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सबसे महान जासूस: इसराइल खुफिया एजेंसी मोसाद का 'सीक्रेट हीरो', जासूसी के नायक की कहानी
Eli Cohen History: इसराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है एली कोहेन का नाम। आइये जानते हैं क्या है उनकी जासूसी की कहानी।
Israel Greatest SPY and Mossad Secret Hero Eli Cohen
Eli Cohen History : हाल ही में एक कोवर्ट ऑपरेशन में मोसाद ने सीरिया से उनके जीवन से जुड़े हजारों दस्तावेज़ और व्यक्तिगत वस्तुएं बरामद की हैं। यह ऐतिहासिक ऑपरेशन न सिर्फ इसराइल की खुफिया क्षमताओं का प्रमाण है, बल्कि यह एली कोहेन की विरासत को एक नई रोशनी में सामने लाता है। इन गुणों ने उन्हें इसराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बना दिया।
एली कोहेन का प्रारंभिक जीवन और मोसाद में भर्ती
एली कोहेन, एक ऐसा नाम जो इसराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। उनकी जासूसी की कहानी न केवल रोमांचक है, बल्कि यह इसराइल और सीरिया के बीच के तनावपूर्ण संबंधों की भी गवाही देती है। हाल ही में, एली कोहेन से जुड़े मोसाद के सीक्रेट ऑपरेशन की चर्चा फिर से सुर्खियों में आई है, जब इसराइल ने सीरिया से उनके व्यक्तिगत और खुफिया दस्तावेज़ों की एक बड़ी संख्या प्राप्त की। यह घटना न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती है, बल्कि यह वर्तमान में भी राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
एली कोहेन की कहानी एक अद्वितीय जासूस की है, जिसने अपने देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। उनकी जासूसी गतिविधियों ने इसराइल को रणनीतिक बढ़त दिलाई और उनकी विरासत आज भी जीवित है। हाल ही में उनके दस्तावेज़ों की वापसी ने उनकी कहानी को फिर से जीवंत कर दिया है और यह दर्शाता है कि इतिहास में किए गए बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाते।
एली कोहेन का जन्म 1924 में मिस्र के अलेक्जेंड्रिया शहर में हुआ था। वह एक यहूदी परिवार से थे और प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में विशेषज्ञता हासिल की। 1957 में, वे इसराइल चले गए और कुछ समय बाद मोसाद द्वारा उन्हें सीरिया में जासूसी के लिए भर्ती किया गया। मोसाद ने उन्हें 'कमाल अमीन थाबेत' नामक एक सीरियाई व्यापारी की पहचान दी, जिसे उन्होंने अर्जेंटीना में स्थापित किया। वहां उन्होंने सीरियाई प्रवासी समुदाय में गहरी पैठ बनाई और फिर 1962 में दमिश्क चले गए।
बाथ पार्टी का उदय और एली कोहेन का दमिश्क आगमन
1963 में जब सीरिया की सत्ता बाथ पार्टी के हाथ में आई, तब एली कोहेन पहले से ही इस पार्टी और कई सैन्य अधिकारियों के नजदीकी बन चुके थे। इसी भरोसे के चलते वे सीरिया की राजधानी दमिश्क चले गए और वहां एक ऐसा मकान किराए पर लिया, जहां से तमाम सरकारी इमारतों पर सीधी नजर रखी जा सकती थी। यही स्थान उनके जासूसी नेटवर्क का केंद्र बन गया, जहां से उन्होंने बहुमूल्य खुफिया जानकारियां इकट्ठा कीं।
सीरियाई सरकार का विश्वास और डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर बनने की योजना
एली कोहेन की बुद्धिमत्ता और उनके बनाए गए घनिष्ठ रिश्तों की वजह से सीरियाई सरकार को उन पर इतना विश्वास हो गया था कि उन्हें देश का डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर बनाने की योजना तक बन गई थी। 1961 से 1965 के बीच उन्होंने इजरायल को कई अहम गोपनीय जानकारियां पहुंचाईं और तीन बार गुप्त रूप से इजरायल की यात्रा भी की।
गोलन हाइट्स की रणनीति और सिक्स डे वॉर में जीत
एली कोहेन का सबसे महत्वपूर्ण मिशन गोलन हाइट्स में रहा। वहां उन्होंने सीरियाई सैन्य गतिविधियों और तैनाती का बारीकी से अध्ययन किया। उन्होंने सैनिकों की सुविधा के नाम पर पेड़ लगाने का सुझाव दिया — असल में यह एक चाल थी जिससे इजरायली सेना इन पेड़ों के आधार पर सीरियाई पोस्ट्स की पहचान कर सके। 1967 के ‘सिक्स डे वॉर’ में यही रणनीति इजरायल की निर्णायक जीत का कारण बनी।
सीरिया में कोहेन की जासूसी गतिविधियाँ
दमिश्क में, कोहेन ने उच्च पदस्थ सैन्य और राजनीतिक अधिकारियों से मित्रता स्थापित की। उन्होंने भव्य पार्टियों का आयोजन किया, जिसमें शराब और अन्य सुख-सुविधाओं की भरमार होती थी। इन आयोजनों में अधिकारी अपने गुप्त योजनाओं और रणनीतियों की चर्चा करते थे, जिसे कोहेन ध्यानपूर्वक सुनते और इसराइल को रिपोर्ट करते। उनकी सबसे प्रसिद्ध उपलब्धियों में से एक थी, सीरियाई अधिकारियों को गोलान हाइट्स में सैनिकों के लिए छाया प्रदान करने के लिए पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना। इन पेड़ों का उपयोग इसराइली सेना ने 1967 के छह दिवसीय युद्ध में सीरियाई ठिकानों की पहचान के लिए किया।
कोहेन की सीक्रेट आइडेंटिटी: 'कामिल अमीन थाबेत'
