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फिर शुरू होगी जंग? बौखलाए Pak ने तालिबान को दिया अल्टीमेटम, कहा- 'मिटा देंगे तालिबान को...'
इस्तांबुल में शांति वार्ता विफल होने के बाद पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच तनाव बढ़ गया है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तालिबान को 'मिटा देने' की धमकी दी और आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाने का ऐलान किया।
Khawaja Asif warning to Taliban: इस्तांबुल में चार दिनों तक चली महत्वपूर्ण शांति वार्ता असफल होने के बाद पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। बातचीत की मेज से उठते ही पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने तालिबान शासन को सीधे तौर पर बेहद कड़ी चेतावनी दे डाली है। मंत्री आसिफ ने भड़कते हुए 2001 की कुख्यात 'तोरा बोरा' घटना का जिक्र किया और अफगानिस्तान के शासकों को 'पूरी तरह से मिटाने' और उन्हें 'गुफाओं में वापस धकेलने' की खुली धमकी दी है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि इस्लामाबाद भविष्य में आतंकवाद की किसी भी हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगा और पूरी ताकत से इसका जवाब देगा। दोनों देशों के बीच उग्रवादी समूहों को पनाह देने के आरोपों के चलते रिश्ते पहले से ही तल्ख थे, लेकिन इस वार्ता की विफलता ने आग में घी का काम किया है।
गुफाओं में लौटने की खुली चेतावनी
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अपनी चेतावनी में कहा कि पाकिस्तान भविष्य के किसी भी आतंकवादी कृत्य पर 'पूरी शक्ति के साथ' जवाब देगा। उन्होंने तालिबान शासन को ललकारते हुए कहा कि उन्हें 'पूरी तरह से मिटाने' और उन्हें 'छिपने के लिए गुफाओं में वापस धकेलने' के लिए पाकिस्तान को अपने पूरे हथियार भंडार का एक अंश भी इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने 'तोरा बोरा' जैसी घटना को दोहराने की धमकी देते हुए कहा कि अगर तालिबान ऐसा चाहते हैं तो 'तोरा बोरा' में उनकी हार के भयावह दृश्यों को दोहराया जाएगा। 'तोरा बोरा' वह घटना थी जब अफगानिस्तान में तालिबान और अलकायदा के लड़ाकों को अमेरिकी सेना और स्थानीय सहयोगियों ने गुफाओं में छिपने पर मजबूर कर दिया था।
अफगानिस्तान 'साम्राज्यों का कब्रिस्तान' नहीं, अपने लोगों का कब्रिस्तान
मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर एक पोस्ट में अफगानिस्तान को लेकर की जाने वाली पुरानी कहावत पर भी प्रहार किया। उन्होंने कहा कि, "जहां तक साम्राज्यों के कब्रिस्तान के बखान का सवाल है, पाकिस्तान किसी साम्राज्य होने का दावा नहीं करता, लेकिन अफगानिस्तान निश्चित रूप से कब्रिस्तान है, अपने ही लोगों के लिए।" उन्होंने तालिबान शासकों पर धोखा देने का सीधा आरोप लगाया और कहा कि यह बातचीत 'भाईचारा वाले देशों' की अपील पर शांति का एक मौका देने के लिए की गई थी। उन्होंने तालिबान पर जानबूझकर अफगानिस्तान को अस्थिर करने का आरोप लगाया, ताकि वे अपनी 'युद्ध अर्थव्यवस्था' को बनाए रख सकें। आसिफ ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि तालिबान सरकार के अंदर कुछ 'जंगबाज' उनके संकल्प और साहस को शायद गलत समझ रहे हैं।
बुरा होगा अंजाम और यूएन की चिंता
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने साफ और सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि, "पाकिस्तान के अंदर कोई भी आतंकवादी हमला या कोई भी आत्मघाती बमबारी आपको ऐसे दुस्साहस का कड़वा स्वाद चखाएगी।" यह बयान पाकिस्तान के सख्त रुख को दर्शाता है, जो सीमा पार से होने वाले हमलों को रोकने के लिए कोई भी कदम उठाने को तैयार है। दरअसल, कतर और तुर्की की मध्यस्थता में शनिवार से मंगलवार तक इस्तांबुल में चली चार दिवसीय वार्ता बिना किसी ठोस परिणाम के खत्म हो गई। पाकिस्तान की मुख्य मांग – अफगानिस्तान से सीमा पार हमलों के लिए तालिबान नियंत्रित उग्रवादी समूहों पर कार्रवाई – पर कोई प्रगति नहीं हुई। इससे पहले 19 अक्टूबर को दोहा में सीजफायर पर सहमति बनी थी, लेकिन वह भी जल्द ही टूट गई।
वार्ता विफल होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी गहरी चिंता व्यक्त की है। न्यूयॉर्क में यूएन प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, "हम बहुत उम्मीद करते हैं कि भले ही बातचीत रुक गई हो, लेकिन लड़ाई फिर से शुरू नहीं होगी।" पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान में छिपे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे समूह उसके सैनिकों पर हमले कर रहे हैं, जबकि तालिबान इन आरोपों को खारिज कर पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाइयों को 'अपनी संप्रभुता का उल्लंघन' बता रहा है। इस तनावपूर्ण स्थिति में, दोनों देशों के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है।
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