खौफनाक साजिश! जैश-ए-मोहम्मद अब महिलाओं को बना रहा आतंक का हथियार, ऑनलाइन चला रहा जिहादी कोर्स

Jamaat-ul-Mominaat: जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग शुरू की है, जिससे वे कट्टरपंथी विचारों में शामिल हो सकें और आतंक फैलाएं।

Akriti Pandey
Published on: 22 Oct 2025 2:42 PM IST
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Jamaat-ul-Mominaat: पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठन Jaish‑e‑Mohammed (JeM) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए महिलाओं की भर्ती के लिए नया अभियान शुरू किया है। इस संगठन ने अपनी महिला विंग Jamaat‑ul‑Mominaat घोषित की है और अब इसे सक्रिय रूप से महिलाओं को ऑनलाइन प्रशिक्षण देने के ज़रिये तैयार किया जा रहा है।

ऑनलाइन कोर्स ‘तुफ़त‑अल‑मुमिनात’

JeM ने इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए महिलाओं के लिए एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कोर्स शुरू किया है जिसका नाम है ‘Tufat‑al‑Muminat’। इस कोर्स की शुरुआत 8 नवंबर से होगी और इसमें रोजाना लगभग 40 मिनट की लाइव क्लास ली जाएगी। विशेष रूप से यह कोर्स संगठन की महिला ब्रिगेड को तैयार करने की दिशा में है, जिसमें ऑनलाइन माध्यम से महिलाओं को भर्ती करने और संगठित करने की योजना है।

महिला विंग का नेतृत्व और भर्ती प्रक्रिया

Jamaat‑ul‑Mominaat की कमान Sadiya Azhar को सौंपी गई है — वे JeM प्रमुख Masood Azhar की बहन हैं। भर्ती प्रक्रिया में संगठन ने अपने वरिष्ठ कमांडरों की पत्नियों तथा आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को टार्गेट किया है, और भर्ती के लिए ऑनलाइन फॉर्म तथा 500 पाकिस्तानी रुपये ‘दान’ की अटैच वाली मशीनरी शुरू की है।

अभियान के उद्देश्य और संभावित खतरे

यह अभियान केवल महिलाओं को एक प्रशिक्षण कोर्स देने का नहीं है, बल्कि यह महिलाओं को कट्टरपंथी विचारधारा के साथ जोड़ने, फंडिंग जुटाने और आतंकवादी अभियानों में शामिल करने की रणनीति का हिस्सा है।सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि भविष्य में इन महिलाओं का उपयोग आत्मघाती हमलों, फिदायीन अभियानों और अन्य हिंसक गतिविधियों में किया जा सकता है। महिलाओं के सामरिक उपयोग से खुफिया विश्लेषकों का कहना है कि यह आतंकवादी नेटवर्क की नई चाल है, जो पारंपरिक पुरुष‑केंद्रित मोडल से हटकर महिलाओं को सक्रिय भूमिका देने जा रहा है।

डिजिटल माध्यम और फंडिंग का नया रास्ता

JeM ने ऑनलाइन प्रशिक्षण व कोर्स के माध्यम से नई भर्ती के साथ चंदा जुटाने की रणनीति भी शुरू कर दी है। इस कार्यक्रम के तहत हर महिला प्रतिभागी से 500 पाकिस्तानी रुपये के दान के रूप में भुगतान लिया जा रहा है और ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से उनकी जानकारी संग्रहित की जा रही है।यह कदम पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंक‑वित्तपोषण बंद करने की दावों की पोल भी खोलता है क्योंकि एक ओर पाकिस्तान प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, तो दूसरी ओर ऐसे नेटवर्क खुलकर ऑनलाइन माध्यम से सक्रिय हो रहे हैं।

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