"ईरान को फिर मिला धोखा? अमेरिका की चाल में फंसा पाकिस्तान, क्या इजराइल से गुपचुप हाथ मिला रहा है इस्लामाबाद?

Pakistan Israel secret deal: एक ओर पाक के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ कहते हैं कि “दबाव है और हम अपने राष्ट्रीय हितों को देखेंगे”, दूसरी तरफ विदेश मंत्री ईशाक डार साफ इनकार कर रहे हैं कि “इजराइल को कभी मान्यता नहीं देंगे”। तो सवाल ये है, क्या पाकिस्तान अमेरिका के दबाव में आकर ईरान को धोखा देगा?

Harsh Srivastava
Published on: 1 July 2025 4:18 PM IST
ईरान को फिर मिला धोखा? अमेरिका की चाल में फंसा पाकिस्तान, क्या इजराइल से गुपचुप हाथ मिला रहा है इस्लामाबाद?
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Pakistan Israel secret deal: इस्लामी दुनिया में एक भूचाल आने वाला है। वो पाकिस्तान, जो दशकों से ईरान के साथ खड़ा था, फिलीस्तीन के हक़ में आवाज़ बुलंद करता रहा, अब एक चौंकाने वाला मोड़ लेने की तैयारी में है। जी हां, अब्राहम समझौते — यानी इजराइल को मान्यता देने वाले अमेरिकी प्लान — में पाकिस्तान के शामिल होने की फुसफुसाहट अब चीख बन चुकी है। एक ओर पाक के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ कहते हैं कि “दबाव है और हम अपने राष्ट्रीय हितों को देखेंगे”, दूसरी तरफ विदेश मंत्री ईशाक डार साफ इनकार कर रहे हैं कि “इजराइल को कभी मान्यता नहीं देंगे”। तो सवाल ये है, क्या पाकिस्तान अमेरिका के दबाव में आकर ईरान को धोखा देगा? क्या फिलीस्तीन को भुला देगा? क्या पाकिस्तान अब इजराइल का दोस्त बनने की कगार पर है? जवाब तलाशते हैं इन कूटनीतिक परतों के नीचे...

अब्राहम समझौता: अरब से इजराइल तक दोस्ती की डील

अब्राहम समझौता कोई साधारण दस्तावेज़ नहीं है। ये वो ऐतिहासिक पहल है, जिसने एक वक्त इजराइल को दुश्मन मानने वाले अरब देशों को उसके साथ व्यापार, कूटनीति और यहां तक कि सैन्य सहयोग तक पहुंचा दिया। 2020 में अमेरिका की मध्यस्थता में यूएई, बहरीन और मोरक्को ने इजराइल को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी थी। इससे इजराइल को मध्य-पूर्व में एक नई वैधता मिल गई। अब अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान भी इस समझौते में शामिल हो जाए। लेकिन ये इतनी सीधी राह नहीं है। क्योंकि जहां एक ओर इजराइल है, वहीं दूसरी ओर है ईरान — और इन दोनों की दुश्मनी पुरानी है।

सच्चाई का संकेत या सिर्फ “पॉलिटिकल प्रेशर” का हवाला?

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने समा टीवी पर बम फोड़ते हुए कहा, “अमेरिका की तरफ से दबाव है कि हम अब्राहम समझौते में शामिल हों… हम तब फैसला लेंगे जब हमारे राष्ट्रीय हित कहेंगे।” यह बयान जितना नरम दिखाई देता है, उसके भीतर की विस्फोटक संभावना कहीं ज्यादा खतरनाक है। क्या पाकिस्तान अब “तटस्थ” दिखते हुए धीरे-धीरे इजराइल के करीब जा रहा है? क्या ये बयान भविष्य में फिलीस्तीन की नीति को बदलने का संकेत है?

ईशाक डार का दावा: इजराइल को मान्यता? नामुमकिन!

