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ईरान का खौफनाक प्लान: कमांडर नहीं, अब परछाइयों से लड़ेगा ईरान! इजराइली मिसाइलों से बचने का सबसे बड़ा फैसला
Iran new war plan: इजराइली मिसाइलों की गूंज के बीच ईरान ने अपने दस हाई-प्रोफाइल सैन्य कमांडरों को खो दिया। और अब… शायद पहली बार, एक देश ने खुद ही तय किया है कि वह अब अपनी सेना में शीर्ष पदों पर नियुक्ति ही नहीं करेगा!
Iran new war plan: 13 जून 2025 को जब इजराइल और ईरान के बीच जंग का आगाज़ हुआ था, किसी ने भी नहीं सोचा था कि कुछ ही घंटों में ईरान की कमर टूट जाएगी। लेकिन जो हुआ, वो केवल एक सैन्य हमला नहीं था—वो था एक “सर्जिकल मैसेज”, एक ऐसा हमला जिसने ईरान की सैन्य रीढ़ को बुरी तरह झकझोर दिया। इजराइली मिसाइलों की गूंज के बीच ईरान ने अपने दस हाई-प्रोफाइल सैन्य कमांडरों को खो दिया। और अब… शायद पहली बार, एक देश ने खुद ही तय किया है कि वह अब अपनी सेना में शीर्ष पदों पर नियुक्ति ही नहीं करेगा! जी हां, ईरान अब अपने सबसे अहम सैन्य संगठनों के प्रमुखों की घोषणा करना बंद कर चुका है। कारण? इजराइल की "टारगेट किलिंग मशीनरी" से बचना।
अब बिना चेहरा, बिना नाम की सेना?
ईरान की सबसे शक्तिशाली सैन्य इकाई ‘ख़ातम-अल-अनबिया’ ब्रिगेड—जिसे इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की इंजीनियरिंग रीढ़ माना जाता है—अब बिना औपचारिक कमांडर के ऑपरेट कर रही है। यानी उस इकाई को संचालन तो मिल गया है, लेकिन कौन कर रहा है, यह ईरानी सरकार खुद नहीं बता रही। क्यों? क्योंकि इजराइल देख रहा है। निशाना साध रहा है। और एक बार फिर कमांडर की घोषणा हुई तो उनका भी नाम इतिहास में शामिल हो सकता है—"मारे गए लोगों की लिस्ट में।" इस ब्रिगेड का काम सिर्फ पुल और सड़कें बनाना नहीं है, बल्कि यह मिसाइल निर्माण, हथियारों की निगरानी, और गुप्त सैन्य अभियानों की रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाती है। लेकिन अब, जब से इसके दो प्रमुख नेता अली शादमानी और उनके उत्तराधिकारी को इजराइली हमलों में मौत के घाट उतारा गया है, ईरान ने तय कर लिया है कि वह "चेहरा" ही सामने नहीं लाएगा।
क्या हमास वाला मॉडल अपना रहा है ईरान?
यह रणनीति किसी सैन्य थ्योरी का हिस्सा नहीं, बल्कि एक भय का स्वीकार है। जिस तरह हमास ने अपने प्रमुख याह्या सिनवार की हत्या के बाद कोई नया लीडर नहीं घोषित किया, उसी तर्ज पर ईरान ने भी अब अपने सैन्य संगठनों को "गुमनाम" बना दिया है। यह कोई साधारण फैसला नहीं है, बल्कि एक बड़ी कूटनीतिक और सैन्य स्वीकारोक्ति है कि—हम आपके सामने हैं, लेकिन चेहरा नहीं दिखाएंगे, क्योंकि आप उसे मार डालते हो! स्थानीय एजेंसी "मेहर न्यूज" से बात करते हुए एक ईरानी सैन्य प्रवक्ता ने कहा—“हम अब पुरानी गलतियों को नहीं दोहराएंगे। हमने अपने कमांडरों को खोया, लेकिन हमारी बुनियाद हिल नहीं सकती।”
क्या यह नया ईरान है या डरा हुआ ईरान?
सवाल उठता है—क्या ये फैसला सैन्य रणनीति है या इजराइल की दहशत का खुला सबूत? एक ऐसा देश जो हमेशा ‘मौत को मात देने’ की बात करता था, अब अपने कमांडरों के नाम छिपा रहा है! क्या यह एक नई रणनीति है, या फिर डर का पहला सार्वजनिक स्वीकार? विश्लेषक मानते हैं कि ईरान अब ‘डिफेंसिव मोड’ में चला गया है। उसकी सेना के सबसे अहम ढांचे अब गुप्त रूप से चलाए जा रहे हैं, ताकि इजराइल की AI-ड्रिवन मिसाइल रणनीति और सैटेलाइट बेस्ड टारगेटिंग से बचा जा सके।
इजराइल की टारगेट किलिंग का खौफ
इस पूरे मामले की सबसे डरावनी सच्चाई ये है कि इजराइल अब सिर्फ युद्ध नहीं लड़ रहा, वह चेहरे पहचानता है, उनके ठिकाने जानता है और उन्हें एक-एक कर मिटा रहा है। 13 जून को युद्ध की शुरुआत में ड्रोन, सैटेलाइट और साइबर इंटेलिजेंस के जरिए इजराइल ने ईरान के दस बड़े सैन्य अफसरों को कुछ ही घंटों में निशाना बना दिया। उनमें से कई अपनी गाड़ियों में थे, कुछ अपने ठिकानों पर। पर एक बात कॉमन थी—सभी खत्म कर दिए गए। अब, जब दुश्मन की नजर आपके हर कदम पर हो, तो आप या तो मुकाबला करते हैं, या फिर "गायब" हो जाते हैं। और ईरान ने दूसरा विकल्प चुना है।
क्या इससे बचेगा ईरान?
ईरान का नया मॉडल चाहे डर की उपज हो या समझदारी की, पर इससे यह तो साफ हो गया है कि मध्य पूर्व की जंग अब सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि आईडेंटिटी और इनफॉर्मेशन के स्तर पर लड़ी जा रही है। अब सवाल है—क्या बिना नाम और चेहरे वाली यह ब्रिगेड इजराइली ताकत से मुकाबला कर पाएगी? या फिर यह सिर्फ एक और कागज़ी ढाल बनकर रह जाएगी?
एक नई शुरुआत या आखिरी रणनीति?
ईरान की यह चाल अब दुनिया की नजरों में आ चुकी है। वह अब अपने हर कमांडर को छुपाएगा, उसकी पहचान गुप्त रखेगा और शायद पूरी सेना को एक परछाई की तरह चलाएगा। यह कदम उस ईरान की नई पहचान है जो अब शोर नहीं, सिर्फ साज़िशों की भाषा में जवाब देता है। पर क्या यह रणनीति चलेगी? या फिर इजराइल एक बार फिर इस परछाई को भी खोज लेगा? जवाब अभी धुंध में है, लेकिन जंग अब पहले से ज्यादा ख़ामोश और ज्यादा ख़तरनाक हो चुकी है।
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