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दुनिया देखे भारत की 'ताकत', NATO की धमकी के बीच दो पावरफुल देशों के लिए बना 'भारत महान'
Russia-India-China: RIC की वापसी महज़ कूटनीतिक पहल नहीं, यह वैश्विक मंच पर एक नई ध्रुवीयता की आहट है।
Russia-India-China: नाटो की धमकियों के बीच भारत, चीन और रूस के गठजोड़ RIC (Russia-India-China) को फिर से जीवित करने की मुहिम तेज हो गई है। रूस की पहल पर चीन खुलकर मैदान में आ चुका है, लेकिन भारत ने सोच-समझकर सधा हुआ रुख अपनाया है। एक ओर मॉस्को और बीजिंग तीन ध्रुवों की त्रिकोणीय शक्ति को फिर से उठाने को तैयार हैं, वहीं भारत ने शांति से कहा – बात तभी बढ़ेगी जब तीनों की सुविधा साथ हो।
रूस ने फूंका बिगुल, चीन ने थामा झंडा
रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुदेंको ने इजवेस्तिया को दिए इंटरव्यू में साफ किया – मॉस्को RIC की वापसी चाहता है और इसके लिए दिल्ली और बीजिंग से बातचीत जारी है। चीन ने इस पर तुरंत हामी भरी और कहा, RIC न सिर्फ हमारे हित में है बल्कि पूरी दुनिया की स्थिरता और सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा सकता है। चीन की तरफ से यह संकेत भी आया कि अमेरिका से जारी टैरिफ युद्ध के बीच वह भारत के साथ समीकरण सुधारना चाहता है।
भारत ने साधा निशाना, पर चला धीमे
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी प्रेस ब्रीफिंग में साफ किया कि बैठक तभी संभव है जब तीनों देशों को सुविधा हो। भारत का यह जवाब भले ही कूटनीतिक हो, लेकिन साफ संदेश है दिल्ली जल्दबाज़ी में नहीं है।
पर्दे के पीछे की असल गहमागहमी
रूस को चाहिए भारत - हथियार, तेल और पश्चिमी प्रतिबंधों से राहत के लिए भारत जैसा खरीदार और साझेदार रूस के लिए बेहद जरूरी है।
चीन को चाहिए भारत का बाजार - अमेरिका से ट्रेड वॉर झेल रहे चीन के लिए भारत का बाज़ार खुला रखना रणनीतिक प्राथमिकता बन चुका है।
भारत को चाहिए सामंजस्य - भारत यह भी समझता है कि BRICS और SCO जैसे मंचों पर तो साथ बैठना मजबूरी है, लेकिन RIC जैसी पहल में शामिल होने से पहले चीन की चालें पढ़ना ज़रूरी है।
क्या RIC, नाटो को जवाब है?
पिछले दिनों NATO महासचिव मार्क रूट ने भारत, चीन और ब्राजील को रूस से व्यापार बंद करने की धमकी दी थी। इसका जवाब शायद अब कूटनीतिक मोर्चे पर मिल रहा है। RIC की बहाली की यह कोशिश अमेरिका और यूरोपीय शक्तियों को सीधी चुनौती नहीं तो संकेत जरूर है – वैश्विक ध्रुवीयता अब एकतरफा नहीं चलेगी।
RIC: सिर्फ त्रिकोण नहीं, एक साइलेंट मैसेज भी
यह पहल भारत के लिए एक परीक्षा भी है, जहां उसे चीन से सीमा तनावों की छाया से बाहर निकलकर रणनीतिक सूझबूझ दिखानी है। RIC के जरिए एक नया संतुलन बन सकता है, लेकिन भारत इसमें तभी कदम बढ़ाएगा जब उसका आत्मविश्वास और भूराजनैतिक हित पूरी तरह संतुलित हों।
रूस और चीन तैयारी में, भारत इंतज़ार में। RIC की वापसी महज़ कूटनीतिक पहल नहीं, यह वैश्विक मंच पर एक नई ध्रुवीयता की आहट है। अब निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं, वो इस बिसात पर अगली चाल क्या चलेगा?
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