BRICS सम्मेलन में मोदी अकेले! चीन और रूस की गैरमौजूदगी से हड़कंप – क्या टूट रहा है उभरती अर्थव्यवस्थाओं का सबसे बड़ा गठजोड़?

BRICS summit 2025: BRICS सम्मेलन में ना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहुंचे, ना रूस के व्लादिमीर पुतिन। ईरान के राष्ट्रपति ने भी किनारा कर लिया। और इस तरह एक ऐसा मंच जो कभी अमेरिका के विकल्प के रूप में खड़ा हो सकता था, वह खुद सवालों के घेरे में आ गया।

Harsh Srivastava
Published on: 6 July 2025 5:15 PM IST
BRICS सम्मेलन में मोदी अकेले! चीन और रूस की गैरमौजूदगी से हड़कंप – क्या टूट रहा है उभरती अर्थव्यवस्थाओं का सबसे बड़ा गठजोड़?
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BRICS summit 2025: जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंचे, तो दुनिया को उम्मीद थी कि ये शिखर सम्मेलन वैश्विक दक्षिण की एकजुटता और पश्चिम के प्रभुत्व के जवाब में एक नया संदेश देगा। लेकिन मंच पर जो तस्वीरें उभरीं, उसने सबको चौंका दिया। ना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहुंचे, ना रूस के व्लादिमीर पुतिन। ईरान के राष्ट्रपति ने भी किनारा कर लिया। और इस तरह एक ऐसा मंच जो कभी अमेरिका के विकल्प के रूप में खड़ा हो सकता था, वह खुद सवालों के घेरे में आ गया।

ब्रिक्स पर मंडराता साया – कहां हैं इसके स्तंभ नेता?

ब्रिक्स (BRICS) – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का यह गठबंधन कभी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं का प्रतीक था। लेकिन अब इस मंच की साख उस वक्त डगमगा गई जब उसके दो सबसे बड़े नेता – शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन – खुद सम्मेलन से दूर हो गए। ब्राजील के इस सम्मेलन में जहां भारत और दक्षिण अफ्रीका के नेता मौजूद हैं, वहीं चीन और रूस की ओर से सिर्फ प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है – क्या ब्रिक्स की नींव हिलने लगी है?

शी जिनपिंग की 'गायब राजनीति' – क्या अमेरिका के डर से पीछे हटे?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस बार की गैरमौजूदगी को लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह की अटकलें चल रही हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद ये पहली बार है जब वह ब्रिक्स सम्मेलन से दूर हैं। दरअसल, अमेरिका और चीन के बीच आर्थिक टकराव चरम पर है। व्यापार, तकनीक, ताइवान और अब दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों पर अमेरिका का दबाव इतना बढ़ गया है कि बीजिंग बैकफुट पर आ गया है। शी जिनपिंग बीते दो हफ्तों से सार्वजनिक तौर पर भी नज़र नहीं आए हैं। ऐसे में उनकी ब्रिक्स से दूरी को इस बात से जोड़ा जा रहा है कि वे अब इस मंच को प्राथमिकता नहीं दे रहे, बल्कि घरेलू राजनीति और अमेरिकी चुनौती से जूझ रहे हैं।

चीन का ब्रिक्स से मोहभंग?

नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के एसोसिएट प्रोफेसर चोंग जा इयान का मानना है कि शी अब ब्रिक्स को उतनी अहमियत नहीं दे रहे। उनके मुताबिक, चीन इस बार सम्मेलन में कोई बड़ी कामयाबी की उम्मीद नहीं कर रहा था और बीजिंग की नजरें अब घरेलू अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने पर हैं। तो क्या ये माना जाए कि चीन धीरे-धीरे ब्रिक्स से अपना कंधा खींच रहा है?

पुतिन भी गायब – क्या रूस अब अलग राह पकड़ रहा है?

रूस, जो अमेरिका और यूरोप की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों से टूट रहा है, उसके लिए ब्रिक्स एक अहम मंच था। लेकिन इस बार व्लादिमीर पुतिन ने भी सम्मेलन से दूरी बना ली। यूक्रेन युद्ध में घिरे पुतिन के पास शायद वक्त नहीं था, या फिर वे जानबूझकर एक संकेत देना चाह रहे थे कि अब ब्रिक्स उनके लिए प्राथमिकता नहीं है। जानकार कहते हैं कि पुतिन अब मध्य एशिया, ईरान और अफ्रीका के साथ सैन्य-सामरिक गठजोड़ पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। यानी रूस का फोकस अब ब्रिक्स से हटकर नए मोर्चों पर है।

ईरान भी गायब – क्या टूट रहा है इस गठबंधन का असर?

न सिर्फ चीन और रूस, बल्कि हाल ही में ब्रिक्स में शामिल हुए ईरान के राष्ट्रपति भी इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। मध्य पूर्व में इजराइल के साथ जारी तनाव, आंतरिक आर्थिक संकट और अमेरिका के हमलों से ईरान खुद को बचाने में लगा है। ऐसे में यह साफ संकेत है कि ब्रिक्स के सदस्य अब अपने-अपने मोर्चों में उलझ गए हैं और सामूहिक मंच से ध्यान हटा रहे हैं।

क्या ब्रिक्स का भविष्य अधर में है?

ब्राजील का यह सम्मेलन भले ही कागजों पर हो जाए, लेकिन असल मायने में यह उस गठबंधन की कमजोरी को उजागर कर रहा है जिसे कभी पश्चिम के खिलाफ एकजुट मोर्चा माना जाता था। शी, पुतिन और ईरान के नेताओं की गैरमौजूदगी ने यह जाहिर कर दिया है कि ब्रिक्स अब एकजुट नहीं रहा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी जरूर उल्लेखनीय है, लेकिन अकेले भारत इस मंच को नई जान नहीं दे सकता। जब तक इसके बड़े स्तंभ खुद को पूरी ताकत से ना जोड़ें, ब्रिक्स का अस्तित्व महज़ एक औपचारिक संगठन बनकर रह जाएगा।

तो क्या टूटने वाला है ब्रिक्स?

अभी ये कहना जल्दबाज़ी होगी, लेकिन जिस राह पर ये संगठन चल रहा है, उसमें दरारें साफ दिखने लगी हैं। जो मंच कभी 'ब्रिक वॉल' बनकर अमेरिका के सामने खड़ा हुआ था, वही अब अपने ही नेताओं की अनुपस्थिति से हिलता हुआ नज़र आ रहा है। और अगर यही हाल रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब ब्रिक्स सिर्फ इतिहास की किताबों में जिक्र बनकर रह जाएगा… एक अधूरी आकांक्षा, जो कभी पूरी ना हो सकी।

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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