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कुछ बड़ा होने वाला है! सऊदी अरब पर ईरानी मिसाइलों की दस्तक? THAAD रडार एक्टिव होते ही खाड़ी में मचा हड़कंप
Iran Saudi Arabia tensions: ईरान और इज़राइल की 12 दिन लंबी जंग भले ही सीज़फायर के एलान के साथ थमी हो, लेकिन उस युद्ध की लपटें अब धीरे-धीरे खाड़ी देशों को अपनी चपेट में ले रही हैं।
Iran Saudi Arabia tensions: मिडिल ईस्ट की तपती रेत अब सिर्फ गर्मी से नहीं जल रही, अब यहां जंग की आग फैल रही है। ईरान और इज़राइल की 12 दिन लंबी जंग भले ही सीज़फायर के एलान के साथ थमी हो, लेकिन उस युद्ध की लपटें अब धीरे-धीरे खाड़ी देशों को अपनी चपेट में ले रही हैं। सबसे बड़ा झटका तब लगा जब ईरान ने कतर में स्थित अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइल दाग दी। यह वही कतर है जो अमेरिका का रणनीतिक साथी है, और जहां से इज़राइल को मदद पहुंचाई जा रही थी। मिसाइल गिरते ही खाड़ी के बाकी देशों — खासकर सऊदी अरब — के कान खड़े हो गए। डर ये था कि अगला निशाना कहीं रियाद न बन जाए!
सऊदी ने किया ‘THAAD’ सिस्टम एक्टिव, खाड़ी में छाया सन्नाटा
जैसे ही खतरे की आहट तेज हुई, सऊदी अरब ने भी अपनी ‘टर्मिनल हाई एटीट्यूड एरिया डिफेंस’ यानी THAAD मिसाइल प्रणाली को पूरी तरह सक्रिय कर दिया। ये वही अमेरिकी प्रणाली है जो बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही ढेर करने में सक्षम है। सऊदी के रक्षा मंत्रालय ने इस कदम की पुष्टि करते हुए साफ कहा कि “हम अपने रणनीतिक क्षेत्रों की रक्षा के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं।” THAAD के एक्टिव होते ही खाड़ी के सभी देशों में खलबली मच गई है। जेद्दा में इसका परीक्षण और तैनाती समारोह भव्य तरीके से आयोजित किया गया, लेकिन इसका संदेश खाड़ी से लेकर तेहरान और तेल अवीव तक साफ पहुंच गया — "हम भी तैयार हैं!"
ईरान से पुराना हिसाब और नई आग
सऊदी अरब और ईरान का रिश्ता वैसे भी तलवार की धार पर रहा है। शिया-सunni विवाद से लेकर यमन में चल रही प्रॉक्सी वॉर तक, दोनों देशों के बीच तनाव कभी खत्म नहीं हुआ। अब जब ईरान ने इज़राइल को टारगेट करते हुए अमेरिका के एयरबेस पर मिसाइलें दागीं, तो सऊदी अरब को लगा कि यह हमला उनके लिए भी चेतावनी है। खासकर जब बहरीन, कुवैत और जॉर्डन जैसे पड़ोसी देशों में भी अमेरिकी बेस हैं, तो अगली मिसाइल कहीं भी गिर सकती है।
इज़राइल को भी THAAD का सहारा, अमेरिका ने खर्च किया 20% स्टॉक!
खुलासा यह भी हुआ है कि अमेरिका ने इज़राइल को ईरानी हमलों से बचाने के लिए अपने THAAD मिसाइल सिस्टम का करीब 20% स्टॉक खर्च कर दिया है। यह दावा प्रतिष्ठित अमेरिकी मैगजीन Newsweek ने किया है। इसका सीधा मतलब है कि अमेरिका अब अपने मित्र देशों — खासकर इज़राइल और सऊदी अरब — को खुलकर कवर दे रहा है। लेकिन इससे ईरान और ज्यादा उग्र हो सकता है। और यही डर अब खाड़ी के राजशाही महलों से लेकर वॉर रूम्स तक तैर रहा है — कहीं ये जंग अब पूरी दुनिया को अपनी आग में न झोंक दे!
खाड़ी में गूंज रही युद्ध की पदचाप?
हालात को देखकर लगता है कि THAAD सिर्फ एक डिफेंस सिस्टम नहीं, बल्कि एक साफ संदेश है — कि अब मिडिल ईस्ट की हवा में युद्ध की गंध महसूस की जा सकती है। हर देश अपनी सीमाओं को लोहे के कवच से ढकने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इस बार लड़ाई सिर्फ सीमा तक नहीं रुकेगी। कतर की मिसाइल हमले ने बता दिया है कि अब युद्ध ‘फ्रंटलाइन’ से ज्यादा ‘साइकोलॉजिकल’ बन चुका है। सऊदी के लिए डर सिर्फ ईरान की मिसाइलों से नहीं, बल्कि उस अनिश्चित भविष्य से है जिसमें धर्म, राजनीति, तेल और शक्ति — सब एक साथ फटने वाले हैं।
क्या खाड़ी की रेत से उठेगा तीसरे विश्व युद्ध का धुआं?
ईरान-इज़राइल की लड़ाई अब सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं रही। यह एक क्षेत्रीय भूचाल बन चुका है, जिसमें अब कतर, सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत और अमेरिका सभी खींचे जा रहे हैं। THAAD की तैनाती इस बात का प्रमाण है कि अब हर कोई सबसे बुरे के लिए तैयार है। सवाल यह नहीं कि अगला हमला कहां होगा, सवाल यह है कि क्या दुनिया एक और बड़ी जंग की ओर बढ़ रही है? और अगर हां — तो इसकी चिंगारी शायद सऊदी के आकाश में गूंजती THAAD मिसाइल से ही उठेगी! खतरा मंडरा रहा है… और अब सबकी नजरें खाड़ी के आसमान पर हैं।
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