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Nepal Political Crisis: रैपर बालेंद्र शाह पर बढ़ी उम्मीदें, युवा नेतृत्व की मांग तेज़
पीएम ओली के इस्तीफ़े के बाद नेपाल में अंतरिम सरकार की चर्चा, प्रदर्शनकारी बालेंद्र शाह को नेतृत्व सौंपने की माँग कर रहे हैं।
Nepal New Leader Balen Shah ( image from Social Media)
Nepal News Hero: नेपाल में जनविद्रोह और राजनीतिक भूचाल के बीच पीएम ओली ने इस्तीफ़ा दे दिया है और अज्ञात वास में चले गए है । अब नेपाल की कमान कौन संभालेगा, बहस इस पर शुरू हो गई है। विकल्प में पूर्व पीएम देउबा, राष्ट्रपति शासन और युवा नेता बालेंद्र शाह पर कयास हैं। लेकिन इनमें देउबा की वापसी मुश्किल है क्योंकि युवाओं का आक्रोश जिन वृद्ध और घिसेपिटे नेताओं के खिलाफ है उनमें देउबा भी शामिल हैं। ऐसे में पूर्व रैप सिंगर और पूर्व मेयर बालेंद्र शाह की संभावना सबसे प्रबल है क्योंकि वो युवा वर्ग के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। प्रदर्शनकारियों ने भी बालेन्द्र शाह जैसे युवा नेताओं के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनाने की माँग की है।
यदि कोई निर्णय जल्द नहीं होता है तो नेपाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की भी संभावना है क्योंकि संविधान के अनुसार, यदि किसी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं होता है और कोई वैकल्पिक सरकार नहीं बन पाती, तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
रही बात कम्युनिस्ट नेताओं के आगे बढ़ने की तो उसकी संभावना भी कम है क्योंकि राजशाही के अंत के बाद जनता वामपंथी नेताओं को और उनके कामकाज को भी परख कर उन्हें खारिज कर चुकी है। सो वामपंथी कंट्रोल अब मुश्किल लगता है।
प्रदर्शनकारियों में जश्न
इस बीच प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े की खबर सामने आते ही राजधानी काठमांडू सहित कई शहरों में जश्न का माहौल है। युवा प्रदर्शनकारी ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते नजर आए हैं।
युवा नेतृत्व की मांग
प्रदर्शनकारी अब देश के युवा और ईमानदार नेताओं को सत्ता में देखना चाहते हैं। प्रदर्शनकारियों ने साफ़ कहा है कि अब देश को नई सोच और युवा नेतृत्व की ज़रूरत है।प्रदर्शन का एक मुख्य संदेश यह भी रहा कि जनता अब पारंपरिक राजनीतिक दलों और उनके वृद्ध नेताओं से ऊब चुकी है। युवाओं ने सभी पार्टियों के भ्रष्ट और असफल नेतृत्व को नकार दिया है।
जन आक्रोश को देख कई वरिष्ठ नेताओं ने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है और कुछ के नेपाल छोड़ने की भी खबरें आ रही हैं। मौजूदा राजनीतिक हालात में नेताओं को अपनी जान की चिंता सता रही है। हालांकि ओली के इस्तीफ़े के बाद कुछ शांति की उम्मीद थी, लेकिन आंदोलन अब नई सरकार की मांग को लेकर और तेज़ हो गया है।
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