बंदर बने कातिल! पनामा के जंगलों में कैपुचिन बंदरो ने रचा मौत का खेल, मंजर देख कांप उठे वैज्ञानिक

Panama Forest Monkeys: यह रहस्यमयी सिलसिला साल 2022 में शुरू हुआ, जब जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर के वैज्ञानिकों ने कैपुचिन बंदरों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए थे।

Harsh Srivastava
Published on: 20 May 2025 7:34 PM IST
Panama Forest Monkeys
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Panama Forest Monkeys

Panama Forest Monkeys: आप जंगलों को अब भी शांति और संतुलन की जगह समझते हैं? क्या आपको लगता है कि प्रकृति के नियम स्थिर और निर्दोष होते हैं? अगर हां, तो पनामा के जिकारॉन द्वीप से आई ये ख़बर आपके सोचने का तरीका हमेशा के लिए बदल सकती है। यहां पेड़ों के झुरमुटों के बीच, जहां चिड़ियों की चहचहाहट और पत्तों की सरसराहट जीवन का संगीत रचती है, वहां अब कुछ ऐसा हो रहा है जिसे वैज्ञानिकों ने भी पहले कभी नहीं देखा। कैपुचिन बंदर, जो सामान्यत अपनी चालाकी, सामाजिक व्यवहार और औजारों के इस्तेमाल के लिए मशहूर हैं, अब एक अजीब, डरावनी और घातक आदत के शिकार हो चुके हैं। ये बंदर अब दूसरी प्रजाति हाउलर बंदरों के नवजात बच्चों को उठाकर अपनी पीठ पर घूम रहे हैं। यह दृश्य जितना मासूम दिखता है, उतना ही क्रूर है। क्योंकि इन नवजातों के लिए यह सफर मौत की ओर जाने वाली यात्रा बन चुका है।

यह सब शुरू कैसे हुआ?

यह रहस्यमयी सिलसिला साल 2022 में शुरू हुआ, जब जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर के वैज्ञानिकों ने कैपुचिन बंदरों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए थे। इनका उद्देश्य इन बंदरों की औजार इस्तेमाल करने की आदतों का अध्ययन करना था जैसे कि पत्थरों से घोंघे या केकड़े तोड़ना। लेकिन कैमरे ने जो रिकॉर्ड किया, उसने वैज्ञानिकों को चौंका दिया। एक युवा नर कैपुचिन बंदर, जिसे शोधकर्ताओं ने 'जोकर' नाम दिया, एक हाउलर बंदर के नवजात को अपनी पीठ पर ले जाते हुए देखा गया। इस घटना के बाद जोकर ने चार अलग-अलग हाउलर बच्चों को उठाया और महीनों तक यह व्यवहार दोहराया। धीरे-धीरे, चार अन्य नर कैपुचिन बंदरों ने भी यही व्यवहार अपनाया। अब तक कम से कम 11 हाउलर नवजात इन कैपुचिन बंदरों की पीठ पर देखे गए हैं और इनमें से चार की मौत हो चुकी है। पहली नज़र में यह लग सकता है कि शायद ये बंदर किसी नए खेल में लगे हैं, लेकिन यह खेल हाउलर नवजातों के जीवन की कीमत पर हो रहा है।

कैसे मिलते हैं कैपुचिन को ये नवजात?

यह प्रक्रिया जंगल की ऊंची शाखाओं पर होती है, इसलिए कैमरों में सीधे तौर पर रिकॉर्ड नहीं हुई। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कैपुचिन बंदर अपनी फुर्ती और चालाकी का इस्तेमाल करके हाउलर मांओं से उनके नवजात छीन लेते हैं। हाउलर भले आकार में बड़े होते हों, लेकिन वे धीमे होते हैं और यहीं से शुरू होती है नवजातों की पीठ पर मौत की यात्रा। कैपुचिन बंदर इन बच्चों को पीठ पर उठाकर पूरे जंगल में घुमाते हैं। शुरुआत में ये नवजात ठीक-ठाक दिखते हैं, लेकिन चूंकि उन्हें मां का दूध नहीं मिल पाता, वे धीरे-धीरे कमज़ोर होकर मर जाते हैं। कुछ बंदर तो मरे हुए बच्चों को भी अपनी पीठ पर एक दिन तक ढोते रहते हैं यह व्यवहार इतना असामान्य है कि वैज्ञानिक भी हैरान हैं।

विज्ञान क्या कहता है?

इस घटना को समझने की कोशिश में जुटे वैज्ञानिक इसे एक प्रकार के *"सोशल ट्रेंड" या "बंदरों के बीच फैशन" की तरह देख रहे हैं। शोधकर्ता जोए गोल्ड्सबरो कहते हैं “जिकारॉन द्वीप पर कोई शिकारी नहीं हैं, भोजन प्रचुर मात्रा में है। जब खतरे या संघर्ष न हों, तो जानवर बोर होकर अजीब व्यवहार अपनाते हैं। यह भी एक ऐसा ही चलन है जो एक बंदर से शुरू होकर पूरे समूह में फैल गया।” यह सामाजिक व्यवहार एक चेतावनी भी है कि बुद्धिमत्ता और उत्सुकता जब सीमाओं से बाहर जाती है, तो वह स्वाभाविक क्रूरता में बदल सकती है।

सिर्फ उत्सुकता नहीं — सामाजिक जटिलता?

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह व्यवहार कैपुचिन बंदरों की सामाजिक संरचना से भी जुड़ा हो सकता है। नर बंदर अक्सर अपने समूह के बच्चों को उठाकर खेलते हैं जिससे दोस्ती और सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं। लेकिन जब यही व्यवहार दूसरी प्रजातियों पर लागू किया जाता है, तो यह *मौत का कारण बन जाता है।

संकट में हाउलर प्रजाति

जिकारॉन द्वीप पर हाउलर बंदरों की संख्या पहले से ही सीमित है। सिर्फ चार से पांच समूह बचे हैं। यदि नवजात इसी तरह मरते रहे, तो यह प्रजाति वहां से पूरी तरह समाप्त हो सकती है। यह सिर्फ एक जैविक आपदा नहीं, बल्कि *एक इकोलॉजिकल ट्रिगर पॉइंट है, जो हमें बताता है कि प्रकृति में छोटी गड़बड़ियां भी बड़ी तबाही का कारण बन सकती हैं।

क्या रुक सकता है यह अजीब व्यवहार?

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह ट्रेंड धीरे-धीरे खुद ही खत्म हो जाएगा। कैपुचिन बंदरों की आदतें अक्सर समय के साथ बदलती रहती हैं। जैसे ही ये नर बंदर अपने मूल समूह छोड़कर नए समूह में जाएंगे, संभव है कि ये व्यवहार फैलना बंद हो जाएगा। जब तक यह 'ट्रेंड' चलता रहेगा, हर हाउलर नवजात खतरे में है। और यह घटना हमें याद दिलाती है कि प्रकृति केवल सुंदर और शांत नहीं होती उसमें क्रूरता भी पनप सकती है, और कभी-कभी वह मनुष्य की कल्पना से भी परे होती है। यह खबर सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं, एक चेतावनी है बुद्धिमान प्रजातियों के बीच फैले भ्रम, बोरियत और प्रयोग की। और जब वह प्रयोग मासूम जिंदगियों पर हो, तो वह केवल अजीब नहीं, घातक हो जाता है।

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Harsh Srivastava

News Cordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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