इस बवाल के बाद पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री ईशाक डार को सफाई देने की नौबत आ गई। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा “जब तक फिलीस्तीन को दो-राष्ट्र समाधान नहीं मिलता और यरुशलम उसकी राजधानी नहीं बनता, तब तक पाकिस्तान इजराइल को कभी मान्यता नहीं देगा।” साफ है, सरकार के भीतर ही मतभेद हैं। एक ओर डिफेंस मिनिस्टर का “संकेतात्मक खुलापन”, दूसरी ओर विदेश मंत्री का “आधिकारिक विरोध”। लेकिन इतिहास गवाह है— जब पाकिस्तान में ऐसे विरोधाभासी बयान आते हैं, तो सच्चाई अक्सर गोपनीय दस्तावेज़ों में छुपी होती है।

ईरान-पाकिस्तान रिश्ते: दोस्ती पर खतरा मंडरा रहा है?

पाकिस्तान ने हाल ही में ईरान के साथ खड़े होकर इजराइल के खिलाफ बयानबाज़ी की थी। ऑपरेशन सिंदूर के समय जब इजराइल ने ईरान पर हमला किया था, तब पाकिस्तान खुलकर ईरान के पक्ष में आया था। लेकिन अब सवाल उठता है क्या ये समर्थन सिर्फ दिखावे का था? क्या पाकिस्तान ने अब गुपचुप तरीके से अमेरिका और इजराइल के खेमे में घुसने का फैसला कर लिया है? अगर पाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल होता है, तो उसे इजराइल के खिलाफ किसी भी सैन्य या कूटनीतिक स्टैंड से पीछे हटना पड़ेगा। यही वजह है कि ईरान पाकिस्तान की नज़दीकियों पर नजर गड़ाए बैठा है।

डिप्लोमैटिक डील या गद्दारी?

पाकिस्तान के लिए यह फैसला दोधारी तलवार जैसा है। एक ओर अमेरिका है, जो सैन्य सहायता, IMF डील और विदेशी निवेश के ज़रिए पाकिस्तान को नियंत्रित करता है। दूसरी ओर ईरान है, जो धार्मिक आधार पर पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है और सीमा पार व्यापार में अहम भूमिका निभाता है।

यदि पाकिस्तान इजराइल को मान्यता देता है तो:

ईरान से रिश्ते टूट सकते हैं

कट्टरपंथी संगठनों का विरोध बढ़ सकता है

पाक की आंतरिक स्थिति और अस्थिर हो सकती है

लेकिन साथ ही:

अमेरिका की मेहरबानी मिल सकती है

IMF और वर्ल्ड बैंक की डील आसान हो सकती है

विदेश नीति में पाकिस्तान की “बड़े खिलाड़ी” के तौर पर वापसी हो सकती है

फिलहाल क्या है ग्राउंड रियलिटी?

अब तक पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर इजराइल से संबंध बनाने से इनकार किया है, लेकिन जिस तरह से डिफेंस मिनिस्टर के बयान, अमेरिका का दबाव और अब्राहम समझौते की कूटनीतिक चालें सामने आ रही हैं—उससे यह साफ है कि इस्लामाबाद “मौलिक बदलाव” की दहलीज पर खड़ा है। फिलहाल डार साहब कुछ भी कह लें, राजनीति की असली भाषा कागज़ों से नहीं, फैसलों से तय होती है।

अगला धमाका कब होगा? सबकी निगाहें इस्लामाबाद पर!

अब दुनिया की नजर पाकिस्तान पर है। क्या वह सच में अपनी दशकों पुरानी फिलीस्तीनी नीति को दरकिनार कर देगा? क्या ईरान की दोस्ती को ठुकराकर इजराइल से हाथ मिलाएगा? क्या ख्वाजा आसिफ के बयान महज़ 'टेस्टिंग बैलून' थे? इसका जवाब आने वाले महीनों में मिलेगा, लेकिन फिलहाल एक बात तय है इस्लामिक वर्ल्ड में पाकिस्तान अब “नॉन-लाइनर” गेम खेल रहा है… और ये खेल जितना कूटनीतिक है, उतना ही खतरनाक भी!

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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