एली कोहेन ने जासूस बनने के लिए अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में 'कामिल अमीन थाबेत' के नाम से सीरियाई कारोबारी का किरदार निभाया।अर्जेंटीना में सीरियाई समुदाय से संपर्क बनाए।सीरियाई मिलिट्री अटैचे अमीन अल-हफ़ीज़ से मित्रता की, जो आगे चलकर सीरिया के राष्ट्रपति बने।
दमिश्क में घुसपैठ और सत्ता तक पहुंच
- 1962: कोहेन को दमिश्क में स्थायी रूप से बसने का मौका मिला।
- 1963: बाथ पार्टी सत्ता में आई, और उनके पुराने अर्जेंटीनी संपर्क अब सीरियाई सरकार के उच्च पदों पर थे।
- वह सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे।
- सैन्य ब्रीफिंग में भाग लिया।
- राष्ट्रपति अल-हफ़ीज़ ने उन्हें डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर बनाने तक का मन बना लिया था।
सीरिया से भेजी गईं ख़ुफ़िया जानकारियाँ
कोहेन ने गोलान हाइट्स में सीरियाई सैन्य अड्डों की स्थिति की जानकारी दी।सैनिकों के मूवमेंट, हथियारों और ठिकानों की डिटेल्स भेजीं।इन सूचनाओं ने 1967 के अरब-इसराइल युद्ध में इसराइल की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कोहेन की गिरफ्तारी और निष्पादन
1965 में, सीरियाई खुफिया एजेंसी ने सोवियत संघ से प्राप्त तकनीक की मदद से कोहेन के रेडियो ट्रांसमिशन को ट्रैक किया। 24 जनवरी, 1965 को, उन्हें उनके अपार्टमेंट में जासूसी करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। उन पर मुकदमा चलाया गया और 18 मई, 1965 को दमिश्क के मार्जेह स्क्वायर में सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई। उनकी मृत्यु के बाद, सीरिया ने उनके शव को इसराइल को लौटाने से इनकार कर दिया, और आज तक उनका अंतिम संस्कार स्थल अज्ञात है।
हालिया घटनाएँ और मोसाद का ऑपरेशन
2025 में, एली कोहेन की फांसी की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर, इसराइल ने सीरिया से उनके लगभग 2,500 दस्तावेज़, फोटो, हस्तलिखित पत्र और अन्य व्यक्तिगत वस्तुएं प्राप्त कीं। यह संग्रह सीरियाई खुफिया एजेंसी के पास था। इसे एक जटिल मोसाद ऑपरेशन के माध्यम से प्राप्त किया गया। इस संग्रह में कोहेन के व्यक्तिगत पत्र, फोटो, जाली पासपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज़ शामिल हैं, जो उनकी जासूसी गतिविधियों और व्यक्तिगत जीवन पर प्रकाश डालते हैं।
हालिया ऑपरेशन: सीरिया से दस्तावेज़ों की वापसी
2025 में मोसाद ने एक जटिल ऑपरेशन के जरिए कोहेन से जुड़े ढाई हज़ार दस्तावेज़, ऑडियो रिकॉर्डिंग, व्यक्तिगत सामान और उनकी अंतिम वसीयत तक बरामद की।
उल्लेखनीय वस्तुएँ:
- सीरिया में उनके अपार्टमेंट की चाबी
- नकली पासपोर्ट
- उनकी डायरी और नोटबुक
- अंतिम वसीयतनामा
- गिरफ्तारी से पहले परिवार को लिखे पत्र
- मिशन के दौरान की दुर्लभ तस्वीरें
- पूछताछ की ऑडियो रिकॉर्डिंग
राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव
इस संग्रह की वापसी न केवल इसराइल के लिए एक नैतिक विजय है, बल्कि यह सीरिया और इसराइल के बीच संभावित कूटनीतिक संवाद का संकेत भी है। सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल-शारा ने इस कदम को अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ संबंध सुधारने के लिए उठाया है। इससे यह संकेत मिलता है कि क्षेत्रीय शांति और संवाद की संभावनाएं बढ़ रही हैं।
एली कोहेन की पत्नी: नादिया कोहेन
इस ऑपरेशन के अंतर्गत यह ऐतिहासिक सामग्री इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने स्वयं एली की पत्नी नादिया कोहेन को सौंपी. नादिया दशकों से अपने पति के अवशेष वापस लाने की अपील करती रही हैं।
एली कोहेन की अमर कहानी
एली कोहेन सिर्फ एक जासूस नहीं थे, वह एक राष्ट्र के लिए प्राण देने वाला सच्चा हीरो थे। उनका जीवन, बलिदान और कार्यकाल इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार एक अकेला व्यक्ति एक देश की सुरक्षा और कूटनीति की दिशा को बदल सकता है।
हाल ही में मोसाद द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेज़ न सिर्फ इतिहास को पुनर्जीवित करते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि एक जासूस की विरासत समय से परे होती है।हालांकि एली कोहेन की मृत्यु हो गई, लेकिन उनकी जासूसी से जुड़ी लगभग ढाई हजार फाइलें आज भी मोसाद के लिए इतनी महत्वपूर्ण हैं कि उन्हें वापस लाने के लिए वर्षों बाद सीरिया में एक और गुप्त ऑपरेशन चलाना पड़ा।एली कोहेन की कहानी ने न केवल इसराइल में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों को प्रभावित किया है। उनकी जीवन गाथा पर आधारित 'द स्पाई' नामक नेटफ्लिक्स सीरीज ने उनकी कहानी को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाया। उनकी बहादुरी, समर्पण और देशभक्ति आज भी इसराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
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