China को आखिरकार पड़ गई भारत की जरूरत, इस प्रोजेक्ट के लिये मांगा दिल्ली-मॉस्को का साथ

चीन ने RIC त्रिपक्षीय सहयोग को पुनर्जीवित करने की वकालत की है। रूस की पहल को समर्थन देते हुए चीन ने कहा कि यह सहयोग क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए अहम है। भारत-चीन संबंध सामान्य होने पर RIC ढांचे को फिर सक्रिय किया जा सकता है।

Shivam Srivastava
Published on: 18 July 2025 6:10 AM IST (Updated on: 18 July 2025 6:10 AM IST)
China को आखिरकार पड़ गई भारत की जरूरत, इस प्रोजेक्ट के लिये मांगा दिल्ली-मॉस्को का साथ
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चीन ने लंबे समय से ठप पड़े रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय सहयोग ढांचे को दोबारा सक्रिय करने की बात कही है। बीजिंग ने इस दिशा में रूस द्वारा उठाए गए कदम का समर्थन किया है। चीन का कहना है कि यह त्रिपक्षीय सहयोग न केवल इन तीनों देशों के हित में है। साथ ही वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिरता तथा सुरक्षा के लिए भी अत्यंत जरूरी है।

मॉस्को की ओर से शुरू हुई पहल

रूसी उप-विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में जानकारी दी कि मॉस्को चाहता है कि RIC फॉर्मेट फिर से प्रभावी रूप से काम करे। उन्होंने बताया कि इस विषय पर रूस, भारत और चीन के साथ विचार-विमर्श कर रहा है। रुडेंको के अनुसार, ब्रिक्स की नींव रखने वाले देशों में ये तीनों प्रमुख भागीदार रहे हैं। इसलिए, इस त्रिपक्षीय ढांचे को फिर से शुरू करना स्वाभाविक और लाभकारी होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि इस सहयोग का न चल पाना एक बड़ी चूक रही है और जब आपसी संबंध उस स्तर पर पहुंच जाएंगे। जहां तीनों देश सहजता से साथ काम कर सकें तब RIC को फिर से सक्रिय करना संभव होगा।

चीन ने जताई सहयोग की इच्छा

रूस के इस रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि RIC सहयोग तंत्र केवल तीनों देशों के आपसी हितों के लिए नहीं है। यह वैश्विक शांति, विकास और स्थिरता में भी योगदान कर सकता है। चीन ने इस दिशा में भारत और रूस के साथ संवाद बनाए रखने की इच्छा जताई है।

भारत की SCO यात्रा के बाद बदला परिदृश्य

हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन यात्रा के दौरान उन्होंने अपने चीनी समकक्ष वांग यी और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात की थी। इसके बाद ही RIC के पुनर्जीवन की चर्चाएं तेज हुई हैं। माना जा रहा है कि इस मुलाकात ने ट्रैक-2 डिप्लोमेसी को नई दिशा दी है।

पूर्वी लद्दाख में तनाव बना था बाधा

बातचीत के इस ढांचे में गतिरोध 2020 में तब आया जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव उत्पन्न हुआ। इससे पहले, कोविड-19 महामारी के कारण भी RIC की गतिविधियाँ ठप हो गई थीं। लावरोव ने पिछले साल स्वीकार किया था कि इसी कारण से त्रिपक्षीय मंच निष्क्रिय हो गया था। हालांकि, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने की कोशिशें तेज हुई हैं।

सामंजस्य बनाने की कोशिशें जारी

विदेश मंत्री जयशंकर की यात्रा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीन यात्राओं के बाद हुई थी। यह दर्शाता है कि भारत-चीन संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिशें सरकार स्तर पर लगातार हो रही हैं।

रूस के लिए यह त्रिपक्षीय मंच रणनीतिक रूप से अहम है। लावरोव ने मई में दोहराया था कि मॉस्को की दिलचस्पी इस ढांचे को फिर से सक्रिय करने में बनी हुई है। यह भी उल्लेखनीय है कि इस फॉर्मेट की शुरुआत रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव ने की थी और इसके तहत अब तक 20 बैठकों का आयोजन हो चुका है।

बदलते समीकरणों से चीन की बढ़ी चिंता

चीन की चिंता यह भी है कि भारत अब QUAD का हिस्सा है। बीजिंग इस गठबंधन को अपने रणनीतिक हितों के लिए चुनौती मानता है। साथ ही, पाकिस्तान के साथ चीन की गहराती नजदीकियों ने भारत-चीन के बीच भरोसे की खाई को और गहरा किया है। जिससे RIC की उपयोगिता सीमित हो गई थी।

वहीं, यूक्रेन युद्ध के चलते रूस, भारत और यूरोपीय संघ के बीच बनते नए समीकरणों को लेकर चिंतित है। रूस के विश्लेषकों का मानना है कि यूरेशिया में किसी भी किस्म का बहुपक्षीय सहयोग संघर्षों को कम करने की दिशा में मददगार हो सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत और रूस के पारंपरिक संबंधों को देखते हुए RIC जैसे मंच में नई दिल्ली की भूमिका विशेष है। साथ ही, मॉस्को की सक्रियता इस फॉर्मेट को फिर से प्रभावी बनाने में सहायक हो सकती है।

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