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बाप रे बाप... भारत के इस छोटे कदम से सूख जाएगा पूरा पाकिस्तान! मात्र 30 दिन और...? रिपोर्ट में बड़ी चेतावनी
India Pakistan water crisis: पाकिस्तान... जो सिंधु नदी बेसिन के पानी पर 80 प्रतिशत निर्भर है, गंभीर रूप से जल संकट का सामना कर रहा है। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिससे पानी के प्रवाह में बदलाव संभव हो गया है। अब Pak के पास मात्र 30 दिनों तक का पानी और बचा है...
India Pakistan water crisis (photo: social media)
India Pakistan water crisis: पहलगाम हमले के बाद भारत और पकिस्तान के बीच भयंकर तनाव बना हुआ है। पाक आतंकियों पर चलाये गए 'ऑपरेशन सिन्दूर' अभियान के बाद भारत ने पकिस्तान पर कई तरह से रोक लगा दी थी। अब हाल ही में एक नई इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट 2025 में ऐसा दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान, जिसकी लगभग 80 प्रतिशत आबादी कृषि सिंधु नदी बेसिन के पानी पर निर्भर है, बड़े जल संकट के खतरे से जूझ रहा है। ऑस्ट्रेलिया के थिंक-टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इकनॉमिक्स एंड पीस (IEP) की ‘Ecological Threat Report 2025’ में बताया गया है कि भारत तकनीकी क्षमता के अंदर रहते हुए इंडस नदी के पानी के प्रवाह में बड़ा परिवर्तन कर सकता है, जिसका गंभीर प्रभाव पाकिस्तान पर पड़ेगा।
सिंधु जल संधि निलंबित होने से बढ़ रहा बड़ा संकट
यह रिपोर्ट ऐसे वक़्त में सामने आई है जब भारत ने अप्रैल महीने में पहलगाम आतंकी हमले, जिसे Pak आतकवादियों ने अंजाम दिया था, के बाद साल 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) को पूर्ण रूप से बाधित कर दिया था। संधि पर रोक लगाने के बाद भारत फिलहाल पानी साझा करने की शर्तों से अब मुक्त हो गया है। बता दे, साल 1960 की संधि के अंतर्गत भारत ने पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब- के पानी को Pak के लिए छोड़ने पर माँजोपोरी दे दी थी, जबकि पूर्वी नदियों- ब्यास, रावी और सतलुज- का पानी भारत के प्रयोग के लिए रखा गया था।
मात्र 30 दिन... और सुख जाएगा पूरा पाकिस्तान
रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है कि भारत पूरी तरह पानी रोक नहीं सकता, लेकिन गर्मियों जैसे महत्वपूर्ण वक़्त में बांधों के संचालन में छोटा सा परिवर्तन भी पाकिस्तान की घनी आबादी के इलाकों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जहां खेती का 80% भाग सिंधु के पानी पर निर्भर है। पाकिस्तान के पास अब केवल 30 दिन का ही समय बचा हुआ है जिसमें वो पानी स्टोर करने की क्षमता रखता है, इसलिए इसे मौसमी पानी की कमी का बड़ा ख़तरा है।
अफगानिस्तान ने भी कर दिया कुनार पर बांध निर्मित का ऐलान
रिपोर्ट में ऐसा भी दावा किया गए है कि मई महीने में भारत ने चिनाब नदी पर सालाल और बगलिहार बांध में जलाशय स्वच्छ करने की प्रक्रिया (reservoir flushing) की और पाक को जानकारी नहीं दी। इसके बाद पाकिस्तान में चिनाब किनारे बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इससे साफ़ पता चला कि संधि बाधित करने के बाद भारत के पास नदी प्रबंधन को लेकर रणनीतिक बढ़त है।
वहीं, इस सप्ताह अफगानिस्तान ने भी कुनार नदी पर बांध निर्मित करने की प्रक्रिया में रफ़्तार पकड़ ली है, जिससे पाक सीमा पार वाली नदी के पानी पर उसकी पहुंच भी बुरी तरह से प्रभावित होगी। पाकिस्तान के किसान पहले ही जलवायु परिवर्तन का बड़ा संकट झेल रहे हैं और बाढ़ व सूखे जैसी दिक्कतों से लगातार लड़ रहे हैं।
भारत के पास बांध के गेट खोलने-बंद करने का है पूरा हक़
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पास नदी के पानी को स्टोर करने की क्षमता अधिक नहीं है। इसलिए पानी के प्रवाह में कुछ वक़्त के लिए भी रुकावट या परिवर्तन से उसकी कृषि को बुरी तरह से क्षति पहुंचा सकता है।
रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है कि भारत की पश्चिमी नदियों पर जो बांध हैं, वे अधिक पानी रोकने वाले नहीं हैं और सिर्फ रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट हैं, यानी पानी का प्रवाह पूरी तरह नहीं रोका जा सकता। लेकिन भारत के पास बांध के गेट खोलने-बंद करने और पानी के वक़्त तय करने का पूरा हक़ है, जिससे पाकिस्तान पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना बनी हुई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि संधि पर रोक लगने के बाद भारत ने चिनाब पर जल निकासी की प्रक्रिया बिना पाकिस्तान से परामर्श किए की। पहले नदी का कुछ भाग सूखा और तब गेट खोलने पर गाद वाला तेज पानी छोड़ा गया।
सऊदी-पाक डिफेन्स डील से संबंध
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिंधु जल संधि पर रोक का संबंध कहीं न कहीं पाकिस्तान-सऊदी डिफेंस डील से है। इस समझौते के बाद ये संभावना व्यक्त की जा रही है कि सऊदी अरब, पाकिस्तान को समर्थन देगा। वहीं अफगानिस्तान पहले ही पाकिस्तान के पानी पर दबाव बनाये हुए है और कुनार नदी पर बांध का ऐलान कर चुका है।
इसके अलावा भारत-पाकिस्तान संबंधों में लगातार बढ़ रहे तनाव के कारण संधि सहयोग से विवाद में तब्दील हो गई। कई दशकों तक भारत ने रावी और सतलुज जैसी नदियों का पानी पूरी तरह प्रयोग नहीं किया था और काफी पानी पाकिस्तान में चला जाता था।
बता दे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में भारत ने अपने भाग के पानी को पूरा प्रयोग करने की नीति शुरू की। रावी पर शाहपुरकंडी बांध (2024 में पूरा) और उज्ह बांध समेत कई परियोजना तेजी से आगे बढ़ाए गए। इसके साथ ही पश्चिमी नदियों पर भी पनबिजली प्रोजेक्ट में रफ़्तार दी गयी, वो भी संधि की सीमा के अंदर रहकर।
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