नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली- किसान पुत्र से सत्ता के शिखर तक शानदार सफर

Nepal PM KP Sharma Oli: खड्ग प्रसाद शर्मा ओली को आमतौर पर केपी शर्मा ओली के नाम से लोकप्रिय हैं। इनका जन्म 22 फरवरी 1952 को नेपाल के तेहराथुम जिले के छोटे से गांव इवा में हुआ।

Newstrack          -         Network
Published on: 8 Sept 2025 10:17 PM IST
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली- किसान पुत्र से सत्ता के शिखर तक शानदार सफर
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Nepal PM KP Sharma Oli  (PHOTO: SOCIAL MEDIA )

Nepal PM KP Sharma Oli: नेपाल की राजनीति में केपी शर्मा ओली का नाम एक ऐसे नेता के तौर पर लिया जाता है, जिन्होंने बेहद कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए सत्ता के शिखर तक का सफर तय किया। गरीबी, परिवार की तकलीफ़ें, जेल की अंधेरी कोठरियाँ, हार-जीत की कसौटी और विरोधियों की आलोचना इन सबके बीच वे सफलतापूर्वक तीन बार प्रधानमंत्री बने और नेपाल के इतिहास में अपनी अलग छाप छोड़ी। उनकी कहानी सिर्फ राजनीति की नहीं, बल्कि साहस, इच्छाशक्ति और जुझारूपन की दास्तान है।

खड्ग प्रसाद शर्मा ओली जन्म और प्रारंभिक जीवन (Khadga Prasad Sharma Oli Birth and Early Life)

खड्ग प्रसाद शर्मा ओली को आमतौर पर केपी शर्मा ओली के नाम से लोकप्रिय हैं। इनका जन्म 22 फरवरी 1952 को नेपाल के तेहराथुम जिले के छोटे से गांव इवा में हुआ। वे एक साधारण किसान परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता मोहन प्रसाद ओली सीमित शिक्षा वाले एक मेहनती किसान थे, जबकि उनकी मां मधुमाया ओली तब चल बसीं जब ओली मात्र चार साल के थे। इस हादसे ने उनके बचपन को गहरे दुख में डाल दिया। पिता की दूसरी शादी से उन्हें एक भाई और तीन बहनें मिलीं। बचपन का अधिकांश समय संघर्षों में बीता। परिवार 1958 में झापा जिले आया, लेकिन कंकई नदी में आई बाढ़ से उनकी जमीन बह गई और वे भूमिहीन हो गए। ओली अपने दादा-दादी के पास रहने लगे। 1962 में उनका परिवार झापा के गरमानी में बस गया। प्राथमिक शिक्षा उन्होंने प्रणामी मिडिल स्कूल से प्राप्त की और 1970 में आदर्श माध्यमिक विद्यालय से एसएलसी पास की। पढ़ाई के दौरान ही उनमें राजनीतिक चेतना जागृत हुई और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का साहस विकसित हुआ।

ओली की सोच पर नक्सलबाड़ी आंदोलन और पंचायत-विरोधी गतिविधियों का गहरा असर पड़ा। किशोरावस्था से ही वे अन्याय और असमानता के खिलाफ आवाज उठाने लगे। यही जुनून उन्हें राजनीतिक संघर्ष की राह पर ले गया।


प्रारंभिक राजनीतिक सफर और जेल का संघर्ष (Early political journey and prison struggle)

साल 1970 में महज अठारह वर्ष की उम्र में ओली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक स्थानीय संगठन से जुड़ गए। जल्द ही वे ‘विध्वंसक राजनीति’ में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिए गए। 1973 में उन्हें फिर गिरफ्तार किया गया और इसके बाद लगभग चौदह साल (1987 तक) जेल की सलाखों के पीछे गुजारने पड़े। यह दौर उनके जीवन का सबसे कठिन समय था। उन्हें कई जेलों में रखा गया और चार साल तक एकांत कारावास में भी रहना पड़ा। लेकिन इन्हीं सालों में उनका व्यक्तित्व और मजबूत हुआ। जेल के भीतर ही वे पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य बने। 1987 में रिहा होने के बाद वे पूरी ऊर्जा और नए जोश के साथ राजनीति में सक्रिय हो गए।


इस तरह हुई संसदीय राजनीति की शुरुआत (This is how parliamentary politics started)

