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महायुद्ध का हुआ आगाज़? "रूस-चीन ने दुनिया को दी परमाणु युद्ध की धमकी, अमेरिका समेत कई देशों को बनाया गया टारगेट
Russia China nuclear drill: रूस और चीन ने प्रशांत महासागर में बड़े स्तर पर सामूहिक मिसाइल अभ्यास शुरू कर दिया है। इस अभ्यास में क्रूज़ मिसाइलों ने दिखाया यह संदेश—"जहाँ टारगेट, वहीं हमले होंगे।
Russia China nuclear drill: हलचल बढ़ने लगी है हवा में, जैसे भविष्य का कोई तमाशा रचा जा रहा हो—और इसमें कई देश मलबे और राख हैं, शो का हिस्सा बनाकर। हफ्ते भर पहले रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक माहौल पहले से तेज़ हमला करता दिख रहा था। लेकिन अब, रूस ने दुनिया को एक भयानक चेतावनी दी है—यह कोई मतभेद नहीं, यह तैयारी है युद्ध के अगले चरण की। बस यूक्रेन के मोर्चे से हटकर युद्ध की साजिश अब विस्तार लेने को ही तैयार नहीं है। रूस ने मान लिया है कि ब्रिटेन और जर्मनी की मदद से उसे NATO देशों की "आंतरिक धमकी" घोषित कर दिया गया है। यही वजह है कि अब रूस-चीन समझौते की सनसनी में परमाणु मिसाइल अभ्यास शुरू हो चुका है—और इसका असर हो सकता है पूरी दुनिया पर।
मिसाइल की आवाज़ से उठे सवाल
रूस और चीन ने प्रशांत महासागर में बड़े स्तर पर सामूहिक मिसाइल अभ्यास शुरू कर दिया है। इस अभ्यास में क्रूज़ मिसाइलों ने दिखाया यह संदेश—"जहाँ टारगेट, वहीं हमले होंगे।" टारगेट बनाए गए जापान सागर के पास, यानी प्रशांत महासागर से लेकर यूएस की पकड़ तक — अमेरिका को चेतावनी दी गई है कि वह अब सीधा टारगेट पर है! एडमिरल विक्टर लीना के निर्देश में वल्कन, मॉस्किट और ओनिक्स मिसाइलों ने आर्टिफिशियल टारगेट को तबाह कर वैश्विक मंच पर शक्ति प्रदर्शन किया।
जापान सनकता हुआ
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे NATO का हिस्सा नहीं बनेंगे। वे आशंकित थे कि सुरक्षा साझेदारी का दबाव बढ़ेगा। अब रूस-चीन की सामूहिक ताकत ने जापान को संकेत दिया है—अगर कोई अमेरिकी हिस्सेदारी पर जोर देगा, तो जापान को संस्कृति, सुरक्षा, और राजनीतिक संघर्ष के नए पहलू अपनाने पड़ सकते हैं। शांति की राह अब दूसरों से अलग रखते हुए, अपने दम पर फैसला लेने की स्थितियों की चेतावनी मिल रही है।
यूक्रेन बनेगा NATO का हिस्सा?
इस बीच NATO में यूक्रेन की सदस्यता देरी से नहीं, बल्कि तेजी से आगे बढ़ती नज़र आ रही है। ब्रिटेन और जर्मनी का हथियारों और प्रशिक्षण का समर्थन बढ़ता जा रहा है, जिससे रूस का गुस्सा सातवें आसमान पर है। Kremlin की ओर से रूस ने ब्रिटेन और जर्मनी को स्पष्ट चेतावनी दी है—"यूक्रेन को मिल रहे सब हथियार और प्रशिक्षण बंद करें, नहीं तो ये आपको तीसरे विश्वयुद्ध की ओर धकेलेगा।" रूस अब सिर्फ यूक्रेन पर हमला नहीं कर रहा, NATO देशों को खुलेआम टारगेट कर रहा है।
परमाणु खतरे की घंटी
अमेरिका और अन्य NATO देश रूस की इस मानसिकता को समझते नहीं दिख रहे। अगर यूक्रेन NATO में शामिल हो गया, तो अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया — ये सभी रूस-चीन के सामूहिक टारगेट बन सकते हैं। रूस ने न सिर्फ छिपे हथियार तैयार कर लिए हैं, बल्कि आर्टिफिशियल टारगेट अभ्यास ने स्पष्ट किया है—अगली साजिश परमाणु या मिसाइल हमले की हो सकती है।
किरण बन कर संकट
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने संकेत दिया है कि NATO अब उनके पीछे है—"अगर रूस नई सीमाएं लाने को तैयार है, तो यूक्रेन को NATO का गले लगाने से कोई रोक नहीं सकता।" लेकिन इस एक भाषण ने दुनिया को जगा दिया है कि महायुद्ध का खौफ फिर से हकीकत बनने लगा है।
वैश्विक सुरक्षा प्रणाली पर संकट
सरकारों से लेकर आम लोगों तक मानवता हैरान हो रही है। युद्ध मशीनों की गूँज, परमाणु ताकत का डंका, मिलिट्री गठबंधनों की घुसपैठ—जब जंगल की ऐसी तस्वीर सामने आती है, तो बस यही सवाल खड़े हो जाते हैं—क्या मानवता खुद ने ही खुद को खत्म करने की राह अपनाई है?
क्या बच सकता है दुनिया?
अभी कुछ उपाय बच सकते हैं। अभी तलवार उठी है, लेकिन ड्रॉप पटाने के लिए वैश्विक संस्थाएं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, NATO बैठकें एक साथ हो सकती हैं। लेकिन क्या ऐसे समय में इन संस्थाओं के कदम ठहरेंगे? क्या राजनयिक राज ने मिसाइल राज को झुकाया है? रूस-चीन के परमाणु मिशनों और NATO के साथ टकराहट की इस स्थिति में मानवता की सलामती को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। यह सिर्फ एक योद्धा की मुठभेड़ नहीं, बल्कि वैश्विक संरचना का अंतिम संघर्ष है। यदि यह सिलसिला जारी रहा, तो सिर्फ कुछ देश नहीं, पूरे विश्व को मिसाइलों, परमाणु संकट और बर्बादी की तेज़ रफ्तार में जोड़ना रुकेगा नहीं।
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