ट्रंप के दबंगई के बीच इन चिर-प्रतिद्दंदी देशों ने कर ली बड़ी, अमेरिका हुआ आग-बबूला

ईरान और इराक ने अमेरिका की धमकियों के बीच सुरक्षा समझौता किया, सीमा निगरानी के लिए संयुक्त समिति बनाई, बढ़ा द्विपक्षीय सहयोग।

Shivam Srivastava
Published on: 22 Oct 2025 5:42 PM IST
ट्रंप के दबंगई के बीच इन चिर-प्रतिद्दंदी देशों ने कर ली बड़ी, अमेरिका हुआ आग-बबूला
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मिडिल ईस्ट के दो देशों ईरान और इराक ने अमेरिका की धमकियों के बीच सुरक्षा सहयोग को मजबूती दी है। दोनों देशों ने एक सुरक्षा समझौता किया है और सीमा क्षेत्रों की निगरानी के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है, ताकि इस समझौते को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके और अवैध गतिविधियों और घुसपैठ को रोका जा सके।

इराक के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कासिम अल-आराजी हाल ही में ईरान पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन समेत कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की। पेजेश्कियन ने कहा कि सुरक्षा सहयोग के साथ-साथ आर्थिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे।

मैदानी समिति का गठन

अल-आराजी ने रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर-इन-चीफ मेजर जनरल मोहम्मद पाकपुर से भी मुलाकात की, जहां उन्होंने सीमा निगरानी के लिए मैदानी समिति (Field Committee) के गठन की अहमियत पर जोर दिया। इस समिति का मुख्य उद्देश्य अवैध गतिविधियों और घुसपैठ को रोकना है।

ईरानी मीडिया के अनुसार, इस समिति के गठन से दोनों देशों के संबंध और भी मजबूती पाएंगे। दोनों देश मिलकर इन खतरों से निपटने का संकल्प ले चुके हैं।

रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख ने यह भी कहा कि आतंकवादी समूह दोनों देशों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं, और उन्हें नियंत्रित करने के लिए ईरान-इराक के बीच संयुक्त सहयोग जरूरी है। साथ ही, उन्होंने दावा किया कि अमेरिका ने कुछ पड़ोसी देशों में ईरान की मिसाइलों को रोकने के लिए THAAD और Aegis सिस्टम तैनात किए हैं।

ईरान-इराक रिश्तों से बढ़ी अमेरिका की चिंता

ईरान की सशस्त्र सेनाओं के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल अब्दुल रहीम मूसवी ने इराकी प्रतिनिधिमंडल के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ईरान और इराक की जनता के बीच गहरा भाईचारा है, जो अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता है। मूसवी ने जोर देकर कहा कि अमेरिकी इस एकजुटता से बेहद चिंतित हैं क्योंकि वे जानते हैं कि इससे दोनों देशों को क्या लाभ होगा।

वॉशिंगटन की योजनाओं का जिक्र करते हुए मूसवी ने कहा कि यदि जायोनी शासन और अमेरिका के हालिया हमले न हुए होते, तो अमेरिका के इराक पर नियंत्रण के इरादे छिपे रह सकते थे। उन्होंने सुरक्षा समझौते को पूरी तरह प्रभावी बनाने पर बल दिया।

ईरान की बढ़ती चिंता

ईरान की चिंता उस वक्त और बढ़ गई जब इजराइल ने युद्ध के दौरान अपने हमलों के लिए इराक के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया। इराक ने इस हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की शिकायत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में की है। इन खतरों के मद्देनजर, ईरान दोनों देशों के बीच और भी घनिष्ठ सहयोग की मांग कर रहा है।

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