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कतर का फूटा गुस्सा! ईरान ने ‘दोस्ती’ की आड़ में किया हमला, अब दहाड़ा दोहा — ‘हम भी देंगे जवाब’, खाड़ी में बम गिरने से पहले ही युद्ध का ट्रेलर?"
मध्य पूर्व एक बार फिर बारूद के ढेर पर बैठ चुका है और इस बार चिंगारी फूटी है वहां से, जहां दुनिया ने कभी सोचा ही नहीं था। कतर — वही मुल्क जो अब तक खुद को तटस्थ, शांतिप्रिय और सबका दोस्त बताता आया है — अब ईरान के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गया है।
Qatar Iran conflict: मध्य पूर्व एक बार फिर बारूद के ढेर पर बैठ चुका है और इस बार चिंगारी फूटी है वहां से, जहां दुनिया ने कभी सोचा ही नहीं था। कतर — वही मुल्क जो अब तक खुद को तटस्थ, शांतिप्रिय और सबका दोस्त बताता आया है — अब ईरान के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गया है। और वजह वही है, जिसके लिए आज पूरी दुनिया कांप रही है — ईरान का खतरनाक कदम, जिसने अमेरिका को सीधी चुनौती देते हुए दोहा के अल उदीद एयरबेस पर मिसाइलें दाग दीं।
ये वही एयरबेस है, जहां से अमेरिका ने दशकों तक पूरे मिडिल ईस्ट की सैन्य रणनीति चलाई है। लेकिन इस बार हमला अमेरिका पर नहीं, बल्कि कतर की संप्रभुता पर हुआ है। दुनिया को चौंकाते हुए कतर ने ईरान के राजदूत अली सालेह अबादी को तलब किया और गुस्से में दो टूक कहा — “ये हमारी संप्रभुता का घोर उल्लंघन है… अब हम भी जवाब देने का अधिकार रखते हैं।” अब सवाल उठता है — क्या वाकई कतर ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेगा? क्या मिडिल ईस्ट में अब एक और जंग की शुरुआत होने जा रही है? क्या ये वही कतर है जो अब तक सबको शांत रहने की सलाह देता था?
‘भाईचारे’ के पीछे छिपी साजिश?
ईरान ने अपने बचाव में सफाई देते हुए कहा — “हमने सिर्फ अमेरिकी बेस पर हमला किया, हमारे पड़ोसी देश कतर से कोई दुश्मनी नहीं है। हम भाई हैं।” लेकिन सवाल ये है कि अगर आप अपने ‘भाई’ के आंगन में घुसकर किसी दुश्मन को गोली मारेंगे, तो क्या आपका भाई चुप रहेगा? कतर को इस बात का गहरा आघात लगा है कि जिस देश को वो वर्षों से अपना पड़ोसी और भाई कहता रहा, उसी ने उसकी जमीन और हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल कर दिया — वो भी बिना इजाजत के। और ये हमला कोई सामान्य हमला नहीं था — ये सीधे अमेरिका के चेहरे पर तमाचा था, लेकिन तमाचा पड़ा कतर की गोदी में। ईरान ने पहले से जरूर बता दिया था कि वो हमला करेगा, लेकिन क्या बता देने से बात खत्म हो जाती है? कतर को सबसे बड़ा झटका इस बात का है कि उसने हमेशा मध्यस्थता की बात की, शांति का संदेश दिया, ईरान की आवाज़ दुनिया तक पहुंचाई — और उसी ईरान ने उसकी पीठ में खंजर घोंप दिया।
कतर का गुस्सा — चेतावनी या जंग का एलान?
कतर के विदेश मंत्रालय ने सिर्फ राजनयिक औपचारिकता नहीं निभाई है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और सुरक्षा परिषद को भी पत्र भेजकर साफ-साफ कहा है कि ईरान का यह हमला “क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा” है। ये बयान सिर्फ निंदा भर नहीं है — ये एक चेतावनी है कि अब कतर भी इस खेल में मोहरे बदल सकता है। अभी तक कतर को शांत, छोटा और संयमी देश माना जाता था, जो ईरान और अमेरिका जैसे बड़े खिलाड़ियों के बीच बैलेंस बनाकर चलता है। लेकिन इस घटना ने दोहा की स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है। अब कतर सिर्फ शांति संदेशवाहक नहीं रहा, अब उसके सामने खुद की प्रतिष्ठा का सवाल है।
सैन्य कार्रवाई करेगा कतर? या कोई और बड़ा खेल?
सीधा जवाब है — नहीं। कतर के पास इतनी सैन्य ताकत नहीं कि वो ईरान से युद्ध छेड़ सके। लेकिन असली खेल कहीं और है। कतर इस घटना को आधार बनाकर अब पूरी दुनिया में ईरान के खिलाफ माहौल बनाएगा। वो अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करेगा, GCC (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल) देशों के सामने ईरान को विलेन के तौर पर पेश करेगा और क्षेत्रीय राजनीति में अपनी खोई हुई पकड़ दोबारा हासिल करने की कोशिश करेगा। ये हमला जितना सैन्य स्तर पर बड़ा नहीं था, उससे कहीं ज्यादा बड़ा राजनीतिक और कूटनीतिक जाल है, जो अब खाड़ी देशों में बिछ चुका है।
मिडिल ईस्ट में बारूद का खेल शुरू?
कतर का गुस्सा अब सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रहेगा या जल्द ही इसके पीछे कोई बड़ा पश्चिमी खेल शुरू होगा — इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा। लेकिन एक बात तय है — मिडिल ईस्ट अब पहले जैसा नहीं रहने वाला। ईरान की जिद, अमेरिका की ताकत, कतर का गुस्सा और अरब देशों की चुप्पी — इन सबके बीच एक नए संकट ने जन्म ले लिया है। कहीं ऐसा न हो कि यह सिर्फ एक ‘हमला’ नहीं, बल्कि आने वाले ‘मिडिल ईस्ट वॉर 2.0’ का ट्रेलर हो, जिसकी पटकथा अब धीरे-धीरे सबके सामने खुल रही है।
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