1991 में नेपाल में लोकतंत्र की बहाली हुई। कम्युनिस्ट पार्टी के विभिन्न गुट मिलकर सीपीएन (यूएमएल) बने और ओली इसके संस्थापक केंद्रीय समिति के सदस्य बने। उसी साल वे डेमोक्रेटिक नेशनल यूथ फेडरेशन के अध्यक्ष बने। 1991 के चुनाव में वे झापा-6 से सांसद बने। 1994 में वे दोबारा इसी क्षेत्र से जीतकर संसद पहुंचे और मनमोहन अधिकारी की सरकार में गृह मंत्री बने। इस पद पर रहते हुए उन्होंने एक सख्त लेकिन ईमानदार नेता की छवि बनाई।


राजनीतिक चुनौतियां और उतार-चढ़ाव (Political challenges and ups and downs)

ओली का राजनीतिक सफर आसान नहीं रहा।1991 में उन्होंने पहली बार झापा-6 से जीत दर्ज की। 1994 में दोबारा वहीं से निर्वाचित हुए।1999 में वे झापा-2 और झापा-6 दोनों सीटों से चुनाव जीत गए। लेकिन 2005 में राजा ज्ञानेंद्र के शाही तख्तापलट के दौरान उन्हें नजरबंद कर दिया गया। 2006 की जनआंदोलन ने उन्हें एक बार फिर मुख्यधारा में ला खड़ा किया। उन्हें गिरिजा प्रसाद कोइराला की अंतरिम सरकार में उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री बनाया गया। हालांकि 2008 और 2013 में संविधान सभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन वे हताश नहीं हुए। वे संगठन में लगातार सक्रिय रहे और 2014 में सीपीएन (यूएमएल) के अध्यक्ष बने।

2017 में झापा-5 से शानदार जीत दर्ज की और संसद लौटे। उनकी जीतें प्रायः बड़े मतांतर से हुईं, जिसने उनकी लोकप्रियता और जनसमर्थन को दिखाया।


प्रधानमंत्री पद तक का सफर (Journey to the post of Prime Minister)

केपी शर्मा ओली ने तीन बार प्रधानमंत्री पद संभाला। पहली बार वे 2015 में इस पद पर पहुंचे, जब नेपाल भूकंप की त्रासदी और भारत की नाकेबंदी से जूझ रहा था। इस दौरान उन्होंने भारत के खिलाफ सख्त रुख अपनाया और चीन के साथ रिश्ते मजबूत करने की पहल की। दूसरी बार वे 2018 में प्रधानमंत्री बने और 2021 तक पद पर रहे। इस कार्यकाल में उन्होंने नेपाल के नक्शे में विवादित क्षेत्रों को शामिल कराकर खुद को राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित किया। हालांकि, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के आरोपों ने उनकी छवि को धक्का पहुंचाया। तीसरी बार वे जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री बने।


प्रमुख उपलब्धियां (Major Achievements)

ओली की सबसे बड़ी उपलब्धियों में 2015 की नाकेबंदी का डटकर विरोध शामिल है। उन्होंने नेपाल का नया नक्शा जारी करवाया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को शामिल किया गया। यह कदम नेपाल की राजनीति में उन्हें राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित करता है। चीन के साथ व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को मज़बूत करने का श्रेय भी उन्हें जाता है।


विवाद और आलोचना (Controversy and criticism)

जहां उनकी उपलब्धियां चर्चा में रहीं, वहीं उनके कार्यकाल विवादों से भी घिरे रहे। आलोचकों ने उन पर भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। मीडिया और आलोचकों के प्रति उनका रवैया कई बार आक्रामक रहा। पार्टी के भीतर गुटबाजी और सत्ता केंद्रीकरण को लेकर भी उनकी आलोचना हुई। केपी शर्मा ओली का जीवन बेहद सादा रहा है। वे सामान्य जीवनशैली पसंद करते हैं। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा और उन्होंने किडनी प्रत्यारोपण भी कराया, लेकिन इसके बावजूद वे राजनीति में सक्रिय रहे। वे शिक्षा, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य सुधार जैसे मुद्दों पर जोर देते हैं और किसानों व आम जनता के हित में लगातार आवाज उठाते रहे हैं। केपी शर्मा ओली का जीवन संघर्ष, दृढ़ निश्चय और साहस की कहानी है। एक साधारण किसान परिवार से निकलकर वे नेपाल के तीन बार प्रधानमंत्री बने। राजनैतिक सफर में अनेकों कठिनाइयों और आलोचनाओं के बावजूद भी वे नेपाल की राजनीति में एक सशक्त और प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में सक्रिय रहे हैं।

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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