीज़ा और स्थायी निवास की संभावनाएं बेहद आकर्षक हैं।
What are the limitations of the Indian education system; क्या हैं भारतीय शिक्षा प्रणाली की सीमाएं
भारत में सीमित सीटें, संसाधनों की कमी और रिजर्वेशन व्यवस्था जैसी समस्याएं भी कुछ छात्रों को विदेश में बेहतर विकल्प खोजने के लिए प्रेरित करती हैं।
State-wise trend – Where are most students going from; राज्यवार ट्रेंड- कहां से सबसे ज्यादा छात्र जा रहे हैं
एक निजी शोध संस्था द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार-
राज्य विदेश जाने वाले छात्रों का प्रतिशत
- पंजाब-12.5प्रतिशत
- आंध्र प्रदेश/ तेलंगाना-12.5 प्रतिशत
- महाराष्ट्र-12.5प्रतिशत
- गुजरात-8 प्रतिशत
- दिल्ली-8प्रतिशत
- तमिलनाडु -8प्रतिशत
- कर्नाटक-6 प्रतिशत
पंजाब इस सूची में सबसे ऊपर है। यहां के ग्रामीण युवाओं में कनाडा जाने की विशेष ललक देखी जाती है, जो कई बार पूरे गांव की जनसंख्या को प्रभावित करती है।
Contradictions in Canada, popularity vs visa policy; कनाडा में विरोधाभास, लोकप्रियता बनाम वीज़ा पॉलिसी
भले ही कनाडा में वीज़ा और वर्क परमिट नियम सख्त हुए हैं। लेकिन वहां की मल्टीकल्चरल सोसायटी, खुला वीज़ा सिस्टम, और स्थायी निवास की संभावना भारतीय युवाओं को अब भी आकर्षित कर रही है। 2024 में कनाडा सरकार द्वारा सामयिक छात्रों की संख्या सीमित करने के फैसले से कुछ असंतोष हुआ, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता ने प्रभाव को सीमित किया।
Growing Indian participation in American educational institutions; अमेरिकी शिक्षण संस्थानों में भारत की बढ़ती भागीदारी
भारतीय छात्रों की अमेरिका में हिस्सेदारी अब शीर्ष पर पहुंच गई है। मुख्य रूप से तीन प्रकार के कोर्स भारतीय छात्रों को आकर्षित करते हैं-
एम एस इन कंप्यूटर साइंस/डाटा साइंस/डाटा साइंस/ एआई
(MS IN COMPUTER/ DATA SCIENCE/ AI)
एमबीए
(MBA)
अंडर ग्रेजुएट स्टीम प्रोग्राम
(UNDER GRADUATE STEAM PROGRAM)
इसके अतिरिक्त, ओपीटी (OPTIONAL PRACTICAL TRAINING) और H-1B वीज़ा जैसे प्रावधानों ने अमेरिका को एक लॉन्ग-टर्म करियर के रूप में और अधिक वांछनीय बना दिया है।
Expenses and Funding: Can all students in India afford it; खर्च और फंडिंगः क्या भारत के सभी छात्र कर पाते हैं वहन
विदेश में पढ़ाई करने का खर्च बहुत अधिक होता है, खासकर अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया मेंः
देश औसत वार्षिक खर्च (आईएनआर में) अमेरिका ₹25-35 लाख
- कनाडा ₹15-20 लाख
- यूके ₹20-25 लाख
- जर्मनी ₹8-10 लाख
- ऑस्ट्रेलिया ₹20-30 लाख
हालांकि, कई छात्र एजुकेशन लोन, स्कॉलरशिप, और फैमिली फंडिंग के जरिए अपनी पढ़ाई का खर्च वहन करते हैं।
Role and Policies of Indian Government; भारत सरकार की भूमिका और नीतियां
भारत सरकार ने छात्रों को मार्गदर्शन देने के लिए स्टडी इन इंडिया (STUDY IN INDIA) और (स्टडी अब्रॉड) STUDY ABROAD जैसे पोर्टल लॉन्च किए हैं। विदेश मंत्रालय की ओर से मदद (MADAD) पोर्टल भी विदेश में छात्रों को सहायता प्रदान करने के लिए काम कर रहा है। वहीं NEP 2020 (नई शिक्षा नीति) के तहत भारत में भी विदेशी विश्वविद्यालयों को स्थापित करने की अनुमति दी गई है। जिससे छात्रों को भारत में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा मिल सके। भारत के युवाओं का विदेश में शिक्षा प्राप्त करने की ललक न केवल एक व्यक्तिगत सपना है। बल्कि यह भारत की वैश्विक प्रतिभा आपूर्ति में भी योगदान करता है। सरकार, शिक्षा संस्थान और परिवार तीनों के सहयोग से यह संख्या भविष्य में और भी बढ़ सकती है। हालांकि, यह भी आवश्यक है कि भारत देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान में निवेश और रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर इस प्रवृत्ति को संतुलित करे ताकि देश का ब्रेन ड्रेन न हो बल्कि ब्रेन गेन में तब्दील हो सके।
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